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बनारसी पान ही नहीं अब बनारस में मिलेंगे बनारसी एप्पल, खासियत जानकर रह जायेंगे हैरान...

एक ऐसा सेब भी है जिसकी खेती अभी तक केवल विदेशों में ही की जा रही थी लेकिन अब उस सेब की खेती भारत की आध्यात्मिक नगरी वाराणसी में भी की जाने लगी है। इस सेब को वाटर एप्पल के नाम से जाना जाता है।

By Riya.PandeyEdited By: Riya.PandeyUpdated: Sat, 10 Jun 2023 10:42 PM (IST)
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बांग्लादेश से पौधे लाकर अब बनारस में उगाए जा रहे हैं वाटर एप्पल
जागरण ऑनलाइन डेस्क: देश के पहाड़ी राज्यों में सेब की कई किस्में उगाई जाती है और अगर सेब के मिठास की बात की जाए तो इस मामले में कश्मीर सबसे ज्यादा मशहूर है। यही वजह है कि कश्मीरी सेब की डिमांड पूरे साल सबसे ज्यादा रहती है। एक ऐसा सेब भी है जिसकी खेती अभी तक केवल विदेशों में ही की जा रही थी लेकिन अब उस सेब की खेती भारत की आध्यात्मिक नगरी वाराणसी में भी की जाने लगी है। इस सेब को 'वाटर एप्पल' के नाम से जाना जाता है। इसके स्वाद में हल्का सा मीठापन होने के कारण इसे वाटर एप्पल कहा जाता है।

श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, थाईलैंड जैसे दक्षिण पूर्व एशिया के गर्म क्षेत्रों में लोकप्रिय फल 'वाटर एप्पल' की खेती अब वाराणसी में भी हो रही है। ऐसा होने से यहां के किसानों को आमदनी बढ़ाने का नया जरिया मिल सकेगा।

साल 2017 में बांग्लादेश से वाराणसी में ट्रायल के मंगवाए गए थे दो पौधे

बांग्लादेश से लाया गया वाटर एप्पल वाराणसी के वातावरण में रम गया है। यहां के वातावरण में ना सिर्फ पौधों का अच्छा विकास हो रहा है बल्कि फसल भी दे रहा है। किसान शैलेंद्र कुमार रघुवंशी वो ऐसे शख्स हैं जिन्होंने ऐसा कर दिखाया है।

वाटर एप्पल की वाराणसी में खेती करने वाले किसान रघुवंशी ने बताया कि वैसे तो वह अमरूद की खेती किया करते हैं लेकिन इनका शौक है कि कुछ बाहर का फल भी यहां आकर लगाया जाये फिर इन्हें वाटर एप्पल के बारे में पता चला कि यह एक ऐसा फल है जिसकी पैदावार केवल गर्म प्रदेशों या गर्म देशों में ही हो सकता है। इसके बाद इन्होंने वर्ष 2017 में इसे बांग्लादेश से मंगवाया। ज्यादातर यह थाईलैंड में होता है। इसे लगाने के लगभग तीन साल बाद पौधे में फल आना शुरू हुआ और दो साल से इसमें अच्छा फल आ रहा है। वाटर एप्पल मई महीने की आखिरी में मैच्योर होता है और जून माह तक चलता है जबकि इस दौरान अमूमनन बाजारों में फल नहीं रहता है। इस समय यही एक ऐसा फल है और इसके अलावा लीची जो बाजार में आसानी से मिल जाता है।

किसानों के लिए कई तरह से होगा लाभकारी

उन्होंने बताया कि यह फल कई तरह से लाभदायक है क्योंकि इसमें लागत ना के बराबर है। इसमें पानी की बहुत थोड़ी सी ही जरूरत होती है और इसमें खाद की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसके अलावा इसमें फलत भी भरपूर आती है। उनके पौधे में इस वक्त लगभग डेढ़ से सो क्विंटल फलत आता है। उनका पौधा करीब छह साल का है। इस समय उनके पौधे में करीब डेढ़ क्विंटल तक फल लगा हुआ है। लागत कम है इस लिहाज से भी यह किसानों को लिए काफी लाभकारी होगी।

करीब तीन साल के बाद बाजारों में होगा उपलब्ध

शैलेंद्र ने आगे बताया कि साल 2017 में बांग्लादेश से दो वाटर एप्पल के पौधे ट्रायल के लिए वाराणसी में मंगवाए गए थे और यह पौधे यहां के तापमान में ढल गए।अब वह इस एप्पल की लगभग एक एकड़ में बागवानी करने जा रहे हैं और करीब तीन साल के बाद इसे किसानों को उपलब्ध करवाई जाएगी और बाजारों में भी तभी मिलना शुरू होगा। अभी इनके यहां से वाटर एप्पल के पौधे किसान ले जाया करते हैं।

वाटर एप्पल के फायदे

यह फल बीज रहित है और इसमें मिठास भी कम है। एक तरह से कहा जाये तो यह फल शुगरफ्री है। गर्मी में शरीर में होने वाली पानी की कमी को भी दूर करेगा। इसका आकार अभी बाजारों में मौजूद एप्पल से अलग है। इस फल को तोड़ने के एक सप्ताह बाद तक खुले में रखा जा सकता है। इसकी अच्छे से पैकेजिंग के बाद इसे बाहर विदेशों में भी सप्लाई किया जा सकता है। इसके अलावा वाटर एप्पल अच्छी बारिश और तपिश भी झेल सकता है।

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