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सावन 2022 : मार्कंडेय महादेव मंदिर में 11 सीसीटीवी कैमरे से की होगी निगरानी, हर नावों पर लाइफ जैकेट रहना आवश्यक

सावन में चौबेपुर स्थित मार्कंडेय महादेव मंदिर में 11सीसीटीवी कैमरे से जलाभिषेक की हर गतिविधियों की निगरानी की जाएगी। मंदिर में जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्‍यान रखा जाएगा। हर नावों पर लाइफ जैकेट रहना आवश्यक है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Tue, 12 Jul 2022 10:39 PM (IST)
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आइजी रेंज ने मार्कंडेय महादेव मंदिर व आदि गंगा संगम घाट का किया अवलोकन

जागरण संवाददाता, वाराणसी : सावन में चौबेपुर स्थित मार्कंडेय महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को लेकर स्थानीय ग्रामीणों व गोस्वामी समाज के साथ पुलिस महानिरीक्षक के. सत्यनारायण व एसपी ग्रामीण सूर्य कांत त्रिपाठी ने बैठक की और यहां की समस्याओं से रूबरू हुए। इसके बाद उन्होंने गंगा संगम घाट जाकर निरीक्षण भी किया। उन्होंने बताया कि 11सीसीटीवी कैमरे से जलाभिषेक की हर गतिविधियों की निगरानी की जाएगी।

बैठक में आइजी ने कहा कि पुलिस सेवादल का गठन कर खुद सेवा के लिए जुट जाएं। मानव सेवा का अवसर बार बार नहीं मिलता। दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को पुलिस के जवान पानी पैकेट तथा हर समुचित सहयोग करें। उन्होंने निषाद समाज के लोगों को निर्देश दिया कि नाव की क्षमता से ज्यादा सवारी न लें, नहीं तो लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा।

हर नावों पर लाइफ जैकेट रहना आवश्यक है। गोस्वामी समाज के लोगों ने बताया कि मंदिर के गर्भ गृह में श्रद्धालुओं द्वारा जलपात्र छोड़ दिया जाता है जिससे समस्याएं आती हैं। इस पर उन्होंने क्षेत्राधिकारी पिंडरा अभिषेक पांडेय को निर्देश दिया कि गोस्वामी समाज के साथ मिलकर मंदिर परिसर में सूचना विज्ञापित किया जाए ताकि भक्त जलाभिषेक कर पात्र लेते जाएं। यातायात की व्यवस्था, बैरिकेडिंग, गंगा घाटों पर पुलिस की व्यवस्था, वाहनों की पार्किंग ठीक ढंग से कराए जाएं ताकि दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो।

वाराणसी से करीब 30 किमी दूर गंगा-गोमती के संगम तट पर स्थित मार्कंडेय महादेव मंदिर हैं। मार्कण्डेय महादेव मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि प्रचिन काल में जब मार्कण्डेय ऋषि पैदा हुए थे तो उन्हें आयु दोष था। उनके पिता ऋषि मृकण्ड को ज्योतिषियों ने बताया कि बालक की आयु मात्र 14 वर्ष है। यह सुन माता-पिता सदमें आ गए। ज्ञानी ब्राह्मणों की सलाह पर बालक मार्कण्डेय के माता-पिता ने गंगा गोमती संगम तट पर बालू से शिव विग्रह बनाकर शिव की अर्चना करने लगे। भगवान शंकर की घोर उपासना में लीन हो गये। बालक मार्कण्डेय के जैसे ही 14 वर्ष पूरे हुए तो यमराज उन्हें लेने आ गए। बालक मार्कण्डेय भी उस वक्त भगवान शिव की अराधना में लीन थे। उनके प्राण हरने के लिए जैसे ही यमराज आगे बढ़े तभी भगवान शिव प्रकट हो गए।

भगवान शिव के साक्षात प्रकट होते ही यमराज को अपने पांव वापस लेने पड़ा। उन्होंने कहा कि मेरा भक्त सदैव अमर रहेगा , मुझसे पहले उसकी पूजा की जायेगी। तभी से उस जगह पर मार्कण्डेय जी व महादेव जी की पूजा की जाने लगी और तभी से यह स्थल मार्कण्डेय महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। तभी से शंकर भगवान की मन्दिर में ही दिवाल में मार्कण्डेय महादेव की पूजा होने लगी। लोगों का ऐसा मानना है कि महाशिवरात्रि व सावन मास में यहां राम नाम लिखा बेलपत्र व एक लोटा जल चढाने से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है ।

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