Varanasi Dev Deepawali : वाराणसी में देव दीपावली पर मां गंगा ने पहना दीपों का चंद्रहार, घाटों पर अदभुत स्वर्णिम आभा
Varanasi Dev Deepawali देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में शुक्रवार शाम गंगधार स्वर्ण रश्मियों की फुहार से नहाई। इस ओर से लेकर उस छोर तक दोनो किनारे अनगिन दीप टिमटिमाए मानो सुनहरी किरणों के रूप में गंगा के चरण पखारने सितारों की कतार धरती पर चली आई।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Sat, 20 Nov 2021 08:15 AM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी की अदभुत अलौकिक और दिव्य दीपावली चौरासी गंगा घाटों पर अपनी स्वर्णिम आभा बिखेर रही है। शुक्रवार की शाम को दीपों की दपदप, विद्युत झालरों की जगमग, सुरों की खनक, कहीं गीत-संगीत की सरीता बह रही है। फूलों की सुवास तो कहीं चटकीले रंगों का वास। सच कहें तो गंगा की लहरों पर सतरंगी इंद्रधनुष आकाश से उतर आया। देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में शुक्रवार शाम गंगधार स्वर्ण रश्मियों की फुहार से नहाई। इस ओर से लेकर उस छोर तक दोनो किनारे अनगिन दीप टिमटिमाए मानो सुनहरी किरणों के रूप में गंगा के चरण पखारने सितारों की कतार धरती पर चली आई। घाटों पर जगमग तो लहरों पर भी ऐसा बहुरंगी नजारा जिसे देख इंद्रधनुष भी शरमाए। नगर के अनूठे जल ज्योति पर्व देवदीपावली पर गंगा किनारे सजी ऐसी चमत्कारी दृश्यावली, विह्वïल प्रकाश पुकार जिसके सम्मोहनपाश में बंधे बनारस और पूर्वांचल ही नहीं देश भर से लोग खींचे चले आए। इस अद्भुत नजारे को जी-भर कर नयनों में समेटा और विभोर मन हर हर महादेव के उद्घोष से खुद को न रोक पाए।
दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के दौरान यह अनुपम नजारा कैद करने के लिए सैलानियों के कैमरे गंगा की लहरों पर चमकते नजर आए तो गंगा की लहरों पर सवार नौका और बजड़ों से नदी में ट्रैफिक जाम सरीखा नजारा भी दिखा। वहीं पंचगंगा घाट पर हजारा रोशन होते ही हर हर महादेव और हर हर गंगे के जयघोष से घाट गूंज उठा। दूर गंगा की मध्य लहरों पर घाट की अनुपम छवियों के आगे पूर्णिमा के चांद की चांदनी भी आयोजन की भव्यता में फीकी नजर आई।
उत्तरवाहिनी गंगा का विस्तृत पाट टिमटिमाते दीपों की जगमग में डूब गया। इसने गंगा के समानांतर ज्योति गंगा के हिलोर लेने का आभास दिया। आरती की लौ, धूप-दीप, लोबान की सुवास के बीच धार्मिक-सांस्कृतिक अनुष्ठान और अमर शहीदों को भी नमन किया। मां गंगा की महाआरती करते बटुक तो चंवर डोलाती कन्याएं। घंटा-घडिय़ाल, डमरू और वाद्य यंत्रों की टनकार से गंगा के तट पर श्रद्धा और आस्था की भीड़ का महासागर आकार लेता रहा। पहली बार आए मेहमानों के लिए ऐसा दृश्य जो न कभी देखा, न सुनाऔर न किसी ने सुनाया। विभोर इतने हर होंठ ने पुराने जमाने का गीत 'ऐ चांद जरा छिप जा, ऐ वक्त जरा रुक जा... गुनगुनाया।
इस सतरंगी गहने में दमकती जाह्नवी के सौंदर्य के बखान में महाकवि रत्नाकर की पंक्तियों को भी मानोंं आइना दिखाया। त्रिपुर राक्षस वध के उत्सव यानी काशी के अनूठे जलोत्सव देव दीपावली महोत्सव पर भोले बाबा की नगरी में शुक्रवार शाम गंगा ने कुछ ऐसे ही पहना सतरंगी गहना। इसकी छटा निरखने इस बार घाट पर सीएम समेत सरकार तो उतरी ही हर बार की तरह देश-दुनिया से जुटी हजारों-लाखों की भीड़ जिसे न गिन पाना संभव, न आकलन कर पाना ही आसान रहा। इंद्रधनुष से बिखरने वाले चटख रंगों में तन-मन भिगोने को आतुर मेहमानों ने उत्तर वाहिनी गंगा के गले में चंद्रहार की तरह सजे घाटों से लगायत जलधार पर चमकते सितारों को खुली आंखों से दीपमाला की तरह उतरते-बिखरते व निखरते देखा।
काशी की गंगा आरती के वैश्वीकरण के बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन दशाश्वमेध घाट स्थित गंगोत्री सेवा समिति ने आरती के इतिहास में एक नया अध्याय का सृजन करते हुए काशी में 30 साल पहले बाबू महाराज द्वारा शुरू किये गए गंगा आरती का इस वर्ष नेतृत्व पांच कन्याओं ने किया । 1991 के बाद आज इस परिवार की तीसरी पीढ़ी के मान्या दुबे और शिवांश दुबे ने आज के गंगा महाआरती में भाग लिया। नारी शक्ति के सम्मान और उनके बढ़ते कदम की अगुआई के लिए गंगोत्री सेवा समिति ने एक नजीर पेश कर नारी सशक्तिकरण में एक कदम बढ़ाया है।
प्रशासन की ओर से आयोजित किए गए कार्यक्रम- शाम को समस्त घाटों पर दीपदान।-डोमरी में शाम साढ़े सात से रात 10 बजे तक हाट एयर बैलून फेस्टिवल।- राजघाट पर गंगा महोत्सव के तीसरे दिन शाम साढ़े पांच बजे से रात 10 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रमुख कलाकार में अंकित तिवारी।
- चेतसिंह किला पर म्यूजिकल लेजर शो शाम साढ़े सात बजे से।- असि घाट के सामने फायर वर्क्स रात नौ बजे।- समस्त घाटों पर स्पायरल लाइटिंग आकर्षण का केंद्र।
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