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UPPCL: अब पुराने बिजली मीटर होंगे स्मार्ट, IIT BHU ने विकसित किया खास डिवाइस

IIT BHU आइआइटी बीएचयू ने पारंपरिक मीटरों को स्मार्ट मीटर का स्वरूप देने की कोशिश की है। विज्ञानियों ने सस्ता लोरावन (लंबी दूरी का विस्तृत क्षेत्र नेटवर्क) डिवाइस विकसित किया है इसके जरिए स्वचालित मीटर रीडिंग के अलावा पार्किंग स्थानों की निगरानी और कचरा निपटान का प्रबंधन हो सकता है। बगीचों में स्वचालित पानी का छिड़काव भी किया जा सकता है।

By Sangram Singh Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 26 May 2024 08:09 AM (IST)
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UPPCL: अब पुराने बिजली मीटर होंगे स्मार्ट, IIT BHU ने विकसित किया खास डिवाइस
जागरण संवाददाता, वाराणसी। आइआइटी बीएचयू ने पारंपरिक मीटरों को स्मार्ट मीटर का स्वरूप देने की कोशिश की है। विज्ञानियों ने सस्ता लोरावन (लंबी दूरी का विस्तृत क्षेत्र नेटवर्क) डिवाइस विकसित किया है, इसके जरिए स्वचालित मीटर रीडिंग के अलावा पार्किंग स्थानों की निगरानी और कचरा निपटान का प्रबंधन हो सकता है। बगीचों में स्वचालित पानी का छिड़काव भी किया जा सकता है।

डा. हरि प्रभात गुप्ता ने बताया कि यह डिवाइस इंटरनेट कनेक्टिविटी पर निर्भर हुए बिना ही स्मार्ट मीटर की तरह कार्य करेगा। यह उन क्षेत्रों के लिए फायदेमंद है, जहां इंटरनेट की सीमित या कोई उपलब्धता नहीं है। डिवाइस मीटर रीडिंग स्वचालित तरीके से करेगा, जिससे मैन्युअल हस्तक्षेप के बिना सटीक डाटा मिल सकता है।

बिजली खपत के बारे में आएगी जागरूकता

विज्ञानियों का तीन विशेषताओं पर ध्यान है, डिजाइन, इंस्टालेशन और सामान्य स्मार्टफोन के साथ साफ्टवेयर विकास। इसके जरिए न सिर्फ मीटर रीडिंग सुगम होगी बल्कि बिजली की खपत के बारे में भी जागरूकता आएगी।

संकेत बोर्ड पढ़ने और दिव्यांगों की सहायता जैसे क्षेत्रों में हो सकेगा। इस पहल का उद्देश्य बर्बादी को कम करना और मौजूदा मीटरों के अनावश्यक प्रतिस्थापन से बचना है। शोध को आइडीएपीटी-हब आइआइटी बीएचयू और एसईआरबी ने वित्तपोषित किया है। शोध टीम बिजली, पानी और गैस मीटरों को डिवाइस के रूप में परिवर्तित करेगी।

टेस्टिंग के बाद पेटेंट के लिए आवेदन

डॉ. गुप्ता ने बताया कि डिजिटल मीटर में इस डिवाइस को जोड़ देंगे, फिर यह डिवाइस रीडिंग का चित्र खींचकर रीडिंग निकाल लेगा। वह रीडिंग को सर्वर तक भेज देगा, ऐसे में स्मार्ट मीटर का कार्य पारंपरिक मीटर भी कर सकेगा। आइआइटी के कंप्यूटर साइंस विभाग की लैब में डिवाइस का सफल ट्रायल हो चुका है। छह महीने तक और टेस्टिंग की जाएगी, उसके बाद पेटेंट के लिए आवेदन किया जाएगा।

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