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भारत-जापान संबंधों के प्रतीक रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का हुआ लोकार्पण, दस बिंदुओं में जानें इसकी विशेषता

काशी के प्रबुद्ध जनों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लंबे समय बाद आपके बीच आने का मौका मिला है। बनारस का मिजाज ऐसा है कि अरसा भले लंबा हो जाए लेकिन शहर मौका मिलने पर एक साथ रस भरकर दे देता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Thu, 15 Jul 2021 03:27 PM (IST)
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भारत और जापान मैत्री का प्रतीक रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकार्पण किया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। भारत और जापान मैत्री का प्रतीक रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकार्पण किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान के कल्‍चर पर परफेक्‍शन और प्‍लानिंग के साथ काम किया और आज भव्‍य इमारत काशी की शोभा बढ़ा रही है। भविष्‍य की संभावनाओं का स्रोत है। अपने पन पर जापान से ऐसे ही सांस्‍कृतिक संबंध की रूपरेखा खींची थी। विकास के साथ दोनों देशों के रिश्‍तों में मिठास का अध्‍याय लिखा जा रहा है।

काशी के प्रबुद्ध जनों को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि लंबे समय बाद आपके बीच आने का मौका मिला है। बनारस का मिजाज ऐसा है कि अरसा भले लंबा हो जाए लेकिन शहर मौका मिलने पर एक साथ रस भरकर दे देता है। काशी ने बुलाया तो एक साथ विकास कार्यों की झड़ी लगा दी। महादेव के आशीर्वाद से काशीवासियों ने विकास की गंगा बहा दी है। सैकड़ों करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्‍यास हुआ है। काशी का वैभव आधुनिक स्‍वरुप के अस्‍तित्‍व में आ रहा है। बाबा की नगरी थमती और रुकती नही है। स्‍वभाव को सिद्ध किया है। कोरोना में दुनिया ठहर गई तो काशी संयमित हुई अनुशासित हुई लेकिन स्रजन और विकास की धारा बहती रही।

काशी के विकास के आयाम रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर आज इसी रचनात्‍मकता और गतिशीलता का परिणाम है। काशी के हर जन को बधाई देता हूं। भारत के परम मित्र जापान और पीएम के साथ जापान के राजदूत को भी धन्‍यवाद देता हूं। जापान के पीएम का संदेश देखा। उनकी वजह से यह उपहार मिला है। जापानी पीएम उस समय चीफ सेक्रेटरी थे और तबसे इसमें व्‍यक्तिगत तौर पर शामिल रहे। इस आयोजन में एक और व्‍यक्ति जिनको भूल नहीं सकता। शिंजो आबे जी, मुझे याद है जब वह पीएम के तौर पर काशी आए थे तो रुद्राक्ष के आइडिया पर लंबी चर्चा की। उन्‍होंने तुरंत अधिकारियों को निर्देश दिया और  रुद्राक्ष के साथ ही गुजरात में भी जापान में जापानी गार्डन और एकाडमी का लोकार्पण हुआ था।

वैसे ही जैन गार्डन भी दोनों देशों के बीच सुगंध फैला रहा है। जापान भारत के सबसे विश्‍वसनीय दोस्‍तों में एक है। पूरे क्षेत्र में नैचुरल पार्टनर में एक हैं। विकास और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में जापान हमारा साझेदार है। हाईस्‍पीड रेल, कारीडोर जापान के सहयोग से न्‍यू इंडिया की ताकत बन रहे हैं। हमारा विकास हमारे उल्‍लास के साथ जुड़ा होना चाहिए। विकास सर्वमुखी सबके लिए और सबको जोड़ने वाला होना चाहिए। पुराणों में कहा गया है कि सबके हित के लिए सबके कल्‍याण के लिए आंसुओं से गिरा रुद्राक्ष है, उनकी अंश्रुबूंंद मानव प्रेम का प्रतीक है। रुद्राक्ष भी दुनिया को आपसी प्रेम कला संंस्‍कृति से जोड़ने का काम करेगा।

काशी सबसे पुराना शहर है। सीर से सारनाथ ने सबकुछ संजोकर रखा है। ठुमरी दादरा ख्‍याल कजरी चैती जैसी बनारस की चर्चित विख्‍यात गायन शैलियां सारंगी पखावज शहनाई हो बनारस के रोम रोम से गीत संगीत कला झरती है। घाटों पर कलाएं विकसित हुईं। बनारस गीत संगीत और धर्म आध्‍यात्म विज्ञान का केंद्र है। कल्‍चरल इवेंट के लिए बनारस आइडियल लोकेशन है। लोग देश विदेश से आना चाहते हैं। सुविधा मिले तो कला जगत के लोग बनारस को प्राथमिकता देंगे। रुद्राक्ष इन्‍हीें को साकार करेगा और केंद्र बनेगा। बनारस में कवि सम्‍मेलन के फैन दुनिया में हैं। भारत जापान को भी इससे मजबूती मिलेगी। महादेव के आशीर्वाद से काशी की पहचान बनेगा यह केंद्र। जापान सरकार, प्रधानमंत्री का आभार व्‍यक्‍त करता हूं और बाबा आप सभी को खुश स्‍वस्‍थ और सजग रखें। कोरोना प्रोटोकाल का पालन करें। हर हर महादेव।

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर की खास बातें

यह एक अद्वितीय कन्वेंंशन सेंटर है जिसमें जापानी और भारतीय वास्तु शैलियों का संगम दिखता है।

1- इस सेंटर में 1200 लोगों के बैठने की सुविधा है, पार्किंग और दिव्‍यांगों के लिए सुविधा है।

2- हाल को लोगों की संख्या के अनुरूप दो हिस्सों में विभाजित करने की व्यवस्था की गई है। कन्वेंंशन सेंटर पूर्णत: वातुनुकुलित है। बड़े हॉल के अलावा 150 लोगों की क्षमता वाला एक मीटिंग हाल है। इसके अतिरिक्त यहां एक वीआईपी कक्ष, चार ग्रीन रूम का निर्माण कराया गया है।

3- दिव्यांगजनों की सुविधा की दृष्टि से पूरे परिसर को सुविधाजनक बनाया गया है।

4- सेंटर को सांस्कृतिक व आधुनिक समागम के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। यह सेंटर शिवलिंग के आकार में निर्मित है। इसमें जापानी और भारतीय दोनों ही प्रकार की वास्तुशैलियों का संगम दिखता है।

5- सेंटर के बाहरी हिस्से में 108 सांकेतिक रुद्राक्ष लगाए गए हैं, जो एल्युमिनियम के बने हैं। तीन एकड़ में तैयार कन्वेंंशन सेंटर परिसर में जापानी शैली का गार्डन व लैंडस्केपिंग भी की गई है।

6- पार्किंग सुविधा को सुलभ बनाने के आशय से बेसमेंट में 120 गाडिय़ों के पार्किंग की व्यवस्था की गई है।

7- सुरक्षा की दृष्टि से सेंटर में सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं।

8- विद्युत आपूर्ति के लिए बिजली कनेक्शन के साथ-साथ सौर ऊर्जा का भी प्रबंध किया गया है।

9- हैंडीक्राफ्ट और शिल्‍प को पहचान मिल रही है।

10- अब रुद्राक्ष काशी ने धारण कर लिया है तो शोभा बढ़ेगी। इसका पूरा उपयोग करना है। सांस्‍कृतिक सौंदर्य प्रतिभा को इससे जोड़ना है।

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