Move to Jagran APP

Varanasi News: रामनगर की रामलीला के पंच स्वरूपों की खोज आरंभ, काशिराज परिवार ने दिया व्यासगणों को आदेश

मंचन की चर्चा करें तो विश्व का सबसे बड़ा ओपन थिएटर ड्रामा और अध्यात्म की बात करें तो अभिनय से अलग एक अनुष्ठान के रूप में पूजित रामनगर की लीला आज काशी की सांस्कृतिक धरोहर है। लीला का अनुशासन और अपनी मूल प्रवृत्ति के प्रति आग्रही होना इसे देश भर की और प्रस्तुतियों से अलग करता है। यहां की लीला देखने के लिए विदेशों से लोग आते हैं।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 23 Jun 2024 02:04 PM (IST)
Hero Image
रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला के पंच पात्र। (फाइल फोटो)
 संवाद सूत्र, जागरण, रामनगर (वाराणसी)। अपनी ऐतिहासिक परंपराओं के साथ अक्षुण्ण लगभग ढाई सौ वर्षों से काशी के उपनगर रामनगर में होने वाली विश्व प्रसिद्ध श्रीरामलीला की तैयारियां आरंभ हो गई हैं। रामलीला के प्रमुख पंचस्वरूपों के लिए उपयुक्त पात्रों की खोज आरंभ हो गई है।

इसके लिए कािशराज परिवार के अनंत नारायण सिंह ने रामलीला के प्रमुख (व्यास) रघुनाथ दत्त व्यास के साथ ही शिवदत्त व्यास, कृष्ण दत्त व्यास व संपत व्यास को रामलीला के प्रमुख पंच स्वरूपों के चयन हेतु ब्राह्मण बालकों की खोज का आदेश दिया है। काशिराज परिवार द्वारा संरक्षित यह धार्मिक आयोजन, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस महाकाव्य के आधार पर मंचित होती है।

प्रमुख पंच स्वरूपों की खोज के बाद उनका चयन परीक्षा के आधार पर होता है। प्रथम चरण में रथयात्रा मेले के बाद रामनगर दुर्ग के जवाहिर खाना में बालकों के स्वर व भाव भंगिमाओं के आधार पर कािशराज परिवार के अनंत नारायण सिंह उन्हें चयनित करते हैं।

इसे भी पढ़ें- जिस महिला को मृत समझ पुलिस कर रही थी जांच वह मिली जिंदा, पति ने कर दिया था अंतिम संस्‍कार

प्रथम चरण के चुनाव के कुछ दिनों पश्चात द्वितीय व अंतिम चरण के चुनाव में प्रथम चरण में चयनित बालकों के साथ ही कुछ और बालकों को खोजकर प्रस्तुत किया जाता है। चयनोपरांत प्रथम श्रीगणेश पूजन से बलुआ घाट स्थित धर्मशाला में व्यास गणों द्वारा चयनित पात्रों को प्रशिक्षण दिया जाता है।

इसे भी पढ़ें-महिला सिपाही के साथ होटल में रंगे हाथ पकड़े गए सीओ, सजा के तौर पर बनाया गया सिपाही

इस दौरान उनके परिवार के सदस्यों को भी साथ रहने व खाने की व्यवस्था दुर्ग प्रशासन द्वारा की जाती है। जिस पात्र का परिवार साथ नहीं रहता, उसके खाने की व्यवस्था दुर्ग प्रशासन के सहयोग से प्रमुख व्यास द्वारा की जाती है।

इस वर्ष प्रथम श्रीगणेश पूजन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष चतुर्थी अर्थात 24 जुलाई तथा द्वितीय गणेश पूजन भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी अर्थात सात सितंबर को होगा। श्रीरामलीला 17 सितंबर अनंत चतुर्दशी को रावण जन्म व क्षीर सागर की झांकी से आरंभ होकर शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को सनकादिक व कोट विदाई के साथ संपन्न होगी।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।