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Gyanvapi: 200 साल पुराने ब्रिटिश लेखाकार के नक्शे से खुलेगा ज्ञानवापी का राज, कहां है आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह

मंदिर पक्ष वाराणसी स्थित ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर के विशाल मंदिर का दावा करता है। मंदिर के विध्वंस के बाद इस पर ही इमारत बना दी गई जो वर्तमान में मौजूद है। एएसआइ के सेवानिवृत्त संयुक्त महानिदेशक डा. बीआर मणि का कहना है कि जेम्स प्रिंसेप के नक्शे से ज्ञानवापी की संरचना का मिलान किया जाए तो आसानी से पता लगाया जा सकता है कि मंदिर का गर्भगृह कहां है।

By devendra nath singh Edited By: Abhishek Pandey Updated: Fri, 02 Feb 2024 10:28 PM (IST)
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200 साल पुराने ब्रिटिश लेखाकार के नक्शे से खुलेगा ज्ञानवापी का राज, कहां है आदि विश्वेश्वर मंदिर का गर्भगृह
देवेन्द्र नाथ सिंह, वाराणसी। मंदिर पक्ष वाराणसी स्थित ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर के विशाल मंदिर का दावा करता है। मंदिर के विध्वंस के बाद इस पर ही इमारत बना दी गई जो वर्तमान में मौजूद है। इसके पक्ष में ब्रिटिश लेखाकार जेम्स प्रिंसेप द्वारा बनाया गया आदि विश्वेश्वर मंदिर का नक्शा भी प्रस्तुत किया है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के सेवानिवृत्त संयुक्त महानिदेशक डा. बीआर मणि का कहना है कि जेम्स प्रिंसेप के नक्शे से ज्ञानवापी की संरचना का मिलान किया जाए तो आसानी से पता लगाया जा सकता है कि मंदिर का गर्भगृह कहां है।

1822 में जेम्स प्रिंसेप ने किया था सर्वे

डा. बीआर मणि ने श्रीराम मंदिर मुकदमे में अयोध्या में सर्वे करने वाली टीम का नेतृत्व किया था। बता दें, ईस्ट इंडिया कंपनी के टकसाल के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप ने 1822 में बनारस का सर्वेक्षण किया और नक्शा तैयार किया। उन्होंने बनारस में स्मारकों और उत्सवों के जलरंगों की श्रृंखला को भी चित्रित किया। इसे 1829 में लंदन भेजा गया जिन्हें 1830 से 1834 के बीच बनारस इलस्ट्रेडेट के रूप में प्रकाशित किया गया।

उन्होंने बनारस पर अपनी किताब 'व्यू आफ बनारस' में ज्ञानवापी का मानचित्र दिया है। मंदिर पक्ष ने अदालत में दलील दी थी कि 1669 में विध्वंस से पहले ज्ञानवापी में भगवान आदि विश्वेश्वर का अष्टकोणीय मंदिर था। मंदिर की लंबाई 125 फीट, चौड़ाई 125 फीट और ऊंचाई 128 फीट थी। इसमें गर्भगृह के साथ चारों दिशाओं में मंडप मौजूद थे। पश्चिम में श्रृंगार मंडप, पूरब में ज्ञान मंडप, उत्तर में ऐश्वर्य मंडप और दक्षिण में मुक्ति मंडप मौजूद था।

चारों दिशाओं में उन्होंने पश्चिम में दंडपाणि, पूरब में द्वारपाल और उत्तर, दक्षिण में शिव मंदिर दिखाया है। चारों कोने पर तारकेश्वर, मनकेश्वर, गणेश व भैरव मंडप दिखाया है। सभी दिशाओं में बीच के मंडप खाली थे जिनके जरिए गर्भगृह में प्रवेश किया जाता था। चारों कोनों में स्थित मंडप में विग्रह विराजमान थे।

मंदिर विध्वंस के बाद इसके मलबे के ऊपर ही इमारत बना दी गई। इस भवन में तीन शिखर हैं जिनमें एक मुख्य शिखर के साथ दक्षिण व उत्तर दिशा में एक-एक शिखर हैं। मंदिर पक्ष ने अपनी बातों के समर्थन में जेम्स प्रिंसेप द्वारा आदि विश्वेश्वर मंदिर का बनाया नक्शा भी प्रस्तुत किया था।

नक्शे का जिक्र एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही में भी

जेम्स प्रिंसेप के नक्शे का जिक्र ज्ञानवापी स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन की मांग के मुकदमे में मई 2022 में हुए एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही में भी है।

विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह अपनी रिपोर्ट में बताते हैं कि ज्ञानवापी में वर्तमान भवन में मुख्य शिखर के नीचे नमाज के स्थल की दीवारों के जिग-जैग कटाव की आकृति व संख्या जेम्स प्रिंसेप के नक्शे से मेल खाती है। इमारत की छत पर बाहरी शिखर के अंदर त्रिशंकु शीर्ष की आकृतियां इन्हीं दीवारों पर खंभों पर टिकी हुई हैं। इस तरह नक्शे व दीवारों की आकृति आपस में मेल खाती हैं।

डा. बीआर मणि ने एएसआइ सर्वे की रिपोर्ट का अध्ययन करके बताया कि ज्ञानवापी में विशाल मंदिर होने का पता चलता है। जिस हिस्से को तलगृह कहा जा रहा है वह मंदिर का ही हिस्सा है। उसके खंभे आदि मंदिर के हैं। ऐसे में जेम्स प्रिंसेप के नक्शे के साथ परिसर का अध्ययन किया जाए तो पता लगाया जा सकता है कि मंदिर का गर्भगृह कहां है।

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