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मऊ में 2005 दंगे से मुख्तार अंसारी ने की रक्तरंजित शुरूआत, 15 वर्ष जेल से ही चलाता रहा तंत्र

1995 में जेल से छूटने के बाद गाजीपुर जनपद के युसुफपुर मुहम्मदाबाद निवासी मुख्तार अंसारी ने मऊ में अड्डा जमाया। बहुजन समाज पार्टी में शामिल होने के साथ ही मऊ में बड़ी रैली निकाल ताकत का एहसास करा मुख्तार 1996 में विधायक बन बैठा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Wed, 07 Apr 2021 05:50 PM (IST)
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मुख्‍तार अंसारी ने 2005 में मऊ दंगे से रक्तरंजित कर दिया।
मऊ, जेएनएन। 1995 में जेल से छूटने के बाद गाजीपुर जनपद के युसुफपुर मुहम्मदाबाद निवासी मुख्तार अंसारी ने मऊ में अड्डा जमाया। बहुजन समाज पार्टी में शामिल होने के साथ ही मऊ में बड़ी रैली निकाल ताकत का एहसास करा मुख्तार 1996 में विधायक बन बैठा। फिर 2002 में फिर विधायक चुने जाने के तीन वर्ष बाद यानि मुख्तार ने 2005 में मऊ दंगे से रक्तरंजित शुरूआत की। इसमें एक माह तक शहर जलता रहा। इतिहास में पहली बार रेलवे संचालन बंद रहा। इसके बाद जहां लगातार वह विधायक चुना जाता रहा तो दंगे के आरोप में जेल में निरुद्ध होने के बाद भी आपराधिक तंत्र को चलाता गया। ठेकों में कमीशन को लेकर 29 अगस्त 2009 को जनपद के बड़े ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह उर्फ मन्ना की मुख्तार के शूटरों ने गाजीपुर तिराहे पर दिनदहाड़े हत्या की। रक्तरंजित सिलसिला यही नहीं रूका। इस हत्याकांड के गवाह रामसिंह मौर्या व उनके सुरक्षा में तैनात सिपाही सतीश कुमार की 19 मार्च 2010 को दक्षिणटोला थाना क्षेत्र में स्थित एआरटीओ आफिस के सामने दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। मन्ना हत्याकांड में मुख्तार गवाही के अभाव में बरी हो गया।

 पूर्वांचल में गैंगवार की शुरूआत सन 1985 में गाजीपुर जिले के मुडियार गांव से हुई थी। यहां रहने वाले त्रिभुवन ङ्क्षसह और मकनू सिंह के बीच शुरू हुआ जमीन का एक मामूली विवाद देखते ही देखते हत्याओं और गैंगवार के एक ऐसे सिलसिले में बदल गया, जिसने पूर्वांचल की राजनीतिक और सामाजिक तस्वीर को बदल दिया। इस दौरान मुख्तार अंसारी गाजीपुर के मोहम्मदाबाद में पैर जमाना शुरू कर दिया था। सन 1988 में मुख्तार का नाम क्राइम की दुनिया में पहली बार आया। मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार का नाम पहली बार सामने आया। इधर मुख्तार ने मकनू सिंह व साधू सिंह की सरपरस्ती में अपराध का ककहरा पढऩे लगा तो दूसरी गैंग बृजेश सिंह व त्रिभूवन ङ्क्षसह की भी गाजीपुर में पांव पसारने लगी। अब पूर्वांचल में दो गैंग काम करने लगे एक बृजेश सिंह तो दूसरा मुख्तार अंसारी। साधू ङ्क्षसह व मकनू ङ्क्षसह के गैंग की कमान हाथों में थाम मुख्तार के हत्या से शुरू हुआ सिलसिला विधायक तक जा पहुंचा।

2005 में एके-47 की तड़तड़ाहट ने दिखलाया खौफ

मऊ शहर में 2005 में हुए दंगे में मुख्तार अंसारी जेल में बंद था। इसी दौरान बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय को उनके 06 साथियों सहित सरेआम गोलीमार हत्या कर दी गई। हमलावरों ने 06 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थी। मारे गए लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गई थी। इस हमले का एक महत्वपूर्ण गवाह शशिकांत राय 2006 में रहस्यमई परिस्थितियों में मृत पाए गए। इस हत्याकांड के दौरान पूर्वांचल की धरती पर पहली बार एक साथ करीब 06 एके-47 राइफलों की गूंज सुनाई दी थी।

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