नई दिल्ली में संसद भवन की छत पर बने राष्ट्रीय प्रतीक का वाराणसी के सारनाथ से संबंध, पीएम मोदी ने किया अनावरण
Central vista नई दिल्ली में नए संसद भवन की छत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय प्रतीक अशोक की लाट का सोमवार को अनावरण किया। अशोक की लाट यानी सिंह शीर्ष को वाराणसी के सारनाथ स्थित बौद्ध खंडहर परिसर से लिया गया है।
By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Mon, 11 Jul 2022 05:04 PM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। नई दिल्ली में बन रहे नए संसद भवन की छत के शीर्ष पर काशी की अनुपम छवि सिंह शीर्ष (अशोक की लाट) के रूप में नजर आएगी। सोमवार को वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में सारनाथ के सिंह शीर्ष के प्रतीक का अनावरण किया। अब नए संसद भवन की छत पर कई फीट ऊंचा यह प्रतीक दूर से ही लोगों को नजर आएगा। इस प्रकार देश की शीर्ष संस्था के इस भवन पर भी काशी की छवि को देखकर लोग गौरव का अनुभव करेंगे।
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सिंह शीर्ष के रूप में अशोक की लाट को स्थापित करने की जानकारी भी ट्विटर पर साझा की है। पीएम ने लिखा है कि - 'आज सुबह, मुझे नई संसद की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण करने का सम्मान मिला।' इसके साथ ही पीएम नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया हैंडल पर वीडियो और फोटो शेयर कर संसद भवन की पहली और अनुपम छवि का अनावरण कर देश में काशी के अनोखे अशोक की लाट को देश को नई संसद भवन की छत पर लोकार्पित किया। अब नए संसद भवन की यह अनोखी पहचान बनने जा रहा है।
नया संसद भवन : पुराने भवन की स्थिरता की चिंताओं के कारण 2010 मेंमौजूदा भवन को बदलने के लिए नए संसद भवन के प्रस्ताव के लिए एक समिति की स्थापना तत्कालीन अध्यक्ष मीरा कुमार ने 2012 में की थी। भारत सरकार ने 2019 में एक नए संसद भवन के निर्माण के साथ प्रधानमंत्री के लिए नया कार्यालय और संसद भवन की संकल्पना के साथ सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना शुरू हुई। नए भवन के लिए भूनिर्माण अक्टूबर 2020 में शुरू हुआ और 10 दिसंबर 2020 को पीएम द्वारा आधारशिला रखी गई थी।
आधुनिक है निर्माण : नया संसद भवन सानी सेंट्रल विस्टा के वास्तुकार प्रभारी बिमल पटेल हैं जिन्होंने काशी विश्वनाथ कारिडोर के काम को भी पूरा किया है। संसद का नया परिसर त्रिकोणीय आकार का होने के साथ ही मौजूदा भवन से काफी बड़ा है। इस भव्य इमारत का 150 से अधिक वर्षों का जीवन होगा। जबकि इसे भूकंप प्रतिरोधी बनाया गया है। पूरे भवन में भारत के विभिन्न हिस्सों से वास्तुशिल्प शैलियों को शामिल किया गया है। सांसदों की संख्या भारत की बढ़ती जनसंख्या और परिणामस्वरूप भविष्य के परिसीमन के साथ बढ़ने को देखते हुए नए परिसर में लोकसभा में 888 सीटें और राज्यसभा में 384 सीटें होंगी। वर्तमान संसद भवन के केंद्रीय हॉल नहीं होगा। इमारत के शेष हिस्सों में मंत्रियों और समिति के कमरों संग चार मंजिला यह पूरा भवन होगा।
सारनाथ से लिया गया प्रतीक : वाराणसी में सारनाथ के पुरातात्विक खंडहर परिसर में बौद्ध कालीन यह स्तंभ परिसर में ही पहले मौजूद था। बाद में पत्थरों से निर्मित सिंह शीर्ष यानी खंबों से ऊपर के हिस्से को सारनाथ के पुरातात्विक संग्रहालय में सामने स्थापित कर दिया गया। सारनाथ में मौजूद इस अशोक की लाट को आजाद भारत में राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर शामिल किया गया। जबकि आज भी इसका मूल प्रारूप सारनाथ के खंडहर परिसर में खंबों के रूप में संरक्षित है तो दूसरी ओर संग्रहालय में इसके शीर्ष को संरक्षित किया गया है।
यह है विशेषता : धर्मचक्र प्रवर्तन की घटना का स्मारक धर्मसंघ की अक्षुण्णता को बनाए रखने के लिए स्थापित किया गया था। यह मीरजापुर में चुनार के लाल बलुआ पत्थर के लगभग 45 फुट लंबे पत्थर का बना हुआ है। जमीन में गड़े आधार को छोड़कर इसका आकार गोलाकार है। सिंह शीर्ष के ठीक कंठ के नीचे उलटा कमल है। गोलाकार कंठ चक्र से चार भागों में हाथी, घोड़ा, सांड़ और ऊपर सिंह की गर्जना करते सजीव आकृतियां हैं। ऊपर शीर्ष में चार सिंह मूर्तियां हैं जो पीछे से एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। इन चारों के बीच में एक छोटा दंड 32 तीलियों का है जो धर्मचक्र को धारण करने का प्रतीक है। स्तंभ का पूरा निचला भाग अपने मूल स्थान पर कांच में सुरक्षित रखा गया है जबकि शेष सारनाथ के संग्रहालय में संरक्षित है।
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