Makar Sankranti 2023: काशी में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, जारी है स्नान-ध्यान और दान, सुरक्षा में लगे सौ जवान
Makar Sankranti 2023 काशी में दशाश्वमेघ पंचगंगा सहित विभिन्न घाटों पर मकर संक्रांति स्नान के लिए आस्थावानों की भीड़ उमड़ी है। भोर से ही श्रद्धालु स्नान के लिए जुटने लगे थे। पूर्वांचल सहित तमाम स्थानों से लोग स्नान के लिए पहुंचे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Sat, 14 Jan 2023 11:09 AM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। Makar Sankranti 2023: संक्रांति भले ही शनिवार की रात 3.02 बजे लग रही है लेकिन काशी के घाटों पर स्नान-ध्यान और दान का सिलसिला शनिवार की भोर से ही जारी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने दशाश्वमेघ, पंचगंगा सहित अन्य घाटों पर स्नान किया। प्रशासन का दावा है कि सुबह नौ बजे तक पांच लाख श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई। वहीं, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तमाम इंतजाम किए गए हैं।
सुरक्षा में लगे 25 नावों पर सवार 100 जवान
मकर संक्रांति पर गंगा में स्नान करने आए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 25 नावों पर सवार 100 जवान मुस्तैद हैं। इनमें जल पुलिस, एनडीआरएफ, पीएसी की फ्लड यूनिट के जवान शामिल हैं। प्रमुख घाटों पर बैरिकेडिंग की गई है। घाटों पर थानों की पुलिस भी तैनात है। घाट से लेकर गंगा में आस्थावानों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह पुलिस व प्रशासन सतर्क है। जल पुलिस के 25 जवान चार नावों पर लगातार घाटों का चक्रमण कर रहे हैं। इनके साथ पीएसी के फ्लड यूनिट की एक कंपनी के 85 जवान दस नावों पर सवार हैं। हर बार की तरह एनडीआरएफ के जवान 11 नावों के साथ रामनगर से लेकर राजघाट तक पूरी गंगा पर नजर रखे हुए हैं। गंगा में सुरक्षा की यह व्यवस्था 15 जनवरी को भी रहेगी।
15 जनवरी को मनेगा मकर संक्रांति
हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनेगा। पंचांगों के अनुसार, सूर्य 15 जनवरी की रात 3.02 बजे धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस प्रकार उदयातिथि के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन स्नान-दान, पूजा-पाठ और तिल खाने की परंपरा है। साथ ही खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। इसके बाद से ही बसंत का आगमन शुरू हो जाता है। मकर संक्रांति को देश भर में अलग-अलग नामों के साथ मनाया जाता है। इसे लोहड़ी, उत्तरायण, खिचड़ी, टहरी, पोंगल जैसे नामों से भी जानते हैं।
खास संयोग बनेगा
संपूर्णानंद संस्कृत विवि के ज्योतिर्विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. अमित कुमार शुक्ल बताते हैं कि मकर संक्रांति में एक खास संयोग बनेगा, जहां 15 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। वहीं, दूसरी ओर मकर राशि में पहले से ही शुक्र व शनि ग्रह विराजमान रहेंगे। प्रख्यात ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। ऊर्जा का प्रवाह होने के साथ ऋतुओं में बदलाव होता है। इस दिन स्थान-दान, पूजा-पाठ आदि करने से पुण्य लाभ प्राप्त होता है।
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