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पद्म पुरस्‍कार 2022 : पद्मश्री स्वामी शिवानंद प्रतिदिन करते हैं योग-प्राणायाम और सेवन करते किचन औषधि, 8 अगस्त 1896 को जन्‍म

स्वामी शिवानन्द इन दिनों वाराणसी के कबीर नगर स्थित आश्रम में ही रह रहे हैं। स्वामी शिवानन्द का जन्म 8 अगस्त 1896 में वर्तमान बंगलादेश के सिलेट जिले के हरीपुर गांव में हुआ था। स्वामीजी ने अपने जीवन के शताधिक वसन्त देखने का राज अपनी लाइफ स्टाइल को बताया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Tue, 25 Jan 2022 10:46 PM (IST)
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स्वामी शिवानन्द इन दिनों वाराणसी के कबीर नगर स्थित आश्रम में ही रह रहे हैं।
वाराणसी, राजेश त्रिपाठी। दुर्गाकुंड स्थित स्वामीशिवानन्द आश्रम में 125 वर्षीय स्वामी शिवानन्द के पास जब शाम पांच बजे गृह मंत्रालय से पद्मश्री पुरस्कार के बावत फोन आया तब उनके वहां खुशी की लहर दौड़ पड़ी। शिष्यों ने फोन करके अन्य शिष्यों को इसकी जानकारी दी। सभी लोग उनके आश्रम में जुटने लगे। बाबा शिवानन्द ने यह जानकर काफी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मैं बहुत खुश हूं। भारतीय जीवन पद्धति और योग पर सबका विश्वास और भी बढ़ेगा। लोग मेरी जीवन शैली और उसमें योग के समावेश से प्रेरणा लेकर अपना जीवन दीर्घ व निरोग बनाएंगे। मुझे बहुत खुशी मिल रही है। उन्होंने अपनी इतनी लंबी उम्र के बारे में दैनिक जागरण से बातचीत किया। बताया कि व्यक्ति साधारण जीवन जीते हुए योग व प्राणायाम को अपनाकर लंबी व निरोग आयु प्राप्त कर सकता है। यजुर्वेद में जीवेद् शरद: शतम की कामना की गई। 125 वर्ष पूरे कर 126वें वर्ष में प्रविष्ट हो स्वामी शिवानन्द को देखकर यह बात सत्य साबित होती है कि हमारी पूर्व की दो से तीन पीढ़ियों तक लोग स्वस्थ रहकर 100 वर्ष से ऊपर जीते थे। स्वामी शिवानन्द सरस्वती 125 वर्ष की उम्र का दावा करते हैं।  उनकी इतनी वर्ष की उम्र तक स्वस्थ्य रहकर जीने के पीछे उनका संयमित दिनचर्या और योग-प्राणायाम है। कोविद 19 के संक्रमण काल में जब 55 वर्ष के ऊपर के लोगों को सचेत रहने की सलाह दी जा रही है तब  स्वामी शिवानन्द का पूरी तरह से स्वस्थ रहना ऐसे ही नहीं है बल्कि प्रतिदिन योग- प्राणायाम और  घरेलू औषधियों का सेवन ही इसकी कुंजी है।  वे घरेलू औषधियां स्वामी जी के किचन में ही मौजूद हैं। उनका कहना है कि कोरोना विनाशक दवाइयां तो हमारे किचन में हैं। हम क्यों ऐसी औषधियों के लिए भटकें। स्वामी जी प्रतिदिन उनका सेवन करते है। 

स्वामी शिवानन्द इन दिनों वाराणसी के कबीर नगर स्थित आश्रम में ही रह रहे हैं। स्वामी शिवानन्द के अनुसार उनका  जन्म 8 अगस्त 1896 में  वर्तमान बंगलादेश के सिलेट जिले के हरीपुर गांव में हुआ था। स्वामीजी ने अपने जीवन के शताधिक  वसन्त देखने का राज अपनी लाइफ स्टाइल को बताया। स्वामी शिवानन्द की मानें तो  आज तक उन्हें जुकाम तक नहीं हुआ।

संयम और श्रीमद्भगवतगीता जीवन का आधार

लंबी आयु के पीछे कारण महज संयमित जीवन पद्धति है। प्रति दिन भोर में तीन बजे उठना और नहाने- धोने के बाद भगवत भक्ति में लीन हो जाना उनकी आदत बन गयी है। प्रतिदिन श्रीमद्भगवदगीता के बंगला अनुवाद का पाठ करते हैं। गीता का श्लोक : - 

अनपेक्ष्य शुचिरदक्ष उदासीन गतव्यथः । 

सर्वारम्भ परित्यागी यो मद भक्त: स में प्रिय: ।

योगासन दिनचर्या में शामिल

कोरोना संक्रमण तो अभी की बात है। स्वामी जी का कहना है कि वे कभी बीमार नहीं पड़े। उन्हें न तो ब्लडप्रेशर है और न सुगर। पिछले वर्ष कोलकाता व चेन्नई के अपोलो अस्पताल में हुई जांचों में वे पूरी तरह स्वस्थ्य बताए गए। 

सर्वांगासन ही मुख्य आसन

स्वामी जी ने बताया कि योगासन उनके जीवन की इतनी लम्बी आयु का राज है। वे प्रतिदिन सर्वांगासन करते हैं। यही उनका मुख्य आसन है। कहते हैं इस आसन को तीन मिनट करने के बाद एक मिनट का शवासन करना जरूरी होता है। यह आसन तीन बार तीन-तीन मिनट में होना चाहिए। उनके अनुसार सर्वांगासन एक मेडिसिन है जो सर्व व्याधि नाशक ( ponacea ) है। इसके साथ ही पवन मुक्तासन, योग मुद्रा, काकी मुद्रा, फ्री हैंड एक्सरसाइज वे करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी लोग कम से कम आधे घण्टे योग करें और कोरोना को भगाएं। 

किचन औषधि का सेवन

स्वामी जी का खानपान भी साधरण है। वे प्रतिदिन कच्ची हल्दी चबाते हैं। साथ ही अदरक, धनिया, लौंग, काली मिर्च व तेजपत्ता के  काढ़ा का सेवन करते है। कहा कि कोरोना की यही दवा है जो हमारे घर के किचन में है।  उन्होंने संदेश दिया कि यदि मेरी तरह दीर्घायु होना चाहते हैं तो योग करें और किचन की औषधि का सेवन करें।

कहते हैं लोग मुझसे मिलें या फोन नम्बर 7696002444पर सम्पर्क करें।

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