Move to Jagran APP

Ramlila of Ramnagar : वाराणसी में Ramlila प्रेमी पहुंचे क्षीर सागर, प्रभु श्रीराम का किया स्मरण

कोरोना संक्रमण के कारण इस बार वाराणसी में रामलीला को लेकर संशय है और अनंत चतुर्दशी पर इसका आरंभ नहीं हो रहा दर्जनों लीलाप्रेमी रामनगर पहुंचे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Tue, 01 Sep 2020 09:48 AM (IST)
Hero Image
Ramlila of Ramnagar : वाराणसी में Ramlila प्रेमी पहुंचे क्षीर सागर, प्रभु श्रीराम का किया स्मरण
वाराणसी, जेएनएन। रामनगर की रामलीला यूं ही जगत विख्यात नहीं है, इसके साथ लाखों-लाख श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है। भक्ति भावना जुड़ी है। इसका ही असर रहा कि यह जानते हुए भी कि कोरोना संक्रमण के कारण इस बार रामलीला को लेकर संशय है और अनंत चतुर्दशी पर इसका आरंभ नहीं हो रहा, दर्जनों लीलाप्रेमी रामनगर पहुंचे। परंपरा के अनुसार पोखरे में स्नान-ध्यान और खुद की साज-संवार की। पारंपरिक वेशभूषा  धारण की। समस्त लीला स्थलों को प्रणाम किया।

रामबाग पोखरे में क्षीरसागर की झांकी का स्मरण किया। कोलकाता से हर साल लीला देखने आने वाले राजन यादव को नही पता था कि रामलीला इस बार नही होगी।अब आए तो प्रभु का स्मरण कैसे नही करते। मानसरोवर घाट  के रहने वाले कन्हैया लाल यादव, मुकुंद यादव, दिनेश लाल यादव, बाबू यादव, शीतला प्रसाद, राज यादव, राहुल, विक्की आदि के साथ रामनगर पहुंचे। जैसे हर साल रामलीला की तैयारी करते हैं वैसे ही तैयार हुए। माथे पर चंदन, लाठी, झक सफेद धोती, कुर्ता, गमछा तथा इत्र आदि धारण कर रामबाग, रतन बाग, अयोध्या, पंचवटी, लंका, जनकपुर आदि रामलीला स्थलों पर पहुंचे और वहां की मिट्टी को माथे लगाकर साष्टांग दंडवत किया। उनका कहना था कि रामलीला का कोई विकल्प निकलना चाहिए। अब तो काशीराज परिवार के अनंत नारायण ङ्क्षसह पर ही सब कुछ निर्भर है। हमें रामनगर तो आना ही है। किसी तरह आरती के दर्शन हो जाएं तो जीवन धन्य हो जाएगा। बहरहाल रामलीला नही होने से सब निराश हैं। किला स्थित दुकानदार कल्लू चौरसिया परेशान है तो रामलीला प्रेमियों के लिए तो रामलीला न होना किसी सदमे से कम नहीं।

सवा दो सौ साल पुरानी रामनगर की रामलीला की वैश्विक ख्याति

धर्म नगरी काशी में रामलीला का समृद्ध इतिहास रहा है। चित्रकूट और लाटभैरव की रामलीला करीब साढ़े चार सौ साल प्राचीन तो लगभग सवा दो सौ साल पुरानी रामनगर की रामलीला की वैश्विक ख्याति है। एक दो दिन या प्रसंग की बात तो छोड़ दें तो कभी एेसा नहीं हुआ की ये लीलाएं तय तिथि से डिग जाएं लेकिन इस बार कोरोना संकट ने संशय की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।