Move to Jagran APP

Chhath Puja 2022 : मंगल कामना से जुड़े लोक पर्व डाला छठ में दूसरे दिन पंचमी तिथि में संझवत, जानें मुहूर्त

Chhath Festival 2022 छठ पर्व में दूसरे दिन पंचमी ति‍थि में संझवत का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान दौरान एक समय शाम को मीठा भात (बखीर) या लौकी की खिचड़ी खाने की परंपरा का निर्वहन किया जाता है।

By Arun Kumar MishraEdited By: Abhishek sharmaUpdated: Sat, 29 Oct 2022 09:27 AM (IST)
Hero Image
छठ में दूसरे दिन दौरान एक समय शाम को मीठा भात (बखीर) या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। Sanjhvat in Panchami Tithi : सूर्यदेव की आराधना का लोक पर्व डाला छठ (सूर्य षष्ठी) कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। तिथि विशेष पर महिलाएं व्रत रख कर सायंकाल नदी, तालाब या जल पूरित स्थान में खड़े हो अस्ताचल गामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देती हैं। दीप जला कर रात्रि जागरण के साथ गीत-कथा के जरिए भगवान सूर्य की महिमा का बखान किया जाता है। पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसके विधान 28 अक्टूबर को ही नहाय खाय के साथ शुरू हो गए। समापन उदित सूर्य को अर्घ्य देकर 31 अक्टूबर को होगा।

ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार षष्ठी तिथि (पंचमी में षष्ठी) 30 अक्टूबर को सुबह 8.15 बजे लग रही है जो 31 अक्टूबर को प्रात: 5.53 बजे तक रहेगी। वहीं, 30 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 5.34 बजे होगा और 31 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 6.27 बजे होगा। इस तरह षष्ठी तिथि की हानि है। अरुणोदय काल में द्वितीय अर्घ्य दान के बाद पारन होगा। इस प्रकार 29 अक्टूबर को संझवत, 30 को पहला और 31 को होगा दूसरा अर्घ्य होगा। इस दौरान गंगा स्नान और जप का विशेष महत्व है।

पहले दिन यानी 28 अक्टूबर को चतुर्थी तिथि में नहा-खाकर संयम भोजन से पर्व का आरंभ होगा। इसे नहाय खाय कहते हैं। 29 को पंचमी तिथि में संझवत के दौरान एक समय शाम को मीठा भात (बखीर) या लौकी की खिचड़ी खाई जाती है। 30 को षष्ठी पर व्रत का मुख्य दिन रहेगा। व्रती सायंकाल गंगा तट पर या किसी जल वाले स्थान पर अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देंगे। वहीं, 31 को प्रात : काल अरुणोदय बेला में उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। तदुपरांत पारन किया जाएगा।

वस्तुत : यह व्रत अत्यंत ही कठिन व तपस्यापरक माना गया है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से स्त्रियां पति पुत्र व धन ऐश्वर्य से संपन्न होती है। इस दिन गंगा स्नान जप आदि का विशेष महत्व है। सूर्य पूजन और गंगा स्नान ही इस व्रत का मुख्य है। इस व्रत की पूजन सामग्री में कनेर का लाल फूल, लाल वस्त्र, गुलाल, धूप-दीप आदि का विशेष महत्व है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।