श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा, चार दशक बाद लागू होगी पुजारी सेवा नियमावली
विश्वनाथ मंदिर में पहली बार संस्कृत की अंतर विद्यालयी समेत विभिन्न स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इसमें प्रधानमंत्री को भी आमंत्रित किया जाएगा। इस दौरान न्यास सदस्य संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारीलाल शर्मा के आग्रह पर संविवि को भवन मरम्मत और रखरखाव के लिए एक करोड़ रुपये तक का बजट न्यास परिषद की ओर से देने की सहमति दी गई।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में चार दशक बाद पुजारी सेवा नियमावली लागू होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। मंदिर न्यास परिषद की गुरुवार को आयोजित 105वीं बैठक में इस पर चर्चा की गई। समस्त बिंदुओं पर विचार-विमर्श के बाद परिषद ने सर्वसम्मति से सहमति प्रदान कर दी। प्रदेश सरकार ने 1983 में मंदिर का अधिग्रहण किया था।
नियमावली में नियुक्ति प्रक्रिया समेत कई मुद्दों को शामिल किया गया
इसके बाद प्रस्ताव तो कई बार पारित हुए, लेकिन सेवा नियमावली अब बन पाई है। इसमें पुजारियों की नियुक्ति प्रक्रिया, वेतनमान, सेवानिवृत्ति समेत समस्त बिंदुओं को शामिल किया गया है। मंदिर में लगभग 50 पुजारी होंगे जिसमें प्रधान, कनिष्ठ व सहायक पुजारी आदि श्रेणियां होंगी।
मंदिर न्यास परिषद की बैठक में तय किया गया कि कक्षा छह से 12 तक के सभी बच्चों को निश्शुल्क पुस्तक-ड्रेस दी जाएगी। विद्यालयों को वाद्ययंत्र भी दिया जाएगा। एक-दो माह में ही इसे क्रियान्वित कर लिया जाएगा।
एक करोड़ रुपये तक का बजट न्यास परिषद की ओर से देने की सहमति दी गई
इसके अलावा विश्वनाथ मंदिर में पहली बार संस्कृत की अंतर विद्यालयी समेत विभिन्न स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इसमें प्रधानमंत्री को भी आमंत्रित किया जाएगा।इस दौरान न्यास सदस्य संपूर्णानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारीलाल शर्मा के आग्रह पर संविवि को भवन मरम्मत और रखरखाव के लिए एक करोड़ रुपये तक का बजट न्यास परिषद की ओर से देने की सहमति दी गई। प्रतिदिन बाबा का भोग-प्रसाद शहर के स्टेशन, बस अड्डे और घाटों पर रहने वालों को वितरित किया जाएगा।
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