वाराणसी फोरमः हमसे ही दर्द और हमारे पास ही दवा
केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि किसी भी शहर के विकास लिए सड़क, बिजली और पानी सबसे ज्यादा जरूरी होता है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। देश हो या विदेश, बनारस का नाम आते ही सिर श्रद्धा से झुक जाता है। बस, मन तब खिन्न हो जाता है जब जिक्र गंदगी, जाम और अतिक्रमण का आता है। यह सिर्फ देश- विदेश से आए सैलानियों के साथ ही नहीं होता, खुद को बड़े फक्र से बनारसी कहने वालों को भी दर्द देता है। दैनिक जागरण 'माय सिटी माय प्राइड’ फोरम में अफसरों व जनप्रतिनिधियों के सामने लोगों ने ऐसे मुद्दे जरूर उठाए लेकिन इसके जो कारण व निवारण गिनाए, उसमें सामने आए बिंदुओं का सार यही था कि इस दर्द का कारण भी हम हैं, दवा भी हमारे ही पास है। अर्थ यह कि प्रशासन के स्तर पर साधन-संसाधन की थोड़ी कमी भले हो लेकिन थोड़ा सा ही समन्वय-संयोजन कर लिया जाए तो शहर की तस्वीर बदल सकती है।
पैनल सत्र में विशेषज्ञों ने अतिक्रमण का मसला उठाया तो समाधान भी खुद बताया कि लोग बीघे भर में मकान बनाते हैं मगर घर के सामने एक फीट नाली को लेकर बड़ा दिल दिखाने की बजाय एक दो फीट आगे बढ़ जाते हैं जब कि इससे नफा-नुकसान भी उन्हें ही होता है। करोड़ों की सोसायटी बनाते हैं लेकिन कचरा तो सड़क पर निबटाते हैं जब कि इसके लिए लोकल वेस्ट मैनेजमेंट का रास्ता नहीं अपनाते। हरित क्षेत्र को खुद कंक्रीट का जंगल बनाते हैं और खुद ही वायु प्रदूषण को लेकर चिल्लाते हैं। खुले सत्र में सवाल उठा कि लोग नजर बचाते उल्टी दिशा में गाड़ी दौड़ाते और सिग्नल तक क्रास कर जाते हैं लेकिन जाम को लेकर भी खुद धिक्कारते नजर आते हैं। जनप्रतिनिधियों व अफसरों ने सभी समस्याओं के समाधान में अपनी भूमिका तय कर ली लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया कि इन सभी समस्याओं का स्थायी समाधान सिर्फ और सिर्फ जनता ही कर सकती है। इसके लिए जरूरत होगी अहसास और सामूहिक प्रयास की जिससे शहर खुद-ब-खुद संवर जाएगा। इशारा साफ तौर पर सिविक सेंस की ओर था जिसने स्पष्ट किया थोड़ी सी जागरूकता आ जाए तो बनारस क्यों न इंदौर जैसा नंबर ले आए। माय सिटी माय प्राइड अभियान में जागरूकता के स्तर पर इंदौर चुने हुए शहरों में था।केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि किसी भी शहर के विकास लिए सड़क, बिजली और पानी सबसे ज्यादा जरूरी होता है। इसके लिए सरकार योजनाएं भी बनाती है लेकिन उसका लाभ आमजन को नहीं मिल पाता है। सरकार की मंशा को जमीन पर लाने का काम अफसर ही कर सकते हैं, वे चाहें तो काफी बदलाव संभव है। इससे कहीं ज्यादा जरूरी है जनता को अपने अधिकार व योजनाओं के बारे में जानना। जनता सरकारी योजनाओं के बारे में पूरी तरह जान ले तो आधी समस्या खुद खत्म हो जाएगी।
निदान : तकनीकी प्रशिक्षण को आधुनिक करना होगा। उद्योग जगत की नई डिजाइन व जरूरतों के अनुसार युवाओं को दक्ष किया जाए।समस्या : रोजगार के अवसर कहां से दिए जाएं
निदान : क्षेत्र के युवाओं को शहर से बाहर न जाना हो इसके लिए उन तक पहुंच बनानी होगी। एप के माध्यम से रोजगार की जरूरतें पूरी की जाएं।समस्या : औद्योगिक क्षेत्रों में जर्जर सड़कें और गंदगी
निदान : बेहतर क्वालिटी की सड़कें बनें, नाली का निर्माण हो ताकि सड़कों पर जलजमाव नहीं होने पाए। जलजमाव के कारण सड़कें टूटने लगती हैं।समस्या : श्रमिक हित में कौन-कौन से प्रयास किए जाएं ताकि उद्यम का लाभ मिले
