संस्कृत कालेजों में अध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू, पत्रावलियों को खंगालने में जुटा संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन
सूबे के संस्कृत महाविद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्तियां संविदा पर होने की संभावना जताई जा रही है। वहीं दूसरी ओर नियुक्तियों को लेकर जिन महाविद्यालयों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन उन महाविद्यालयों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
By Anurag SinghEdited By: Updated: Sun, 31 Oct 2021 07:40 AM (IST)
जागरण संवाददाता, वाराणसी। सूबे के संस्कृत महाविद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्तियां संविदा पर होने की संभावना जताई जा रही है। वहीं दूसरी ओर नियुक्तियों को लेकर जिन महाविद्यालयों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन उन महाविद्यालयों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत विश्वविद्यालय प्रशासन नियुक्ति पत्रावलियों को खंगालने में जुटा हुआ है।
संस्कृत विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र ने वर्ष 2013 में संस्कृत महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियां खोल दी थीं। इसके तहत सूबे के करीब 150 से अधिक महाविद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्तियों के लिए विश्वविद्यालय ने विशेषज्ञ नामित किए। इसके तहत सूबे में करीब 500 शिक्षकों की नियुक्तियां हुईं। इस बीच वर्ष 2018 में शासन ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध संस्कृत महाविद्यालयों में नियुक्ति का अधिकार छीन लिया। शासन ने संस्कृत महाविद्यालयों में आयोग के माध्यम से नियुक्तियां कराने का एलान किया। शासन के फरमान पर विश्वविद्यालय ने संस्कृत कालेजों में अध्यापकों की नियुक्तियां बीच में ही रोक दी जबकि विश्वविद्यालय अध्यापकों की नियुक्ति के लिए सूबे के करीब 40 कालेजों में विशेषज्ञ भी नामित कर चुका था।
इसे लेकर कुछ संस्कृत महाविद्यालय उच्च न्यायालय चले गए। महाविद्यालयों का तर्क था कि शासन ने विश्वविद्यालय के परिनियम अब तक संशोधित नहीं की है। ऐसे में विश्वविद्यालय के पास अब भी नियुक्ति करने का अधिकार है। ऐसे में नियुक्तियों पर रोक लगाने से पहले जिन महाविद्यालय में नियुक्ति की प्रक्रिया जारी थी। उसे रोकना गैर वैधानिक है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को ऐसे महाविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया 56 दिन के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट के निर्देश पर विश्वविद्यालय ऐसे कालेजों में नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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