संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : 150 सीसी टीवी कैमरे से रोकेंगे परीक्षा अभिलेखों में हेराफेरी, कुलपति कक्ष से मानीटरिंग
परीक्षा अभिलेखों के रखरखाव को लेकर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में कई बार सवाल उठ चुका है। इससे विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब गोपनीय विभाग में भी सीसी टीवी कैमरा लगवाने का निर्णय लिया है।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Tue, 31 May 2022 06:47 PM (IST)
जागरण संवाददाता, वाराणसी : परीक्षा अभिलेखों के रखरखाव को लेकर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में कई बार सवाल उठ चुका है। इससे विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब गोपनीय विभाग में भी सीसी टीवी कैमरा लगवाने का निर्णय लिया है। ऐसे में क्रास लिस्ट, टेबुलेशन रजिस्ट्रर (टीआर), अंकपत्रों का सत्यापन अब कैमरे के जद में होगा ताकि अभिलेखों में किसी प्रकार की छेड़छाड़ न किया जा सके।
विश्वविद्यालय के परीक्षा अभिलेखों व्यापक पैमाने पर हेराफेरी हुई है। टीआर पर हुए कटिंग व ओवर राइटिंग पर किसी जिम्मेदार अधिकारी का हस्ताक्षर तक नहीं है। यही नहीं टीआर के पन्ने भी बदल दिए गए हैं। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद वर्ष 1995 से 2009 तक के परीक्षा अभिलेख को संदिग्ध घोषित कर चुकी है। इसकी जांच भी चल रही थी। इसे देखते हुए कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने प्रमुख विभागों के कमरों में भी कैमरा लगवाने का निर्णय लिए है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के अनुदान से परिसर में करीब 150 कैमरा लगवाए जा रहे हैं। इस क्रम में गोपनीय विभाग, संबद्धता, लेखा, परीक्षा भवन सहित प्रमुख विभागों के कक्षों में कैमरा लगाया जा चुका है। कैमरा लगाने का क्रम अभी जारी है। इसकी मानीटरिंग स्वयं कुलपति करेंगे। इसके लिए कुलपति कक्ष में बड़ी स्क्रीन की एलईडी टीवी भी लगाई गई है। ऐसे में अब परीक्षा अभिलेखों में छेड़छाड़ करना आसान नहीं होगा।
परीक्षा समिति की बैठक का संकायाध्यक्षों ने किया बहिष्कार
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति की कार्यशैली से क्षुब्ध संकायाध्यक्षों ने मंगलवार को परीक्षा समिति की बैठक का बहिष्कार कर दिया। इसके चलते शोध प्रवेश परीक्षा का परिणाम फिलहाल अटक गया है।शोध प्रवेश परीक्षा परिणाम अनुमोदित कराने के लिए कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने मंगलवार को दोपहर 3.30 बजे परीक्षा समिति की आपात बैठक बुलाई थी। सदस्यों की इसकी सूचना दोपहर करीब डेढ़ बजे दी गई। इसकी सूचना मिलते ही अनुसंधान निदेशक प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी ने अध्यापकों की एक बैठक बुलाई। इसमें अध्यापकों ने कुलपति पर मनमाने तरीके से कार्य करने का आरोप लगाया। कहा कि परीक्षा समिति के सदस्यों को बगैर विश्वास में लिए कुलपति ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आयोजित पात्रता परीक्षा का परिणाम 30 मई को रात 11 बजे जारी कर दी। अब छात्रों के दबाव में शोध प्रवेश परीक्षा के रिजल्ट के बहाने पात्रता परीक्षा का भी परिणाम अनुमोदन कराने के लिए आपात बैठक बुलाई है। परीक्षा समिति की बैठक का बहिष्कार करने वालों में प्रो. रमेश प्रसाद, प्रो. महेंद्र पांडेय, डा. विजय कुमार पांडेय सहित अन्य संकायाध्यक्ष शामिल थे।
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