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Gyanvapi: सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग के कुंड को साफ कराने के लिए SC में अर्जी, कहा- वजू करने और मछलियां मरने से आ रही है दुर्गंध

ज्ञानवापी में श्रंगार गौरी और अन्य देवी देवताओं के होने का दावा करते हुए वहां पूजा अर्चना का अधिकार मांगने वाली चार महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। जिसमें कहा है कि कुंड का पानी 16 मई 2022 से साफ नहीं हुआ है। उस कुंड में मौजूद मछलियां 20 दिसंबर 2023 से 25 दिसंबर 2023 के बीच मर गई हैं जिससे वहां कुंड में बहुत दुर्गंध है।

By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Tue, 02 Jan 2024 07:32 PM (IST)
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Gyanvapi: ज्ञानवापी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई नई अर्जी
 माला दीक्षित, नई दिल्ली। मंदिर पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग (जिसे मस्जिद पक्ष फव्वारा कहता है) के कुंड जहां मुस्लिम वजू किया करते थे, को साफ कराने की मांग की है। मंदिर पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि कुंड में मछलियां मर गई हैं जिसके कारण वहां बहुत दुर्गंध है अत: वाराणसी के जिलाधिकारी को आदेश दिया जाए कि वह शिवलिंग के पूरे सील क्षेत्र को साफ कराएं।

मंदिर पक्ष की ओर से बुधवार को इस अर्जी पर कोर्ट से शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया जा सकता है। ज्ञानवापी में श्रंगार गौरी और अन्य देवी देवताओं के होने का दावा करते हुए वहां पूजा अर्चना का अधिकार मांगने वाली चार महिलाओं ने वकील विष्णु शंकर जैन के जरिए सुप्रीम कोर्ट में यह अर्जी दाखिल की है।

ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर द्वारा किये गए सर्वे के दौरान वजू क्षेत्र में मंदिर पक्ष ने शिवलिंग मिलने का दावा किया था हालांकि मस्जिद पक्ष उसे फव्वारा बताता है, कोर्ट के आदेश से 16 मई 2022 से वह पूरा क्षेत्र सील है।

पहले वाराणसी के सिविल जज ने क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया था बाद में 20 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ संशोधनों के साथ उस क्षेत्र को पूरी तरह सील रखने का आदेश दिया था। तभी से वह क्षेत्र सील है। मंदिर पक्ष की ओर से यह अर्जी पहले लंबित अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की विशेष अनुमति याचिका के मामले में दाखिल की गई है।

मंदिर पक्ष की अर्जी में कहा गया है कि सिविल जज द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के दौरान एक पानी के कुंड में शिवलिंग मिला था, जहां पर कमेटी के सदस्य और मुस्लिम समुदाय के लोग वजू करते थे। वह जल कुंड और उसके आसपास का क्षेत्र कोर्ट के आदेश से 16 मई 2022 से सील है।

अर्जी में कहा है कि 17 मई 2022 को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट ने वाराणसी के सिविल जज की अदालत में एक अर्जी दाखिल की थी जिसमें कुंड में मौजूद मछलियों को स्थानांतरित करने के बारे में उचित आदेश मांगा गया था।

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कोर्ट में उस अर्जी का विरोध किया था। अर्जीकर्ता महिलाओं ने कहा है कि कुंड का पानी 16 मई 2022 से साफ नहीं हुआ है। उस कुंड में मौजूद मछलियां 20 दिसंबर 2023 से 25 दिसंबर 2023 के बीच मर गई हैं जिससे वहां कुंड में बहुत दुर्गंध है।

मछलियों की इस स्थिति और उनके मरने के लिए अंजुमन इंतजामिया कमेटी जिम्मेदार है क्योंकि अगर जिला मजिस्ट्रेट के अनुरोध के मुताबिक मछलियां स्थानांतरित कर दी गईं होंती तो यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति नही आती।

मंदिर पक्ष का कहना है कि वहां हिंदुओंका पवित्र शिवलिंग है जिसे किसी भी तरह गंदगी, दुर्गंध या मरे जानवरों से दूर रखा जाना चाहिए। शिवलिंग हमेशा स्वच्छ स्थिति में होना चाहिए जबकि अभी वह मरी मछलियों के बीच है जो कि भगवान शिव के भक्तों के लिए कष्टदायी है।

अर्जी में मांग की गई है कि इस स्थिति को देखते हुए कोर्ट वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को शिवलिंग के पास के पूरे क्षेत्र को साफ करने और वहां स्वच्छता बनाए रखने का आदेश दे।

अर्जीकर्ता के वकील विष्णु शंकर जैन कहते हैं कि वहां बहुत ही गंभीर स्थिति है इसलिए मामले को बुधवार को कोर्ट के समक्ष मेंशन किया जाएगा ताकि वहां जल्द से जल्द सफाई हो।

ज्ञानवापी मामले में पहले से ही मस्जिद पक्ष की तीन याचिकाएं लंबित हैं जिनमें एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने, शिवलिंग के वैज्ञानिक परीक्षण कराने और मंदिर पक्ष के पूरे आधार को चुनौती दी गई है।

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