Shri Ram Temple : अयोध्या में श्रीराम की मूर्ति स्थापना के लिए जुटा रहे पांच सौ नदियों का जल
Shri Ram Temple अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन में 151 नदी तीन समुद्र और 24 कुओं का जल संग्रह कर 77 वर्षीय ब्रह्मर्षि राधेश्याम पांडेय ने दिया था।मूर्ति स्थापना पूजन के लिए पांच सौ नदी समुद्र का जल देने का संकल्प लेकर जुटाने में लगे हैं।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Sun, 07 Aug 2022 09:58 AM (IST)
जागरण संवाददाता, जौनपुर : Shri Ram Temple अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर का निर्माण होगा, यह सुखदायी सूचना सुन मुंगराबादशाहपुर के 72 वर्षीय राधेश्याम पांडेय ने महत संकल्प लिया और हर यत्न कर उसे पूरा भी किया। मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने भूमि पूजन में 151 नदियों, तीन समुद्रों और 24 कुओं का पावन जल संग्रह कर अर्पित किया था। अब वह (shri ram temple in ayodhya) मूर्ति स्थापना पूजन के लिए पांच सौ नदियों, पांच महासागरों का जल देने का संकल्प लेकर उसे जुटाने में लगे हैं। चार माह 12 दिन में मोटरसाइकिल से 5,200 किमी की यात्रा कर अब तक ढाई सौ नदियों व तीन समुद्रों का जल जुटा चुके हैं।
मुंगराबादशाहपुर क्षेत्र के सरायचौहान में रहने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक राधेश्याम पांडेय 20 फरवरी से अपनी यात्रा शुरू कर दो जुलाई को घर लौटे हैं। इस दौरान इन्होंने बिहार की कोसी नदी, बंगाल की इच्छामति, आंध्र प्रदेश की गोदावरी और कृष्णा, राजस्थान की लूनी, तमिलनाडु की कावेरी महाराष्ट्र की वाशिष्टि, गुजरात की ङ्क्षसधु नदी, अ²श्य सरस्वती, धनहिरैण्या व धन कपिला के संगम, दमन की दमणगंगा, गोमती नदी सहित ढाई सौ नदियों, तीन समुद्रों हिंद महासागर, अरब सागर व बंगाल की खाड़ी का जल संग्रह कर चुके हैं। इसके साथ ही रामेश्वरम मंदिर के निकट से 22 कुओं का भी जल लिया है। इसके पूर्व वह चार साल तक राम वनगमन पथ की खोज में साइकिल से लंबी यात्रा कर चुके हैं।
नहीं मिलता आश्रय तो फुटपाथ पर बिताते हैं रात
राधेश्याम पांडेय कहते हैं कि वह मोटरसाइकिल से यात्रा के दौरान रात्रि विश्राम के लिए आश्रम, मंदिर व धर्मशाला की तलाश करते हैं। यदि कोई उपयुक्त स्थान नहीं मिलता तो किसी बाजार में फुटपाथ या यात्री प्रतीक्षालय में रात गुजारते हैं। झोले में हमेशा सौ ग्राम किशमिश, एक दर्जन केला और थोड़ा सा गुड़ व सत्तू रखते हूं। 24 घंटे में एक बार रात में भोजन करते हैं। नहीं मिला तो फलाहार पर रात बिताते हैं।
अपनी पेंशन से उठाते हैं यात्रा का खर्च
राधेश्याम पांडेय मुंगराबादशाहपुर में उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक थे। 12 साल पहले सेवानिवृत्त होने के बाद से आजाविका पेंशन से चलती है। इसी पेंशन से यात्रा का खर्च भी उठाते हैं। तीर्थ स्थलों का भ्रमण, खोज व अध्ययन ही उद्देश्य है। उनका मानना है कि 14 वर्ष वनवास के बाद लौटे भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक नदियों एवं समुद्रों के जल से हुआ था। भगवान श्रीराम अपने जन्म स्थल पर 500 से अधिक वर्षों के बाद लौट रहे हैं तो पुन: भव्य राज्याभिषेक होना चाहिए। उसी कार्यक्रम के लिए नदियों व समुद्रों का जल संग्रह कर रहे हैं।
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