Move to Jagran APP

Kashi Vishwanath Temple : शिवरात्रि पर स्‍वर्ण विवाह मंडप में माता पार्वती के साथ विराजमान होंगे दूल्हा भोले शंकर

Shivratri 2022 वाराणसी में काशी विश्‍वनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि पर पहली बार बाबा विश्‍वनाथ के भक्तगण स्वर्णिम छटा के दर्शन करेंगे तो शाम को विवाह मंडप में मां पार्वती के साथ दूल्हा के रूप में भोले शंकर की छवि देख निहाल हो जाएंगे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Mon, 28 Feb 2022 10:27 PM (IST)
Kashi Vishwanath Temple : शिवरात्रि पर स्‍वर्ण विवाह मंडप में माता पार्वती के साथ विराजमान होंगे दूल्हा भोले शंकर
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों को स्वर्ण मंडित करने का काम पूरा किया जा चुका है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : बाबा के विवाहोत्सव का पर्व महाशिवरात्रि तो सदियों से मनाई जा रही, लेकिन इस बार काशी में इसका रंग बेहद चटख होगा। गंगा तक विस्तारित श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य-भव्य परिसर और स्वर्णिम आभा से नहाया गर्भगृह भी कुछ अलग ही अहसास देगा। लगभग साढ़े तीन सदी के बाद श्रद्धालु गंगा में स्नान कर हाथ में जल लिए सीधे बाबा तक आएंगे और जलाभिषेक कर निहाल हो जाएंगे। धाम के नए स्वरूप का 13 दिसंबर को लोकार्पण किया गया। पखवारे भर पहले गंगा गेट से प्रवेश शुरू किया गया तो अब गर्भगृह की भीतरी दीवारों की सुनहरी छटा से निखर उठी है। महाशिवरात्रि पर पहली बार बाबा के भक्त इस स्वर्णिम छटा के दर्शन करेंगे तो शाम को मड़वे (विवाह मंडप) में माता पार्वती के साथ विराजमान दूल्हा भोले शंकर की छवि देख निहाल हो जाएंगे।

बाबा के स्वर्ण मंदिर में 60 करोड़ का सोना

श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का 50 हजार मीटर में गंगा तट तक विस्तार के बाद अब मुख्य मंदिर को स्वर्ण मंदिर का रूप दिया जा रहा है। इसकी भीतरी दीवारों पर नीचे से ऊपर तक सोने के पत्तर मढ़े जा चुके हैैं। अब पहली बार महाशिवरात्रि पर इसे भक्तों के लिए खोला जा रहा है। पर्व के बाद चौखट और फिर बाहरी दीवारों पर भी सोने के पत्तर मढ़े जाएंगे। दक्षिण भारत के एक श्रद्धालु के सहयोग से इस पर 120 किलोग्राम सोना मढ़ा जाएगा। इसकी लागत लगभग 60 करोड़ आंकी जा रही है। इस दिशा में कार्य 12 जनवरी से शुरू कर दिया गया था। इसके लिए सांचा आदि बनाने के बाद तीन दिनों में 10 स्वर्ण कारीगरों सोने के पत्तर मढ़ दिए।

इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने 1777 में वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया, जिसकेदो शिखरों को स्वर्ण मंडित कराने के लिए पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने 1835 में साढ़े 22 मन सोना दान में दिया था। कई दशक पूर्व लगे स्वर्ण पत्र धूमिल हो गए थे। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से पहले विशेषज्ञ कारीगरों की मदद से सफाई कराई गई थी। अब स्वर्ण शिखर के साथ ही गर्भगृह की चमक श्रद्धालुओं को मोहित कर रही है।