महान खगोलशास्त्री थे महर्षि वाल्मीकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी महानगर की शाखाओं व सेवा बस्ती में मनी जयंती
महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर संस्कृत के इस आदि कवि तथा रामायण के रचियता के बारे में यह जान कर आपको हैरानी होगी कि महर्षि वाल्मीकि एक महान खगोलशास्त्री थे। खगोलशास्त्र पर उनकी पकड़ उनकी कृति रामायण से सिद्ध होती है।
By Jagran NewsEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Sun, 09 Oct 2022 09:52 PM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी महानगर द्वारा शाखाओं व सेवा बस्ती में हर्षोल्लास के साथ महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाया गया। वक्ताओं ने बताया कि महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर संस्कृत के इस आदि कवि तथा 'रामायण के रचियता के बारे में यह जान कर आपको हैरानी होगी कि महर्षि वाल्मीकि एक महान खगोलशास्त्री थे। खगोलशास्त्र पर उनकी पकड़ उनकी कृति 'रामायण' से सिद्ध होती है। आधुनिक साफ्टवेयरों के माध्यम से यह साबित हो गया है कि रामायण में दिए गए खगोलीय संदर्भ शब्दश: सही हैं।
पुस्तक 'रामायण की कहानी, विज्ञान की जुबानी' में कई दिलचस्प तथ्य उजागर किए
भारतीय वेदों पर वैज्ञानिक शोध संस्थान की पूर्व निदेशक सरोज बाला ने इस संदर्भ में 16 साल के शोध के बाद एक पुस्तक 'रामायण की कहानी, विज्ञान की जुबानी' में कई दिलचस्प तथ्य उजागर किए हैं। आईए इनमें से कुछ पर नज़र डालते हैं। अगर हम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण को ध्यान से पढ़ें तो पता चलता है कि इस ग्रंथ में श्रीराम के जीवन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण घटनाओं के समय पर आकाश में देखी गई खगोलीय स्थितियों का विस्तृत एवं क्रमानुसार वर्णन है।
ध्यान रहे कि नक्ष्त्रों व ग्रहों की वही स्थिति 25920 वर्षों से पहले नहीं देखी जा सकती है। सरोज बाला की पुस्तक के अनुसार उन्होंने प्लैनेटेरियम गोल्ड साफ्टवेयर संस्करण 4.1 का उपयोग किया क्योंकि यह साफ्टवेयर समय, तारीख और स्थान के साथ-साथ उच्च रिज़ोल्यूशन वाले आकाशीय दृश्य प्रदान करती है। इसी प्रकार शोधकर्ताओं ने महर्षि वाल्मीकि की रामायण के खगोलीय संदर्भों की सत्यता को मापने के लिए स्टेलेरियम साफ्टवयेर का भी उपयोग किया। इसके इस्तेमाल से भी यही पता चला कि रामायण में वर्णित ग्रहों व नक्षत्रों की स्थिति, तत्कालीन आकशीय स्थिति व खगोल से जुड़ी सभी जानकारियां अक्षरश: सत्य थीं। जो वर्णन रामायण में जिस वर्ष, तिथि और समय पर दिया गया है, उन्हें इन साफ्टवेयर्स में डालने पर हूबहू वैसे ही तस्वीरें सामने आती हैं। आप चाहें तो आप भी इसे जांच सकते हैं। स्टेलेरियम एक ओपन सोर्स साफ्टवेयर है , मतलब इसे निशुल्क इंटरनेट से डाउनलोड किया जा सकता है।
सरोज बाला के अनुसार, स्काई गाइड साफ्टवेयर भी स्टेलेरियम साफ्टवेयर द्वारा दर्शाए गए इन क्रमिक आकाशीय दृश्यों की तिथियों का पूर्ण समर्थन करता है। इन दोनों साफ्टवेयरों के परिणाम एक जैसे होने के कारण पाठक अपने मोबाइल, आइपैड, लैपटॉप या कंप्यूटर पर इस पुस्तक में दिए गए आकाशीय दृश्यों की तिथियों का सत्यापन कर सकते हैं। 'प्लेनेटेरियम सिमुलेशन साफ्टवेयरों का उपयोग करते हुए रामायण के संदर्भों की इन क्रमिक खगोलीय तिथियों का पुष्टिकरण आधुनिक पुरातत्व विज्ञान, पुरावनस्पति विज्ञान, समुद्र विज्ञान, भूविज्ञान, जलवायु विज्ञान, उपग्रह चित्रों और आनुवांशिकी अध्ययनों ने भी किया है।'
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