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Varanasi: वाराणसी के संजय सिंह बने WFI के नए अध्यक्ष, कुश्ती को अखाड़े से गद्दे तक लाने में रहा अहम योगदान

Varanasi बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र वाराणसी के संजय सिंह को गुरुवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का नया अध्यक्ष चुना गया। चुनाव का परिणाम आने के साथ ही साक्षी मलिक ने विरोध में कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। डब्ल्यूएफआई कार्यालय से कुछ दूरी पर साक्षी बजरंग और विनेश फोगाट ने प्रेस कांफ्रेंस की। संजय सिंह ने पूर्वांचल के लिए काफी काम किया है।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Fri, 22 Dec 2023 11:46 AM (IST)
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वाराणसी के संजय सिंह बने WFI के नए अध्यक्ष
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र वाराणसी के संजय सिंह को गुरुवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का नया अध्यक्ष चुना गया। चुनाव में संजय सिंह के पैनल ने 15 पदों में से 13 पर जीत दर्ज की। उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय के पक्ष में 40 वोट पड़े, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी और 2010 राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण को केवल सात वोट मिले।

चुनाव से पहले ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से अनुरोध किया था कि बृजभूषण से जुड़े किसी भी व्यक्ति को डब्ल्यूएफआई के चुनाव लड़ने से रोका जाए, जिसके बाद बृजभूषण के बेटे प्रतीक और उनके दामाद विशाल सिंह चुनाव में नहीं उतरे थे। इसके बाद संजय सिंह ने चुनाव लड़ा।

जीत के बाद ये बोले संजय सिंह

जीत के बाद संजय सिंह ने कहा, ये देश के उन हजारों पहलवानों की जीत है, जो पिछले महीनों से परेशान हैं। हम राजनीति का राजनीति से और कुश्ती का कुश्ती से जवाब देंगे।

साक्षी ने लिया संन्यास

चुनाव का परिणाम आने के साथ ही साक्षी मलिक ने विरोध में कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। डब्ल्यूएफआई कार्यालय से कुछ दूरी पर साक्षी, बजरंग और विनेश फोगाट ने प्रेस कांफ्रेंस की। साक्षी ने टेबल पर अपने जूते रखकर कहा, ‘हमने दिल से लड़ाई लड़ी लेकिन बृजभूषण जैसे व्यक्ति, उसके बिजनेस साझीदार और करीबी सहयोगी को डब्ल्यूएफआइ का अध्यक्ष चुना गया है तो मैं कुश्ती छोड़ती हूं। हम एक महिला अध्यक्ष चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

कुश्ती को अखाड़े से गद्दे तक ले आए संजय सिंह

वाराणसी समेत पूर्वांचल में कुश्ती अरसे से परंपरागत तरीके से अखाड़ों में मिट्टी पर खेली जाती थी। इसे गद्दे पर लाने में भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने गए संजय सिंह ने अहम भूमिका निभाई। महिला कुश्ती को खूब बढ़ावा दिया जिसका परिणाम रहा कि यहां अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय पहलवान की लंबी सूची बन गई। मूलरूप से चंदौली के झांसी गांव के रहने वाले हैं, लेकिन उनकी कार्य स्थली बनारस ही रही। वर्तमान में दुर्गाकुंड के कबीर नगर कालोनी में रहते हैं।

एलएलबी की करी है पढ़ाई

संजय सिंह ने बीएचयू से बीएड और एलएलबी की पढ़ाई की। खेल खासतौर पर कुश्ती से उनका विशेष लगाव रहा। वर्ष 2008 में वाराणसी कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद उन्होंने मिट्टी पर खेले जाने वाली कुश्ती को गद्दे पर लाने का प्रयास शुरू किया क्योंकि इसके जरिए ही वह मान्यता प्राप्त कुश्ती प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपने करियर बना सकते थे। उन्होंने प्रमुख अखाड़ों को गद्दा भी उपलब्ध कराया। उनका प्रयास सफल रहा और खिलाड़ियों ने गद्दे पर अभ्यास शुरू किया। इसके साथ ही महिला कुश्ती को भी प्रोत्साहित करना शुरू किया। उन्हें बेहतर पता था कि पूर्वांचल की महिला खिलाड़ियों में क्षमता है लेकिन मौका नहीं मिल पा रहा है। उनका यह प्रयास भी रंग लाया और बड़ी संख्या में महिला खिलाड़ियों ने अभ्यास शुरू किया।

ऐसा रहा संजय सिंह का करियर

संजय सिंह वर्ष 2009 में प्रदेश कुश्ती संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष चुने गए। भारतीय कुश्ती संघ के संयुक्त सचिव का पद भी संभाला। संजय सिंह की कोशिशों का परिणाम है कि वर्तमान में सिर्फ वाराणसी में पांच सौ से अधिक खिलाड़ी हर रोज अलग-अलग जगहों पर गद्दों पर अभ्यास करते हैं। इनमें से 100 से अधिक राष्ट्रीय व 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग ले चुके हैं। इनमें महिला पहलवानों की संख्या भी अच्छी खासी है।

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