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Varanasi News: बीएचयू अस्पताल में हड़ताल के शोर में दबी मरीजों की चीत्कार, बिना इलाज लौट रहे वापस

हड़ताल के दूसरे दिन बीएचयू अस्पताल में तीन गुना पंजीकरण घट गया। बुधवार को सिर्फ 44 मरीज ही भर्ती किए जा सके हैं। आम दिनों में सात हजार से अधिक पंजीकरण होते थे लेकिन हड़ताल के कारण अधिकांश मरीजों को बिना उपचार किए ही लौटा दिया गया। सुबह 10 बजे के बाद पंजीकरण बंद कर दिया गया था इसके कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

By Sangram Singh Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 15 Aug 2024 10:10 AM (IST)
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बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय में चिकित्सकों के हड़ताल के कारण परेशान मरीज और तीमारदार। जागरण
जागरण संवाददाता, वाराणसी। कोलकाता में महिला रेजिडेंट के साथ रेप और मर्डर मामले के विरोध में बीएचयू के रेजिडेंट डाक्टर बुधवार को भी बेहद नाराज दिखे। हड़ताल के दूसरे दिन वह मरीजों के लिए परेशानी का सबब बने रहे। उन्होंने कोई कामकाज नहीं किया, पूरे दिन आंदोलित रहे। इसके कारण इमरजेंसी छोड़ अस्पताल की ओपीडी, सर्जरी और वार्डों की चिकित्सकीय व्यवस्था चौपट हो गई।

पूर्वांचल, बिहार, झारखंड व मध्य प्रदेश से आने वाले हजारों मरीजों और तीमारदारों को परेशान होना पड़ा। देर शाम आंदोलित रेजिडेंटों को मनाने की कोशिश की गई लेकिन हड़ताल खत्म करने को लेकर कोई सहमति नहीं बन सकी। बैठक में संकेत मिले हैं कि हड़ताल अभी और खिंचेगा।

आंदोलित रेजिडेंटों ने अपनी मांगों की सूची आइएमएस के निदेशक प्रो. एसएन संखवार को सौंपी है। सुबह से ही अस्पतालों में डाक्टरों के नहीं होने के कारण हजारों मरीजों को बिना इलाज किए वापस लौटा दिया गया जबकि कुछ मरीजों ने प्राइवेट अस्पतालों का रुख कर लिया।

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दूसरी तरफ रेजिडेंट डाक्टरों ने चिकित्सा विज्ञान संस्थान के बाहर नारेबाजी कर अपना विरोध जताया। उनका कहना है कि अस्पताल में सुरक्षा के लिए बेहतर इंतजाम किए जाएं। हर जगह गार्ड की तैनाती की जाए। अस्पताल का हर कोना सीसीटीवी से लैस हो और जिन महिला रेजिडेंट डॉक्टर की नाइट ड्यूटी हो उनके सुरक्षा के लिए भी बेहतर इंतजाम किए जाएं।

ओपीडी के अलावा इमरजेंसी वार्ड में सिक्योरिटी बढ़ाई जाए। रेजिडेंट रूम में बाहरी लोगों का प्रवेश रोकने के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस व्यवस्था लागू करें।

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पहले दिन कुछ नहीं, जबकि दूसरे दिन हुई सिर्फ 41 सर्जरी

बीएचयू अस्पताल में आम दिनों में सौ से अधिक सर्जरी होती है, लेकिन हड़ताल के पहले कोई सर्जरी नहीं हो सकी थी। बुधवार को सिर्फ 41 सर्जरी की जा सकी है, इसमें 18 मरीजों की गंभीर सर्जरी शामिल है। सर्वाधिक सर्जरी पीडियाट्रिक, जनरल और गायनकोलाजी विभाग में हुई है। हर विभाग में अधिकांश मरीजों को दूसरी डेट दी गई है। सर्जरी टालने के कारण मरीजोें को काफी तकलीफ हो रही है।

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