शोध: BHU के वैज्ञानिकों ने विकसित की अरहर की नई किस्म, किसानों को 20 प्रतिशत अधिक देगी उपज
Malviya Arhar 65 बीएचयू के वैज्ञानिकों ने अरहर की नई किस्म मालवीय अरहर-65 विकसित की है। यह बीज 20 प्रतिशत अधिक उपज देता है और उकठा रोग रोधी है। 240 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। यह हर तरह की मिट्टी और कृषि जलवायु में उगाया जा सकता है। एक सीजन में औसतन प्रति हेक्टेयर 19 क्विंटल पैदावार मिली है।
संग्राम सिंह, जागरण, वाराणसी। देश में प्रति व्यक्ति को औसतन 80 ग्राम दाल (प्रतिदिन) चाहिए लेकिन इसकी तुलना में उपलब्धता सिर्फ 53 ग्राम ही है, क्योंकि बीते कुछ वर्षाें में किसान दलहन की फसलों से दूर हुए हैं, इसके कारण उत्पादन में गिरावट आई है।
अरहर की खेती घाटे का सौदा सिद्ध होने लगी है क्योंकि नौ माह की खेती में अच्छी पैदावार नहीं मिल पा रही है। ऐसे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विज्ञानियों ने नई राह दिखाई है। ''मालवीय अरहर-65'' नामक नई दलहनी प्रजाति विकसित की है।
यह अरहर का बीज 20 प्रतिशत अधिक उपज दे रही है। बनारस, आजमगढ़, मथुरा, अलीगढ़, हरदोई, बाराबंकी, झांसी, बरेली और मेरठ में हुए पहले ट्रायल में बीज को अच्छी सफलता प्राप्त हुई है। एक सीजन में औसतन प्रति हेक्टेयर 19 क्विंटल पैदावार मिली है।
बीएचयू में मालवीय अरहर-65 पर शोध हुआ है।-जागरण
कृषि अनुसंधान परिषद लखनऊ ने दूसरे परीक्षण के लिए बीज अनुमोदित किया है जबकि यह उकठा रोग रोधी है, इसमें बांझपन की बीमारी नहीं होती है। 240 दिनों में फसल तैयार की जा सकेगी। 2026 तक यह किसानों को उपलब्ध होगा। हर तरह की मिट्टी और कृषि जलवायु में बीज को गुजारा जा रहा है।इसे भी पढ़ें-कानपुर IIT की पीएचडी छात्रा ने फंदा लगाकर दी जान, एक साल में चौथी आत्महत्या से हड़कंप
ट्रायल के दौरान एक हेक्टेयर खेत में चार से पांच किलोग्राम बीज बोया गया था। बीज का अनुमानित मूल्य 1200 से 1500 रुपये आया। विज्ञानियों ने वर्तमान खरीफ फसली वर्ष 2024-25 में दूसरे परीक्षण के लिए नौ स्थानों पर बीज भेजा है, उनके परिणाम 240 दिनों बाद आएंगे।
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