काशी की 'पंचकोशी परिक्रमा' पांच विकारों से दिलाती है मुक्ति, 3 हजार साल से भी पुराना है इसका इतिहास
Kashi Panchkoshi Parikrama भारत की अध्यात्म नगरी काशी का अपना एक अलग इतिहास है। भगवान शिव की नगरी काशी में 88 घाट हैं। करीब तीन हजार साल पहले जब यूनानी और ट्राय शहर के योद्धा एक-दूसरे से युद्ध लड़ रहे थे और मिस्र के लोग पिरामिडों में रखे अपने फराओ के पुनर्जीवित होने का इंतजार कर रहे थे तब काशी के लोग पंचकोशी परिक्रमा कर रहे थे।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Mon, 27 Nov 2023 01:34 PM (IST)
जागरण संवाददाता, वाराणसी। भारत की अध्यात्म नगरी के नाम से प्रसिद्ध काशी का अपना एक अलग इतिहास है। भगवान शिव की नगरी काशी में 88 घाट हैं। करीब तीन हजार साल पहले जब यूनानी और ट्राय शहर के योद्धा एक-दूसरे से युद्ध लड़ रहे थे और मिस्र के लोग पिरामिडों में रखे अपने फराओ (सम्राटों) के पुनर्जीवित होने का इंतजार कर रहे थे, उस कालखंड में भी काशी की धर्मपरायण जनता पंचक्रोशी परिक्रमा करती थी।
आस्थावान श्रीकाशी विश्वनाथ के प्राचीन मंदिर में स्थित ज्ञानवापी कूप के जल में स्नान करते, हाथ में कूप का पवित्र जल लेकर परिक्रमा का संकल्प लेते और फिर बाबा के दर्शन कर मणिकर्णिका घाट पहुंचते थे। वहां स्थित चक्र पुष्करिणी कुंड के जल से भी संकल्प ले पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत करते थे। हजारों साल पुरानी यह परंपरा आज भी चली आ रही है।
पंचक्रोशी परिक्रमा पथ की प्राचीनता
पंचक्रोशी परिक्रमा पथ की प्राचीनता जानने के लिए बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग के पुराविद् प्रो. ओएन सिंह के नेतृत्व में 2014 में खोज शुरू की गई। प्रो. सिंह के अनुसार परिक्रमा पथ पर स्थित कर्दमेश्वर मंदिर से भीमचंडी तक किए गए सर्वेक्षण में विभिन्न कालखंड के पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं।बूड़ापुर और खुशियारी में प्राचीन टीले से कृष्ण मार्जित मृदभांड, लाल मिट्टी के बर्तन, धूसर मृदभांड और मिट्टी के मनके आदि मिले हैं। हाल ही में बभनियांव के उत्खनन में भी प्राचीन शिवलिंग मिलने से यह प्रमाणित होता है।
राजघाट के आसपास थी प्राचीन काशी
शोध से जुड़े डॉ. राहुल राज कहते हैं कि प्राचीन काशी वर्तमान राजघाट के आसपास ही बसी थी, लेकिन देल्हना, कंदवा, काशीपुर, महावन आदि स्थानों से मिले साक्ष्यों से पता चलता है कि 1300-1400 ई.पू. में बनारस के दक्षिण में भी वर्तमान पंचक्रोशी परिक्रमा पथ के आसपास मानवीय बसावट थी।प्रो. सिंह के अनुसार, उत्खनन में प्राप्त पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर पाया कि पंचक्रोशी परिक्रमा पथ करीब 3300 वर्ष पुराना है। यह अंग्रेजों द्वारा फैलाए गए इस भ्रम को दूर करता है कि पंचक्रोशी यात्रा 17वीं-18वीं शताब्दी में शुरू हुई।
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