Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Karva Chauth 2022 : अखंड सौभाग्य का व्रत करवा चौथ 13 अक्‍टूबर को, वाराणसी में चंद्रोदय रात को 7.54 बजे

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर की भोर 2.04 बजे लग रही है जो 14 अक्टूबर की भोर 2.58 बजे तक रहेगी। चूंकि इस व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है अत 13 अक्टूबर को चंद्रोदय रात 7.54 बजे होने पर अर्घ्यदान पूजन करना चाहिए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Mon, 10 Oct 2022 09:41 PM (IST)
Hero Image
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी में अखंड सौभाग्य के लिए करवा चौथ का व्रत किया जाता है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : Karva Chauth 2022 सनातन धर्म में धर्मशास्त्रीय विधान अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी में अखंड सौभाग्य के लिए करवा चौथ का व्रत किया जाता है। सौभौग्यवती स्त्रियां दांपत्य जीवन में पति सौख्य व अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत करती हैं। रात्रि कालीन चंद्रमा का नंगी आंखों से दर्शन कर अर्घ्य-पूजन का विधान है। इस बार करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर को पड़ रहा है।

करवा चौथ पर कृतिका नक्षत्र व सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग होने से अपने आप में बेहद खास होगी

ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी Astrologer Pt. Rishi Dwivedi के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर की भोर 2.04 बजे लग रही है जो 14 अक्टूबर की भोर 2.58 बजे तक रहेगी। चूंकि इस व्रत में चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है, अत: 13 अक्टूबर को चंद्रोदय रात 7.54 बजे होने पर अर्घ्यदान, पूजन करना चाहिए। इस बार करवा चौथ पर कृतिका नक्षत्र व सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग होने से अपने आप में बेहद खास होगी।

इस व्रत में शिव-शिवा, स्वामी कार्तिकेय और चंद्रमा का पूजन कर चंद्रोदय होने पर उन्हें अर्घ्य देकर कथा श्रवण करना चाहिए। नैवेद्य में काली मिट्टी के कच्चे करवे में चीनी की चाशनी डाल कर बनाए व घी में सेंके हुए खाड़ मिश्रित आटे का लड्डू अर्पण करना चाहिए। पति के माता-पिता को नैवेद्य में 13 करवे, लड्डू और लोटा, वस्त्र, विशेष करवा देना चाहिए।

तिथि विशेष पर सौभाग्यवती स्त्रियों को प्रात:काल नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नानादि कर तिथि-वार-नक्षत्र का उच्चारण करते हुए हाथ में जल-अक्षत-पुष्प-द्रव्य लेकर सुख-सौभाग्य, पुत्र-पौत्र, स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए करवा चौथ व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

चंद्रमा को अर्घ्य देकर कथा का श्रवण करना चाहि

शिव-गौरी और भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र स्थापन करना चाहिए। माता पार्वती का षोडशोपचार और फिर शिव व कार्तिकेय का पूजन कर नैवेद्य या पका अन्न व दक्षिणा देकर ब्राह्मणों को देकर चंद्रमा को अर्घ्य देकर कथा का श्रवण करना चाहिए।

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें