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बनारस में बन रहा पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र, बेची जाएगी बिजली

पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में बन रहा है। यह 220 केवी जीआइ बेस्ड उपकेंद्र होगा और प्रदेश में तीन और निजी जीआइ बेस्ड उपकेंद्र बनाए जा रहे हैं। इस उपकेंद्र को निजी कंपनी मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड बना रही है और इसके लिए 16 जुलाई को लेटर आफ इंटेट जारी किया गया था। यह उपकेंद्र डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जाएगा।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 31 Aug 2024 12:49 PM (IST)
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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परिसर में बनाया जा रहा नया उपकेंद्र। जागरण
 मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, जागरण वाराणसी। पूर्वांचल का पहला निजी ट्रांसमिशन उपकेंद्र संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में बन रहा है। यह पूर्वांचल का पहला 220 केवी जीआइ बेस्ड उपकेंद्र भी है। इसके साथ ही प्रदेश में तीन और निजी जीआइ बेस्ड उपकेंद्र बन रहे हैं।

इसमें जेवर में 400 केवी, गौतमबुद्धनगर व खागा में 220 केवी का विद्युत पारेषण उपकेंद्र शामिल है। यह निजी उपकेंद्र मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी बना रही है। इसको निजीकरण की ओर ले जाने का यह कदम बताया जा रहा है।

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में इस ट्रांसमिशन उपकेंद्र के लिए 16 जुलाई को ही कंपनी को लेटर आफ इंटेट (एलओआइ) यानी आशय पत्र जारी कर दिया था। ये उपकेंद्र डेढ़ साल में बन जाएंगे, जो अपने-अपने क्षेत्र के विद्युत उपकेंद्रों में बिजली बेचेंगे।

कंपनी इसके लिए विभाग को मात्र प्रति यूनिट 19 पैसे ही लाइन चार्ज के रूप में देगी। यह उपकेंद्र टैरिक बेस्ड कंपटिटिव बिडिंग (टीबीसीबी) आधारित होगा, जो दूसरे वितरण उपकेंद्रों को बिजली बेचेगा। अभी तक वितरण उपकेंद्र सरकारी विद्युत पारेषण उपकेंद्र से बिजली लेते हैं।

संपूर्णानंद संस्कृत विवि परिसर में बन रहे पारेषण उपकेंद्र को 132 केवी उपकेंद्र सारनाथ व गजोखर से जोड़ने की तैयारी है। फिलहाल सारनाथ व गखोजर में जौनपुर व 400 केवी उपकेंद्र सारनाथ से आपूर्ति आती है। संपूर्णानंद विवि में इस उपकेंद्र के बन जाने से सारनाथ व जौनपुर का भार कम होगा।

साथ ही 220 केवी पारेषण उपकेंद्र भेलूपुर को भी राहत मिलेगी। कारण कि इस नए उपकेंद्र से शहर के 33 केवी के पांच बिजली घर चौकाघाट, काशी विद्यापीठ, नगर निगम, सांस्कृतिक संकुल, पांडेयपुर व भेलवरिया जुड़ेंगे। इससे कैंट, भेलपूर व अन्य उपकेंद्रों का भी भार कम होगा।

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