निदान : क्षेत्र में पौधरोपण कर हरियाली को बढ़ावा देना होगा। मेडिकल कैंप आदि का आयोजन कर श्रमिकों व कर्मियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए।समस्या : तीन प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र के अलावा अब एक और क्षेत्र की जरूरत महसूस की जा रही है।
निदान : इसके लिए सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजना होगा। नए निवेश हो रहे हैं। सरकार लगातार उद्योग के विकास के लिए प्रयासरत है।
बदलाव के लिए प्राथमिक शिक्षा को करना होगा मजबूत
सर्व शिक्षा की राजधानी के तौर पर काशी में शिक्षा के क्षेत्र में नए बदलाव की जरूरत है। किसी भी समाज के परिवर्तन में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। आज प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करने की जरूरत है। स्कूलों में शैक्षणिक माहौल को सहज करनी चाहिए। शिक्षा को निजी हाथों में नहीं छोडऩा होगा। बनारस में बाहर से बड़ी संख्या में छात्र शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं उन्हें बेहतर तरीके से शिक्षण व प्रशिक्षण देना एक शिक्षक का दायित्व है। शिक्षा पर पैनल परिचर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने शिक्षण के परिवेश को और बेहतर करने पर जोर दिया। इसमें स्कूल-कालेजों व विश्वविद्यालयों में छात्र-शिक्षक सुविधाओं पर भी जोर दिया गया। सिविल सेवा परीक्षा के लिए मुफ्त कोचिंग और स्कूलों के ज्यादा से ज्यादा मूलभूत जरूरतों को पूरा करने की घोषणा की गई।परिचर्चा का संचालन करते हुए डीएवी डिग्री कालेज के डा. अनूप मिश्र ने कहा कि बदलाव कि दिशा में संवाद की कोई कमी न हो। चर्चा-परिचर्चा से ही नई पहल होती है और बदलाव का मार्ग निकलकर आता है। विकास को रफ्तार देने के लिए शिक्षा के आयाम पर ध्यान देना होगा। शिक्षण कार्य ठीक रहेगा तो समाज के सभी क्षेत्रों को मजबूती मिलेगी।अर्थशास्त्री डा. तरुण द्विवेदी ने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों को बेहतर करने के लिए कोशिशें होनी चाहिए। स्वच्छता का वातारण जरूरी है। साफ-सफाई, शौचालय, हरियाली की व्यवस्था ठीक हो। शिक्षण संस्थाओं में सीवर सिस्टम बेहतर रखना होगा। इसके लिए सार संस्थान की ओर से जापान के सहयोग से प्राथमिक स्कूल में सीवर सिस्टम को ठीक करने की कोशिश शुरू की गई है। डा. सत्य गोपाल ने कहा कि शिक्षकों और छात्रों के बीच संवाद होना चाहिए। इसके लिए कालेजों में परामर्शदाता होने चाहिए। आज सामाजिक व नैतिक दायित्वों को समझाने की आवश्यकता है। डा. ओमप्रकाश जायसवाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के छात्रों व प्रशासन के बीच भी समय-समय पर वार्ता हो। कैंपस को शांत व सुरक्षित रखते हुए शैक्षणिक गतिविधियों को पूरा किया जाना चाहिए। डा. राकेश द्विवेदी ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से शिक्षकों को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। आज भी शिक्षकों पर समाज निर्माण की जिम्मेदारी हैं। डा. आलोक कुमार गुप्ता ने कहा कि स्किल्ड युवाओं को आगे लाने होगा। इंडस्ट्रीज और शिक्षण संस्थाओं को मिलकर काम करना होगा। बदलाव के लिए सुझाव व अमल आवश्यक है। दक्षता और शिक्षण के बीच तालमेल करके ही हम प्रगति के पथ पर अग्रसर हो पाएंगे।समस्या : प्राथमिक स्तर पर शिक्षण को कैसे बेहतर किया जाए
निदान : सरकार के साथ ही विश्वविद्यालय के छात्रों को भी पहल करनी होगी। युवा वर्ग अपने आसपास के छात्रों को पढ़ाने का कार्य करें।
समस्या : शिक्षक और शिक्षा की गुणवत्ता में कैसे सुधार हो
निदान : बदलाव के लिए शिक्षक सौ प्रतिशत दायित्व का निर्वाहन करें। कमजोर छात्रों पर खास ध्यान देना होगा।
समस्या : निजी स्कूलों के प्रति ज्यादा रूझान बढ़ रहा है
