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फ्रांस में देवभाषा संस्कृत की फैली सुवास

वाराणसी : अपने देश में देवभाषा संस्कृत के प्रति लोगों का आकर्षण भले कम हुआ हो मगर फै

By JagranEdited By: Updated: Mon, 11 Sep 2017 02:30 AM (IST)
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फ्रांस में देवभाषा संस्कृत की फैली सुवास

वाराणसी : अपने देश में देवभाषा संस्कृत के प्रति लोगों का आकर्षण भले कम हुआ हो मगर फैशन के देश फ्रांस में संस्कृत के सुवास का दायरा फैलता जा रहा है। यह संभव हुआ बीएचयू के प्रो. गोपबंधु मिश्र के प्रयासों से, जो दो साल वहां विजिटिंग प्रोफेसर रहे। प्रो. मिश्र ने पेरिस में संस्कृत दिवस का शुभारंभ कर देवभाषा को वैश्विक फलक पर पहुंचाया। पेरिस के सोरबोन नोवेल विश्वविद्यालय में वर्ष 2012 से संस्कृत दिवस मनाया जा रहा है।

प्रो. गोपबंधु मिश्र बीएचयू में संस्कृत विभाग के प्रोफेसर हैं। वर्ष 2010 में वह भारत-फ्रांस सांस्कृतिक संबंध परिषद के विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में दो वर्ष पेरिस में रहे। संस्कृत के प्रचार-प्रसार के साथ सोरबोन नोवेल विवि में छात्रों को संस्कृत की शिक्षा दी। उनमें दिलचस्पी जगाने के लिए फ्रेंच किताबों का संस्कृत में अनुवाद किया। भारतीय संस्कृति और संस्कृत से प्रभावित छात्रों ने वर्ष 2012 से संस्कृत दिवस मनाने की शुरूआत की।

जून के अंतिम शनिवार को आयोजन

सोरबोन में जून केअंतिम शनिवार को छात्र, शिक्षक मिलकर संस्कृत दिवस का भव्य आयोजन करते हैं। छात्र नाटक मंचन से संस्कृत, भारतीय परंपराओं व शास्त्रों के महत्व पर प्रकाश डालते हैं। प्रो. गोपबंधु मिश्र ने विदेशी छात्रों को संस्कृत व्याकरण, वेदांत व मौलिक सिद्धांतों को सरल तरीके से समझाया है।

उड़िया, बांग्ला, फ्रेंच पर भी पकड़

उड़िया, बांग्ला, फ्रेंच व संस्कृत भाषा पर पकड़ रखने वाले प्रो. मिश्र संस्कृत की उपेक्षा पर दुखी हैं। वो कहते हैं कि संस्कृत आज भी सहारे से चल रही है। अंग्रेजी बोलने वालों को गौरव, जबकि संस्कृत बोलने वालों को उपेक्षित नजर से देखा जाता है। इस सोच में परिवर्तन लाना होगा। संस्कृत विषय को संरक्षित करने के लिए प्राथमिक स्तर से प्रयास करने होंगे। प्रो. मिश्र ने पेरिस में बिताए अपने समय, यात्रा वृत्तांत का वर्णन संस्कृत में लिखी पुस्तक पुरस्तातू पारिस् में किया है।

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