Masan Holi Varanasi 2024: महाश्मशान पर चिता भस्म से राग विराग की होली, गूंजी हर-हर महादेव की बोली
भगवान शिव के विवाह में भूत-प्रेत-पिशाच-चुड़ैल डाकिनी-शाकिनी औघड़-अघोरी सांप-गोजर-बिच्छू आदि बराती देख उनकी ससुराल वाले डर गए। गौने की बरात में उन्होंने इन गणों को न लाने का अनुरोध किया था। इस कारण भगवान शिव के ये गण गौना में जाने से वंचित रह गए। इस बात का उन्हें मलाल था तब शिव ने महाश्मशान में उनके संग चिता भस्म की होली खेल मन का मालिन्य दूर किया था।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। एक तरफ धधकती चिताएं, उठता धुआं संसार की निस्सारता का संदेश दे रहा था तो दूसरी ओर मेघगर्जन उत्पन्न कराता डमरुओं का निनाद, गूंजती शंखध्वनि, उल्लास का वातावरण। दूर-दूर से पहुंचे अघोरी, तांत्रिक, किन्नर तो यक्ष, गंधर्व, किन्नर, भूत-प्रेत के रूप मेंं शिव के गणों का वेश बनाए शिवभक्त उल्लास से परिपूर्ण, ‘खेलें मसाने में होली दिगंबर..’ की धुन पर उन्हीं जलती चिताओं की भस्म व राख उड़ा एक-दूसरे से होली खेल रहे थे।
गूंज रहा था ‘हर-हर महादेव’ व ‘बम भोले’ का उद्घोष। मोक्ष व अध्यात्म की नगरी काशी मेें राग-विराग का यह दृश्य गुरुवार को दिखा मां सुरसरि के पावन तट पर महाश्मशान मणिकर्णिका में। इस महाआयोजन को देखने पहुंचे थे देश-विदेश के सैलानी, भक्त और काशीवासी।भूत भावन आदिदेव भगवान महादेव के आदिशक्ति मां गौरा संग गौना करा लौटने के उपलक्ष्य में उनके गणों द्वारा भगवान शिव संग खेली गई ‘मसाने की होली’ के पौराणिक प्रसंग की काशी में यह जीवंत परंपरा दिनोंदिन अपने वैश्विक ख्याति की ओर बढ़ती दिखी।
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मान्यता है कि भगवान शिव के विवाह में भूत-प्रेत, पिशाच, भूत-प्रेत, चुड़ैल, डाकिनी-शाकिनी, औघड़, अघोरी, सांप, गोजर, बिच्छू आदि बराती देख उनकी ससुराल वाले डर गए थे। गौने की बरात मेंं उन्होंने अपने इन गणों को न लाने का भगवान शिव से अनुराेध किया था। इस कारण भगवान शिव के ये गण गौना में जाने से वंचित रह गए। इस बात का उन्हें मलाल था, तब भगवान शिव ने महाश्मशान में उनके संग चिता भस्म की होली खेल उनके मन का मालिन्य दूर किया था। रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मसाने की होली इसी प्रसंग को दर्शाती है।
उतारी गई बाबा मसाननाथ की आरतीहोली खेलने से पूर्व मणिकर्णिका महाश्मशान पर स्थित बाबा मसाननाथ के मंदिर में उनकी विधिवत आरती की गई। डमरूओं की गूंज के बीच बाबा को भस्म, अबीर-गुलाल और रंग चढ़ाया गया।इसे भी पढ़ें-25 या 26 मार्च, जानिए कब खेली जाएगी होली, यहां से दूर होगी आपकी कन्फ्यूजन
इस बार रही सर्वाधिक भीड़, हर गली, हर सड़क रही जामइस अद्भुत चिता भस्म की होली देखने और इसमें शामिल होने के लिए लोग सुबह से ही मणिकर्णिका घाट पहुंचने लगे थे। हाल यह कि मोक्ष तीर्थ की ओर से जाने वाली हर सड़क-गली सुबह से जाम की चपेट में रही। इसमें अनेक राज्यों, देशों से भी लोग मसाने की होली देखने पहुंचे। मसाननाथ मंदिर में बाबा पागलदास ने बताया कि बाबा की आरती के लिए देश के अनेक हिस्सों से लगभग 50 अघोरी व नागा संत पहुंचे थे।
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