Madhavrao Sadashiv Rao Golwalkar Death Anniversary बीएचयू में मिली गोलवलकर को गुरु जी की उपाधि
Madhavrao Sadashiv Rao Golwalkar Death Anniversary सर संघचालक माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर को गुरुजी की उपाधि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में मिली थी।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 05 Jun 2020 09:58 AM (IST)
वाराणसी, जेएनएन। Madhavrao Sadashiv Rao Golwalkar Death Anniversary (जन्म: 19 फ़रवरी 1906, रामटेक, निधन: 5 जून 1973, नागपुर) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सर संघचालक माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर को गुरुजी की उपाधि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में मिली थी। उस वक्त वे जूलॉजी विभाग में प्राणिशास्त्र के अस्थायी प्रोफेसर थे। बीएचयू में मालवीय जी के समीप रह कर उन्होंने जीवन का यथार्थ जाना और आगे चल कर हिंदुत्व की विचारधारा को आगे बढ़ाया।
वेतन से गरीब छात्रों का भरते थे शुल्कवर्ष 1931 में गुरुजी मालवीय जी के आमंत्रण पर महाराष्ट्र से बीएचयू आए और जूलॉजी विभाग के छात्रों को प्राणिशास्त्र की शिक्षा देने लगे। इसके अलावा उन्होंने बच्चों को दर्शन, अंग्रेजी व अर्थशास्त्र की भी शिक्षा दी। युवाओं में अपने व्यक्तित्व और विचारों के कारण कम ही समय में वे लोकप्रिय हो गए। वह गरीब छात्रों का शुल्क अदा करने के साथ-साथ उनके किताब-कॉपी का खर्च भी अपने वेतन से चुकाते थे। यही सब कारण है कि छात्र संग अध्यापक भी उन्हेंं गुरुजी कहकर संबोधित करने लगे।
बीएचयू में पढ़ाई के दौरान जगी राष्ट्रवाद की भावना : मदन मोहन मालवीय जी की शिक्षा पद्धति से प्रेरित होकर 1924 में गोलवलकर बनारस आये और बीएचयू से बीएससी व एमएससी की पढ़ाई पूरी की। बीएचयू के केंद्रीय ग्रंथालय में एक लाख पुस्तकें देखकर वह काफी खुश हुए। रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद को उन्होंने यहां खूब पढ़ा। इसके अलावा हजारों किताबें उन्होंने यहां पढ़ीं जिससे उनके मन में आध्यात्मिकता और राष्ट्रवाद की भावना जागृत हुई।
बीएचयू से हुआ संघ में प्रवेश
बीएचयू ने गोलवलकर को अध्ययन-अध्यापन के साथ ही खेल, धर्म और योग में भी पारंगत किया। मालवीय जी उनकी सक्रियता से काफी प्रभावित थे। आरएसएस के संस्थापक डा. बलिराम हेडगवार जब बीएचयू आए तो उन्होंने दोनों को मिलवाया।गांधीनगर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरएस दुबे के मुताबिक बीएचयू के एक दूसरे छात्र व संघ के भैया जी दाणी की मदद से गोलवलकर जी का संघ में प्रवेश हुआ और आगे चलकर संघ के दूसरे सर संघचालक भी बने। उन्हीं के दौर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दायरे में तेजी से विस्तार हुआ, अटल बिहारी सहित कई शीर्ष नेताओं का उद्भव इसी दौरान हुआ। 8 अप्रैल 1938 को बीएचयू के एक कार्यक्रम में तीनों विभूतियां एक साथ एक मंच पर थीं। यहीं मालवीय जी ने संघ को देश प्रेमियों का संगठन कहा था।
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