PM नरेंद्र मोदी के आगमन से पहले रेलवे ने दी काशी को सौगात, मंडुआडीह स्टेशन का नाम अब बनारस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र स्थित मंडुआडील रेलवे स्टेशन को अब बनारस रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाएगा। काशी के सांसद व देश के पीएम नरेंद्र मोदी के आगमन की पूर्व संध्या पर वाराणसी को रेलवे से भी बड़ी सौगात मिली है।
By Umesh TiwariEdited By: Updated: Thu, 15 Jul 2021 09:17 AM (IST)
वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र स्थित मंडुआडील रेलवे स्टेशन को अब बनारस रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाएगा। काशी के सांसद व देश के पीएम नरेंद्र मोदी के आगमन की पूर्व संध्या पर वाराणसी को रेलवे से भी बड़ी सौगात मिली है। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म से लेकर मुख्य भवन पर बनारस के नाम का बोर्ड भी लग गया। नए बोर्ड पर हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी और उर्दू में बनारस लिख दिया गया है।
वाराणसी के साथ ही काशी और बनारस भी क्षेत्रीय लोकाचार की भाषा में प्रसिद्ध है। यहां पहले से वाराणसी, काशी और वाराणसी सिटी के नाम से तीन स्टेशन हैं। बनारस के नाम से कोई स्टेशन नहीं था। पिछले कुछ साल से शहर के बीच में स्थित मंडुवाडीह स्टेशन को नई साज सज्जा मिली तो इसका नाम बनारस करने की मांग उठने लगी। यह रेलवे स्टेशन एयरपोर्ट जैसा अहसास देता है।बुधवार को पूर्वोत्तर रेलवे, वाराणसी मंडल के अंतर्गत वाराणसी-प्रयागराज रेल खंड पर स्थित मंडुआडीह रेलवे स्टेशन का नाम बनारस करने की स्वीकृति रेलवे बोर्ड से मिल गई है। स्टेशन पर बोर्ड बदल दिया गया है, जिस पर हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी व उर्दू में बनारस लिखा है। स्टेशन का कोड बीएसबीएस होगा। काशी के विद्वतजन की मांग पर स्टेशन की नाम पट्टिका पर संस्कृत में भी इसका नाम (बनारस) अंकित किया जा रहा है। रात 12 बजे (15 जुलाई, 2021) से इस स्टेशन से जारी होने वाले टिकटों पर स्टेशन का नाम बनारस व स्टेशन कोड बीएसबीएस अंकित होकर जारी होगा।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बनारस शिव की नगरी रूप में ख्यात है। शिव की नगरी के पर्यायवाची शब्दों में बनारस क्षेत्रीय लोकाचार की भाषा में प्रसिद्ध है। विकास की परिकल्पनाओं को साकार करते हुए मंडुआडीह रेलवे स्टेशन को नया स्वरूप प्रदान किया गया है। यह रेलवे स्टेशन हवाई अड्डे सरीखा दिखता है। विशाल प्रतिक्षालय क्षेत्र, विभिन्न श्रेणियों के प्रतीक्षालय, उच्च श्रेणी का यात्री विश्रामालय, एस्केलेटर (सीढ़ियां), लिफ्ट, फूड प्लाजा, कैफेटेरिया, वीआइपी लाउंज, पार्किंग, सेल्फी प्वाइंट, राष्ट्रीय ध्वज, धरोहर के रूप में छोटी लाइन का इंजन, विस्तृत ग्रीन और स्वच्छ सर्कुलेटिंग एरिया, आधुनिक बुकिंग व आरक्षण कार्यालय, फूड कोर्ट, सभी सुविधाओं से परिपूर्ण वेटिंग रूम के साथ परिसर में फव्वारे और बैठने की जगह इसे विश्वस्तरीय बनाते हैैं।
डीआरएम विजय पंजियार ने कहा कि रेलवे बोर्ड की स्वीकृति के बाद नाम परिवर्तित करने का कार्य प्रारंभ हो गया है। प्लेटफार्म से लेकर मुख्य गेट तक नाम बदल दिए गए हैं। यहां से संचालित ट्रेनों की बोगियों पर भी नाम बदले गए हैं। बनारस के नजदीक स्थित मंडुआडीह रेलवे स्टेशन आपको एयरपोर्ट जैसा अहसास देता है। रेलवे देश में कई स्टेशनों को विश्वस्तरीय बनाना चाहता है। मंडुआडीह स्टेशन इसका एक नमूना है। यह न केवल बेहद खूबसूरत है बल्कि यहां उपलब्ध यात्री सुविधाएं भी बेमिसाल हैं।
गौरतलब है कि बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय ने वाराणसी के मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदले का फैसला किया था। इस संबंध में सरकार के कई स्तरों पर जरूरी कार्रवाई पूरी की जा रही थी। मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वाराणसी किए जाने की मांग लंबे समय से लंबित थी, जिस पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने नाम परिवर्तन को स्वीकृति दी थी।
मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग समय-समय पर उठाई जाती रही, लेकिन इसे मूर्तरूप देने का काम पूर्व केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज कुमार सिन्हा ने किया। उन्होंने वर्ष 2014-15 में रोहनिया स्थित एढे गांव में आयोजित एक जनसभा में मंडुआडीह स्टेशन का नाम बदलने का वादा किया था। मनोज सिन्हा ने इस दिशा में मंत्रालय की स्वीकृति प्रदान करने के पश्चात राज्य और केंद्र को फाइल बढ़ा दिया था। कैस बनारसी फाउंडेशन और जनजागृति समिति ने भी नाम बदलने की वकालत की थी।
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