वाराणसी में लोगों ने की ऐसी कोशिश, संवर गये टूटे-फूटे थाने और चौकी
वाराणसी का चमकता थाना सिगरा व पुलिस चौकी नदेसर अन्य थाना-चौकियों के लिए नजीर बन चुका है।
By Krishan KumarEdited By: Updated: Thu, 13 Sep 2018 06:00 AM (IST)
नजीर 1 : करीब छह महीने पहले तक नदेसर पुलिस चौकी में फरियादी तो दूर पुलिसकर्मी भी नहीं आना चाहते थे। छत से टपकती बारिश की बूंदें, जर्जर बदहाल दीवारें और पंखे की खट-खट करती आवाज से लोग बेचैन हो उठते थे। चौकी प्रभारी प्रदीप यादव ने क्षेत्रवासियों को खुद से जोड़ा, उनसे संवाद किया। फिर क्या था? मदद को हाथ पर हाथ बढ़ते गए और आज चौकी मॉडल के रूप में विकसित हो गई।
नजीर 2 : छह महीने पूर्व तक सिगरा थाना की स्थिति बेहद खराब दिखती थी। थाना प्रभारी का कमरा तो चमकता था मगर परिसर में कंडम गाडिय़ों के चलते पुलिसकर्मी तक बैठ नहीं पाते थे। एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने पहल की तो सभी कंडम गाडिय़ां गांव के थानों में शिफ्ट कर दी गई। थाना प्रभारी सतीश कुमार सिंह ने खुद से पहल की। क्षेत्रीय लोगों, विभिन्न संगठनों, अधिवक्ताओं को जोड़ थाना को चमकाने का काम किया है। जागरण संवाददाता, वाराणसी :
शहर का चमकता थाना सिगरा व पुलिस चौकी नदेसर अन्य थाना-चौकियों के लिए आज नजीर बन चुका है। जिले के 24 थाने व करीब 80 पुलिस चौकियों को भी इसी तरह संवारने की मशक्कत शुरू हो गई है लेकिन सपना अभी परवान नहीं चढ़ पा रहा। इसके लिए एसएसपी आनंद कुलकर्णी प्रयासरत हैं, उन्हें भरोसा है कि जन सहयोग से जल्द ही सभी थानों व चौकियों को इन्हीं की तरह संवारा जाएगा । अब सवाल उठ रहा है कि सिगरा थाना व नदेसर पुलिस चौकी इतनी खूबसूरत हुई कैसे? क्या इन दोनों के लिए स्पेशल बजट मिला था।
इनके लिए एसएसपी ने महज कुछ हजार रुपये दिए थे। थाना व चौकी प्रभारी ने जन सहयोग लिया। थाना प्रभारी ने करीब लाख रुपये अपने पास से खर्च किए। इसके बाद रोहित कपूर नामक व्यापारी ने थाना में वायरिंग से लगायत पूरा बिजली के सामान का खर्च उठाया। क्षेत्रीय निवासी अनीश ने डेंट पेंट कराया और एडवोकेट सत्यानंद सिंह बड़े मददगार के रूप में सामने आए। दर्जनों लोगों ने दो से पांच हजार रुपये दिए । लोगों ने ने सीमेंट, बालू व टाइल्स दिया, जिसके दम पर थाना की जर्जर दीवारें आज चमकती नजर आ रही है।
वहीं नदेसर पुलिस चौकी की यदि बात करें तो यहां करीब पांच से छह लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। सामान्य से चौकी प्रभारी प्रदीप यादव के लिए इतनी बड़ी रकम जुटाना असंभव सा था मगर उनकी मृदुभाषी व्यवहार ने सबकुछ आसान कर दिया। उन्होंने नदेसर व्यापार मंडल, कार मार्केट, खालिक भाई कपड़े वाले ने रुपये व सामान का सहयोग लिया। समाज के हर वर्ग से जुड़े लोगों का रुपये, सामान और शारीरिक श्रम का सहयोग लिया। एसएसपी आनंद कुलकर्णी का कहना है जनसहयोग से थानों व चौकियों को सजाने-संवारने का क्रम जारी है। आने वाले कुछ समय में महिला सहित सभी 25 थानों की सूरत बदली नजर आएगी।
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