Ramnagar Ki Ramlila : काशी में आज जन्मेगा दशानन रावण, मानस की चौपाइयों से गूंजेगा लीलास्थल
Ramlila of Ramnagar रामनगर की रामलीला आज अनंत चतुर्दशी के दिन रावण जन्म के साथ ही शुरू हो जाएगी। मानस की चौपाइयों से रामलीला का आरंभ होगा तो काशी कोरोना काल के बाद दोबारा उत्सव में डूबी नजर आएगी।
By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Fri, 09 Sep 2022 08:34 AM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। यूनेस्को की धरोहरों में शामिल विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला की औपचारिक शुरुआत के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन लंकेश दशानन रावण के जन्म के साथ ही रामलीला का आगाज हो जाएगा। सदियों की परंपरा काशी में रामलीला के रूप में शाम होते ही शुरू होगी तो कोरोना काल के दो साल के अंतराल के बाद यह पहला मौका होगा जब रामलीला का मंचन रामनगर में पुरातन परंपरा के अनुरूप होगी। पूर्व में ही मंच सजकर तैयार है तो काशी के लोग भी इस अनुपम क्षण को अपने नैनों में कैद करने के लिए उतावले भी हैं।
रामलीला के आयोजन की शुरुआत की कई परंपराएं हैं, जिनमें पात्रों के चयन और गणेश पूजन आदि की प्रमुख परंपराओं का निर्वहन हो चुका है। अब आधिकारिक रूप से शाम होते ही लंकेश रावण के अनंत चतुर्दशी पर जन्म के साथ ही काशी की विश्वप्रसिद्ध रामलीला का आगाज शंखनाद के साथ ही प्रारंभ हो जाएगा। हर हर महादेव और जय श्री राम के उद्घोष के साथ ही रामनगर की रामलीला मंच पर शुरू होगी तो पंचलाइट और महताबी रोशनी में रामलीला अपनी परंपराओं को दोहराती नजर आएगी। माह भर तक काशी लीला की परंपराओं से निहाल रहेगी तो लीला प्रेमियों से रामनगर की धरती भी त्रेतायुगीन पात्राें से जीवंत नजर आएगी।
रामनगर की रामलीला के पहले दिन के आयोजन में रावण जन्म, दिग्विजय, क्षीरसागर की झांकी, देव स्तुति और आकाशवाणी का मंचन होना है। लिहाजा, सुबह ही पात्रों का रिहर्सल पूर्ण हुआ तो परंपराओं के निर्वहन के क्रम में रामनगर के किले से पात्रों का लीला स्थल पर पहुंचने का क्रम भी शाम से शुरू हो जाएगा। इसके बाद पूजन की परंपरा और काशी नरेश के आगमन के साथ ही मानस गान की परंपराएं विधि पूर्वक पूर्ण होंगी और इसी के साथ काशी का एक और लक्खा मेला रामनगर में माह भर के लिए त्रेतायुगीन माहौल में डूब जाएगा। देश विदेश से आने वाले आस्थावालों का अनवरत मेला दोपहर बाद से लगना शुरू हो जाएगा।
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