निदान : शिक्षा को निजी स्तर पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। सरकारी स्कूलों में सुविधाओं को बेहतर करके छात्रों को जोडऩा होगा। वातावरण देना होगा।
समस्या : विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के कैंपस में सुरक्षा व शैक्षणिक माहौल हो
निदान : इसके लिए शिक्षकों व प्रशासन की ओर से छात्रों से वार्ता करनी होगी, उनकी दिक्कतों का निदान करने पर जोर देना होगा।
समस्या : स्कूल-कालेजों में साफ-सफाई व शौचालय की समस्या बनी रहती है
निदान : स्वच्छता के साथ ही शौचालय की दिशा में लगातार कार्य हो रहे हैं। स्थितियां बदल रही हैं, सभी की सहभागिता से इस लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा।श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की ओर से कर्मकांड के लिए युवाओं को मंत्रों के शुद्ध उच्चारण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। विग्रह पूजा-पद्धति अक्षुण्ण रखने के लिए यह जतन किया जाएगा। पूर्व में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किए गए थे मगर बात आगे नहीं बढ़ी। शिक्षण संस्थानों में कर्मकांड की शिक्षा न देने से विद्यार्थी ठीक से मंत्रोच्चार तक नहीं कर पाते। यह बड़ा धर्म संकट है। पारंपरिक पद्धति को आगे लाने के लिए प्रशिक्षण केंद्र जरूरी है। आचार्य पं. अशोक द्विवेदी, अध्यक्ष, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषदहम यह तो कहते हैं कि बनारस का विकास इसकी परंपरा व गरिमा का ख्याल रखते हुए किया जाना चाहिए। इसमें हमे इसका ही ध्यान नहीं रहता कि क्या हम रोज की दिनचर्या में इन सब चीजों पर गौर करते हैं। ऐसे में धर्म-संस्कृति के शहर का होने के नाते हमारा आचरण भी वैसा ही होना चाहिए। इसकी शुरूआत कहां-वहां की बजाय यहां से यानी आपसे ही होनी चाहिए।
डा. कुलपति तिवारी, महंत, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिरबनारस सुरक्षा के मामले में काफी बेहतर है। पुलिस की सक्रियता से अपराध की घटनाओं में काफी कमी आई है। अपराध हो या अन्य कोई समस्या, हर मामले में लोगों को आगे आना होगा। जागरूकता काफी हद तक समस्याओं से निजात में राहत प्रदान करेगी। माय सिटी, माय प्राइड जैसे बेहतरीन कार्यक्रम कराने के लिए जागरण परिवार को बहुत-बहुत धन्यवाद।
-आलोक कुमार, डीआइजी, 11 एनडीआरएफदैनिक जागरण का प्रयास बेहद सराहनीय है। माय सिटी, माय प्राइड मंच के जरिए शहर के लोगों ने खुलकर समस्याएं बताईं। इस तरह के मंच समय-समय पर लोगों को मिलने चाहिए। इससे आमजन की समस्याएं अफसरों तक पहुंच जाती हैं। सुरक्षा के मामले में बेहतर होने के बाद भी सुधार की गुंजाइश है।
-विनय कुमार सिंह, एडीएम सिटीविभागों में समन्वय बेहद जरूरी है। शहर में यदि मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी तो हर कोई संतुष्ट नजर आएगा। सुरक्षा की दृष्टि से काशी काफी बेहतर है। पुलिस का प्रयास रहता है कि छोटे से छोटे अपराध में भी पूरी मुस्तैदी से काम हो ताकि फरियादी को न्याय मिल सके। जाम की समस्या हर किसी के लिए पीड़ादायी है। हम सभी आपसी समन्वय से समस्या दूर करने की दिशा में प्रयासरत हैं।
-दिनेश कुमार सिंह, एसपी सिटीजनता व सत्ता के बीच संवाद से ही व्यवस्था हो सकती है। तभी प्रशासन सफल हो सकता है। इसमें जनता का सत्ता दोनों की भूमिका को सार्थक व चरितार्थ करने में ऐसे आयोजन सफलता प्राप्त करते है।
- पं. राजेश्वर आचार्य, संगीताचार्यधार्मिकता का भाव जन-जन तक पहुंचे इस दिशा में प्रयास करने होंगे। प्राचीन नगरी को सोच समझ कर सही दिशा में बदलनी होगी। आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मूल में बदलाव न किया जाए।
