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Pandit Madhavrao Sapre Birth Anniversary : पं. माधवराव ने समृद्ध किया विज्ञान शब्दकोश

Pandit Madhavrao Sapre Birth Anniversary वर्ष 1902 में उन्होंने नागरी प्रचारिणी सभा काशी के विज्ञान शब्दकोश योजना को मूर्तरूप देने की जिम्मेदारी अपने हाथ में ली।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 19 Jun 2020 12:56 PM (IST)
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Pandit Madhavrao Sapre Birth Anniversary : पं. माधवराव ने समृद्ध किया विज्ञान शब्दकोश

वाराणसी [अजय कृष्ण श्रीवास्तव]  Pandit Madhavrao Sapre Birth Anniversary (जन्म : 19 जून 1871, पुण्यतिथि : 23 अप्रैल 1926) सुप्रसिद्ध कहानीकार, साहित्यकार पंडित माधवराव सप्रे का काशी से गहरा नाता था। वर्ष 1902 में उन्होंने नागरी प्रचारिणी सभा, काशी के 'विज्ञान शब्दकोश योजना' को मूर्तरूप देने की जिम्मेदारी अपने हाथ में ली। विज्ञान शब्दकोश का ना केवल उन्होंने संपादन किया, बल्कि अर्थशास्त्र की शब्दावली की खोज कर उन्होंने इसे संरक्षित कर समृद्ध भी किया। विज्ञान शब्दकोश को मुकाम देने में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। इस कार्य के लिए उन्हें कई बार वाराणसी आना पड़ा।

पंडित माधवराव सप्रे का जन्म 19 जून 1871 में मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पथरिया ग्राम में हुआ था। मूलत: वह मराठी थे। उनके पूर्वज महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र से आकर यहां बस गए थे। उनका हिंदी से खासा लगाव था। वह कहते थे कि 'मैं मूलत: महाराष्ट्री हूं लेकिन, मुझे मौसी (हिंदी) ने पालकर बड़ा किया है। मौसी यानी हिंदी पर उन्हेंं अभिमान था। मातृभाषा हिंदी उन्नयन में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। वह भारतेंदु युग के लेखकों की तरह पत्रकार व साहित्यकार थे। कहानीकार के रूप में उन्होंने अमिट छाप छोड़ी है। छत्तीसगढ़ मित्रा (1900), हिंदी ग्रंथ माला (1906), हिंदी केसरी (1907) सहित कई पत्र-पत्रिकाओं व पुस्तकों का संपादन प्रकाशन भी किया।

देशभक्ति में छोड़ दी शासकीय नौकरी

पं. सप्रे की मैट्रिक की पढ़ाई बिलासपुर में हुई और 1899 में कोलकाता विश्वविद्यालय से बीए किया। इसी क्रम में उनकी नियुक्ति तहसीलदार पद पर हुई लेकिन, वह शासकीय नौकरी छोड़कर बिलासपुर चले गए। यहां पर 'छत्तीसगढ़ मित्र' नामक मासिक पत्रिका निकाली। हालांकि यह पत्रिका तीन वर्षों में ही बंद हो गई। इसके बाद उन्होंने लोकमान्य तिलक के मराठी केसरी को हिंद केसरी के रूप में छापना शुरू किया। कदम यहीं नहीं रुके, उन्होंने हिंदी साहित्यकारों और लेखकों को एकसूत्र में बांधने की भी कोशिश की। इसी क्रम में नागपुर से हिंदी ग्रंथमाला का प्रकाशन किया। हिंदी साहित्य के महान सपूत पं. माधवराव सप्रे का निधन 23 अप्रैल, 1926 को रायपुर में हुआ।

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