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Sawan 2024: अद्भुत संयोगों का सावन, प्रथम दिन सर्वार्थ सिद्धि का योग, अत्यंत होगा फलदायी

Sawan 2024 इस साल सावन 22 जुलाई को शुरू होकर 19 अगस्त को समाप्त होगा। इस महीने में अद्भुत संयोग बन रहा है। माह का आरंभ सोमवार से हो रहा है और सावन का अंतिम दिन भी सोमवार को पड़ रहा है। इस बार महीने में पांच सोमवार पड़ रहे हैं। बता दें कि 22 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है और 19 अगस्‍त को समाप्‍त हो रहा है।

By Shailesh Asthana Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 17 Jul 2024 08:58 AM (IST)
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श्रवण नक्षत्र का जब योग होता है तो सावन मास आरंभ हाेता है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। भगवान भोलेनाथ को अतिप्रिय माह सावन इस बार 22 जुलाई से आरंभ हो रहा है। इस बार के सावन में अनेक अद्भुत संयोग मिलेंगे। सबसे बड़ा संयोग कि इस बार सावन में भगवान शिव के भक्तों को पूजन-अर्चन के लिए पूरे पांच सोमवारों का संयोग मिलेगा।

इस बार सावन, सोमवार से ही आरंभ होकर सोमवार को ही खत्म हो रहा है। सावन के पहले ही दिन सोमवार 22 जुलाई को प्रात: से लेकर रात्रि 11:40 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इसके अलावा प्रीति योग और श्रवण नक्षत्रों का भी योग रहेगा। अगले दिन 23 जुलाई यानी सुबह 5:57 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक पुष्कर योग मिलेगा। पूरे 30 दिन के सावन में इस बार कृष्ण पक्ष की षष्ठी की हानि रहेगी तो शुक्ल पक्ष में नवमी तिथि की वृद्धि रहेगी।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय बताते हैं कि अद्भुत संयोगों से युक्त यह सावन अत्यंत फलदायी सिद्ध होगा। पूरे माह भगवान शिव की आराधना, रुद्राभिषेक आदि से उन्हें प्रसन्न कर श्रद्धालु इच्छित वर प्राप्त कर सकेंगे।

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उन्होंने बताया कि सनातन पंचांग में मुख्य पांच बातों तिथि, नक्षत्र, वार, याेग और करण का ध्यान रखा जाता है। इनके ही आधार पर पंचांगों की निर्मिति होती है। प्रत्येक दिन कोई न कोई योग होता है, इन सभी योगों के अपने फलित होते हैं। कुछ के फलित सकारात्मक तो कुछ के निषेधात्मक होते हैं।

श्रवण नक्षत्र का जब योग होता है तो सावन मास आरंभ हाेता है। इसके अलावा इस बार सावन के प्रथम दिन पूरे समय सर्वार्थ सिद्ध योग मिल रहा है। यह योग किसी भी कार्य के लिए शुभ माना जाता है। इस दौरान सभी ग्रह शुभ स्थिति में होते हैं और व्यक्ति को सफलता दिलाने में मदद करते हैं।

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प्रीति योग परस्पर प्रेम व सौभाग्य को बढ़ाने वाला होता है, इसके स्वामी भगवान विष्णु हैं। परस्पर मेल-मिलाप बढ़ाने तथा अपने रूठे स्वजनों को मनाने, विवादों को निपटाने के प्रयास इसमें सफल होते हैं। इस योग में किए गए शुभ कार्यों से मान-सम्मान बढ़ता है।

अगले दिन 23 जुलाई को दोपहर तक मिलने वाला पुष्कर योग तब बनता है जब सूर्य विशाखा और चंद्रमा कृतिका नक्षत्र में होते हैं। सूर्य और चंद्र की यह स्थिति एक साथ होना अत्यंत दुर्लभ अवस्था माना जाता है। इस योग को सभी शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है।

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