- महामंडलेवर संतोष दास, सतुआ बाबाजिले में रोजगार लगातार अवसर बढ़ रहे हैं। एक जिला, एक उत्पाद के साथ ही जीआइ टैग वाले उत्पादों को बल मिला हुआ है। उद्यमियों ने लिए एकल खिड़की की सुविधा दी गई है।
- करूणा राय, उपायुक्त, उद्योग विभागबनारस की अब नई पहचान बन रही है। पौराणिक पहचान के साथ नई पहचान को बेहतर करना होगा। विकास के लिए नौकरी व कारोबार का पक्ष व्यवस्थित करने की दिशा में प्रयास सकारात्मक होनी चाहिए।
- भगीरथ जालान, रिटेल कारोबारीकूड़ा-कचरा के लिए डंपिंग प्लाट की व्यवस्था की जाए। तालाब व नालों के कब्जे को तोडऩा होगा। अतिक्रमण हटे तो उसे पुन: नहीं लगने दिया जाए।
- चेतन उपाध्याय, सामाजिक कार्यकर्ताबनारसी कारोबार को खास पहचान दी जाए। बनारसी खिलौने, सिल्क, खान-पान को लोगों तक पहुंचाना होगा। पटरी व्यवसायियों को व्यवस्थित करना होगा। उजाडऩे से नहीं बसाने से बात बनेगी।
- डा. कुमकुम मालवीय, प्राचार्य, अग्रसेन पीजी कालेजबालिका शिक्षा पर खास ध्यान दिया जाए। निजी स्तर पर भी इस दिशा में कार्य करना होगा। सभी मिलकर आगे आएं तो परिणाम सामने होगा।
-डा. प्रतिभा यादव, प्रधानाचार्य, आर्य महिला इंटर कालेजस्वच्छता व सुरक्षा आज महत्वपूर्ण है। इस दिशा में कोई समझौता नहीं हो। सरकार की कोशिशों में हमें भी कदमताल करनी होगी।
- डा. सुधा सिंह, प्रधानाचार्य, कस्तुरबा बालिका इंटर कालेजबेहतर शिक्षा से ही बदलाव की नींव बनती है। सुशिक्षित समाज से बेहतर कल तैयार होगा। शैक्षणिक माहौल को ठीक करके आगे बढऩा होगा।
- डा. आनंद प्रभा सिंह, प्रधानाचार्य, निवेदिता शिक्षा सदन बालिका इंटर कालेजपॉलीथिन पर रोक की बात सरकार ने जुलाई-अगस्त माह में की थी लेकिन अब मुहिम कमजोर पड़ गया है। बाजारों में फिर से इसकी बिक्री हो रही है। इसे शहर की स्वच्छता पर असर पड़ रहा है।
- मुकेश जायसवाल, व्यापारीबुनियादी दिक्कतों का निदान जल्द से जल्द किया जाए। व्यापार योग्य परिवेश के साथ ही हम प्रगति की बात कर सकेंगे।
- राजकुमार शर्मा, व्यापारीअतिक्रमण व जाम इस शहर की सबसे बड़ी समस्या हैं। इस दिशा में विशेष जोर दिया जाए। इसके लिए जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई किया जाए तो स्थिति सुधरेगी।
- कमलेश अग्रवाल, सीएकाशी में देश के विभिन्न प्रांतों से तीर्थयात्री व पर्यटक आते हैं उनकी सुरक्षा व सुविधा का ख्याल रखना होगा। वे ठगी का शिकार न हो क्योंकि इससे शहर की छवि खराब होगी।
- वी सुंदरशास्त्री, सामाजिक कार्यकर्ताव्यापारिक माहौल में और सुधार करना होगा। व्यापारियों को टैक्स और प्रशासनिक दिक्कत न हो इस दिशा में सरकार को ध्यान देना चाहिए।
- अजीत सिंह बग्गा, व्यापारीशहर की सड़कों व गलियों को ठीक करने की आवश्यकता है। कारोबारियों को सुरक्षा देने के साथ ही उनके साथ पुलिस की मीटिंग भी हो।
- प्रमोद अग्रहरि, व्यापारीआज स्वयं की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। महिलाओं को आत्म सुरक्षा पर ध्यान देना होगा। नई पीढ़ी इस दिशा में कदम बढ़ा चूकी हैं।
- अजीत श्रीवास्तव, मार्शल आर्ट ट्रेनरसुरक्षा खुद के साथ ही अन्य की भी करने की जरूरत है। कई बार दूसरे को मुसीबत से निकालने के लिए खुद को मजबूत बना पड़ता है।
- अखिलेश रावत, मार्शल आर्ट ट्रेनरव्यापार के लिए विभागीय सुविधाएं और ठीक करना होगा। जीएसटी के नियमों को सरल करना होगा ताकि सामान्य व्यापारी को दिक्कत न हो।
- गौरव राठी, व्यापारी प्रमुख मंडियों में सुविधाएं और सुरक्षा पर ध्यान देना होगा। व्यापारी खुद ही दुकानों पर सीसी टीवी कैमरे लगाकर सुरक्षा की कोशिश में लगे हैं।
- अनिल केसरी, व्यापारी