sharad purnima night upay शरद पूर्णिमा की रात अमृत की वर्षा होगी। इस पावन तिथि पर चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण आ जाते हैं। खीर का सेवन करने से जीवन शक्ति मजबूत होती है और मानसिक तनाव कम होता है। देवी लक्ष्मी ऐरावत पर सवार होकर पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जागते हुए भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इसके साथ कार्तिक पर्यंत स्नान शुरू हो जाएंगे।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। Sharad Purnima 2024 Kheer सनातन धर्म में आश्विन शुक्ल पूर्णिमा की मान्यता शरद पूर्णिमा की है। सुख-समृद्धि व आरोग्य-ऐश्वर्य कामना का पर्व इस बार 16 अक्टूबर बुधवार को पड़ रहा है। पूर्णिमा तिथि बुधवार शाम 7.45 बजे लग रही है जो गुरुवार शाम 5.23 बजे तक रहेगी।
धर्मशास्त्रीय मान अनुसार शरद पूर्णिमा पर प्रदोष व निशीथ काल में होने वाली पूर्णिमा ली जाती है। कोजागरी व्रत की पूर्णिमा भी निशीथ व्यापिनी होनी चाहिए। अत: शरद पूर्णिमा, कोजागरी व्रत, महालक्ष्मी पूजन, खीर सिद्धि अनुष्ठान बुधवार को ही होंगे।
काशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री प्रो. विनय पांडेय के अनुसार स्नान-दान, व्रत आदि गुरुवार को उदयातिथि अनुसार पूर्णिमा होंगे। इसके साथ कार्तिक पर्यंत स्नान शुरू हो जाएंगे।
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देव पितरों के स्वर्ग पथ प्रदर्शन को जलेंगे आकाशदीप
आश्विन मास की अमावस्या गुरुवार से देव-पितरों के पथ प्रदर्शन कामना से प्रज्ज्वलित किए जाने वाले आकाश दीप भी आकाश में टंग जाएंगे। आकाशदीप शृंखला का समापन कार्तिक पूर्णिमा पर होगा।
चंद्रमा किरणों में औषधीय गुण, करें खीर का सेवन
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा के अनुसार शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा या कमला पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसका धार्मिक, आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक महत्व गहरा है। तिथि विशेष को धार्मिक क्रियाओं, उपासना और साधना के लिए पवित्र माना जाता है। यह पर्व प्रेम, भक्ति, स्वास्थ्य, और मानसिक शांति का प्रतीक है। धार्मिक रूप से, यह भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला, देवी लक्ष्मी की कृपा, और चंद्रमा की पूजा से जुड़ा है।
ज्योतिषीय मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा षोडश कलाओं से युक्त होता है। उसकी किरणों से अमृत वर्षा होती है। इस विशेषता के कारण प्रभु श्रीकृष्ण ने इसे रासोत्सव के लिए उपयुक्त माना। शरद पूर्णिमा की सुबह आराध्य देव को श्वेत वस्त्राभूषण से सज्जित कर पूजा-अर्चना की जाती है।रात में गाय के दूध की घी-मिष्ठान मिश्रित खीर प्रभु को अर्पित की जाती है। मध्याकाश में स्थित पूर्ण चंद्र का पूजन किया जाता है। आयुर्वेद शास्त्र में नक्षत्राधिपति चंद्रमा को औषधियों का स्वामी माना गया है। भारतीय परंपराओं में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है।
इसे भी पढ़ें-बिजली विभाग की नई पहल, अब उपभोक्ता भी बताएंगे; 'कहां है बिजली व्यवस्था में खामी'इस रात चंद्र किरणों में औषधीय अमृत गुण आ जाता है। इसके सेवन से जीवन शक्ति मजबूत होती है। मानसिक तनाव को कम होता है। मन और मस्तिष्क में शांति और संतुलन बना रहता है। चंद्र पूजन से मानसिक स्वास्थ्य और शांति प्राप्त होती है।
महालक्ष्मी पूछेंगी-'को जागृयेति'
शास्त्रीय मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी ऐरावत पर सवार हो पृथ्वीलोक भ्रमण पर निकलती हैं। पूछती हैैं- 'को जागृयेति' यानी कौन जाग रहा है। व्रत व भजन-पूजन संग रतजगा कर रहे भक्तों को यश-कीर्ति व समृद्धि का आशीष देती हैं।
इस पूजा को 'कोजागरी उत्सव' कहा जाता है। तिथि विशेष पर उपवास रख कर ऐरावत पर सवार भगवान इंद्र व माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। रात में घर-बाहर, मंदिरों में दीप जलाते हैं। दुर्गोत्सव की पूरक पूजा के रूप में लक्ष्मी पूजन (लक्खी पूजा) की जाती है।
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