Varanasi Lok Sabha: पीएम मोदी ने बाबा के दरबार से दिया विकास का संदेश, देखें 10 सालों में काशी को क्या क्या मिला
बनारस संस्कृतियों के संगम के लिए ख्यात है। देश भर की संस्कृतियां एकाकार होकर काशी में रच-बस जाती हैं। तभी तो यहां की गलियों में ‘मिनी भारत’ का दर्शन सुगम हो जाता है। यही काशी अब विकास का प्रतीक है और पूरे देश में सनातन धर्म की प्रतिष्ठा का संदेश दे रही है। वाराणसी से भारतीय बसंत कुमार की रिपोर्ट...
भारतीय बसंत कुमार, वाराणसी। बनारस के सांसद के रूप में अपनी यात्रा की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बाबा विश्वनाथ धाम तक भक्तों की राह सुगम करने का खाका खींचा। अकल्पनीय और अविश्वसनीय प्रकल्प जब 13 दिसंबर 2021 को लोकार्पित हुआ तो देश में धार्मिक चेतना झंकृत हो उठी। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य-भव्य स्वरूप देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी और सनातन संस्कृति के नाम सबसे बड़ा अनुष्ठान कहा जा सकता है।
आंकड़े बता रहे हैं लोकार्पण के दो साल बीतते दो करोड़ लोगों ने धाम में दर्शन-पूजन किया। अर्थात काशी से पूरे देश को विकास का संदेश गया है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस की पहचान गलियों के देस के रूप में रही है। बनारस में जून 2024 तक रिंग रोड के तीन चरण आपस में जोड़ दिए जाएंगे, इससे बनारस शहर के बाहर पूर्वांचल के जिले और बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और कोलकाता तक बेहतर कनेक्टिविटी हो जाएगी।
बनारस-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का कार्य शुरू होने वाला है। प्रोजेक्ट के धरातल पर उतरने के बाद बनारस से कोलकाता की दूरी सिर्फ आठ घंटे में तय की जा सकेगी। काशी में जल परिवहन को भी रफ्तार मिलने लगी है। प्रयागराज से हल्दिया तक गंगा के किनारे 19 क्रूज टर्मिनल बनाने की स्वीकृति मिली है।
बनारस में काम शुरू हो चुका है, यहां पहले इलेक्ट्रिक कैटामरान का संचालन शुरू होने वाला है। जल्द ही हाइड्रोजन जलयान लोकसुलभ होंगे। प्रदूषण मुक्त जल परिवहन का माडल देश के लिए खड़ा होगा। पिछले दस साल में काशी ने विकास के कई प्रतिमान गढ़े। भारत-जापान मैत्री का प्रतीक रुद्राक्ष अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं कन्वेंशन सेंटर है। सांस्कृतिक संकुल है। दीनदयाल हस्तकला संकुल का निर्माण तो पूरे पूर्वांचल के हस्तशिल्प को समर्पित है।
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बीते दो साल से काशी-तमिल संगमम् उत्तर-दक्षिण के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती देने का सेतु बना। सांसद सांस्कृतिक और खेलकूद प्रतियोगिता ने हर आयु वर्ग की कला मेधा को मंच दिया।बात पूर्वांचल की चुनावी राजनीति की करें तो कभी गोबर से गेहूं निकाल कर खाने वालों की बात प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से कहकर विश्वनाथ सिंह गहमरी संसद में रो पड़े थे। काशी पूर्वांचल के विकास का केंद्र बिंदु है। हर चुनाव में पूर्वांचल का पिछड़ापन मुद्दे के रूप में जी उठता था। पिछला एक दशक इस क्षेत्र के भूगोल और राजनीतिक-सामाजिक स्थिति में परिवर्तन का रहा है।
आज भाजपा मोदी की गारंटी और विकास के दम पर काशी और पूर्वांचल का माडल देश भर में पेश कर रही है। अपने संसदीय क्षेत्र को लेकर नरेन्द्र मोदी बहुत संवेदी और चैतन्य रहते हैं। अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के क्रम में जब राहुल गांधी ने बनारस में शराबी और नशेड़ी युवा पाए जाने का जिक्र किया तो प्रधानमंत्री ने काशी से ही इसका कड़ा प्रतिवाद किया।विकास की बहुलता से काशी संसदीय सीट की श्रेष्ठता सिद्ध हो रही है। प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यकाल में वाराणसी से निकलने वाली जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर की सड़क को फोरलेन कर दिया गया। वाहनों की राह को रिंगरोड ने सुगम कर दिया। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे ने गाजीपुर, मऊ, बलिया, आजमगढ़ से लखनऊ पहुंचने का समय आधा कर दिया है।
पूरे पूर्वांचल की फल-सब्जी बनारस से खाड़ी देशों को भेजकर किसानों की आर्थिकी को सुधारने का क्रम जारी है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री ने बनारस के करखियांव एग्रो पार्क में अमूल प्लांट का उद्घाटन किया। यहां 18 जिलों के दुग्ध उत्पादकों से दूध लिया जाएगा। सिगरा स्टेडियम में स्पोर्ट्स कांप्लेक्स तैयार है। अगले वर्ष तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भी पूर्वांचल के लोगों को मिल जाएगा।
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