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93 करोड़ से वाराणसी में बना रहा 'सोवा रिग्पा' अस्पताल की जल्द सौगात, प्राचीन तिब्बती चिकित्सा पद्धति से होगा उपचार

वाराणसी में बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ में मोदी-योगी सरकार सोवा रिग्पा का तोहफा देने जा रही है। अस्पताल केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान सारनाथ में 93 करोड़ की लागत से बन रहा है। 100 बेड का प्राचीन तिब्बती चिकित्सा पद्धति अस्पताल दिसंबर तक सेवा के लिए तैयार हो जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Sun, 21 Aug 2022 07:08 PM (IST)
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काशी में बना रहा 'सोवा रिग्पा' अस्पताल की जल्द सौगात
जागरण संवाददाता, वाराणसी : भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ में मोदी-योगी सरकार 'सोवा रिग्पा' का तोहफा देने जा रही है। अस्पताल केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान सारनाथ में 93 करोड़ की लागत से बन रहा है। 100 बेड का प्राचीन तिब्बती चिकित्सा पद्धति अस्पताल दिसंबर तक सेवा के लिए तैयार हो जाएगा, निर्माण अंतिम चरण में है।

'सोवा रिग्पा' में इलाज के साथ टीचिंग और रिसर्च का काम भी होगा। इसके बनने से कश्मीर, मुंबई, बिहार, उत्तर प्रदेश के अलावा भारत के अन्य प्रांतों में रहने वालों को भी तिब्बती चिकित्सा का लाभ मिलेगा। 'सोवा रिग्पा' का निर्माण मार्च 2019 में शुरू हुआ था। आयुर्वेद से मिलती-जुलती तिब्बती चिकित्सा पद्धति 'सोवा रिग्पा' में भी असाध्य रोगों का इलाज संभव है। 'सोवा रिग्पा' चिकित्सालय के निर्माण से करीब 250 लोगों को प्रत्यक्ष और हजारों लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की उम्मीद है।

तीन हजार साल पुरानी तिब्बती चिकित्सा पद्दति 'सोवा रिग्पा' के लिए मोदी-योगी सरकार केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान सारनाथ में 1617 स्क्वायर मीटर में डबल बेसमेंट व नौ मंजिल की अत्याधुनिक इमारत बना रही है। नौ मंजिला अस्पताल का कुल निर्माण 19,404 स्क्वायर मीटर में हो रहा है। पहले फेज में 47.5 करोड़ की लागत से चार मंजिल का निर्माण हो रहा है।

दिसंबर तक इसे शुरू कर देने की योजना है। मरीजों की सुविधा के लिए अस्पताल में हेलिपैड भी प्रस्तावित है। इस बिल्डिंग में कांफ्रेंस समेत विभिन्न गतिविधियों के लिए आधुनिक ऑडिटोरियम होगा, जहां 500 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। सेमीनार, टीचिंग, रिसर्च और मरीजों का इलाज तीनों चीजें एक साथ करने वाला ये देश में इकलौता इतना बड़ा सेंटर होगा।

यह मिलेगी सुविधाएं

अस्पताल में यह भी सुविधाएं मिलेगी। इसमें ओपीडी, 6 कंसल्टेंट रूम, (ज्योतिष कंसल्टेंट भी), एक बड़ा वेटिंग हॉल, अत्याधुनिक इमरजेंसी, इंटेंसिव केयर यूनिट, ऑपरेशन थिएटर, इनडोर पेशेंट, थेरपीज, फार्मेसी, क्लास रूम, लाइब्रेरी, म्यूजियम, लैब, हरबेरियम और नक्षत्र शाला होगा। इसके अलावा कई सहायक विभाग और कई जरूरी सुविधाएं भी होंगी।

वाराणसी में बनाया जाएगा हर्बल गार्डन, मिलेगा रोजगार

योगी मोदी सरकार की मदद से इसके संरक्षण से तिब्बती संस्कृति व परंपरा को संरक्षित करने में भी मदद मिलेगी। इसके इलाज के लिए हिमालयन रीजन से जड़ी बूटियां आया करती है। इसके लिए अरुणाचल प्रदेश के तमांग में करीब 12,000 फिट की ऊंचाई पर पांच एकड़ का हर्बल गार्डन है।

कुल सचिव ने बताया कि संस्था में भी एक छोटा हर्बल गार्डन बनाया गया है। वाराणसी में भी आगे चलकर हर्बल गार्डन बनाने की संभावना है। जिससे रोजगार सृजन होगा। सोवा रिग्पा पद्धति से इलाज के लिए संस्था औषधियां भी खुद बनाती है। कुलसचिव ने बताया की बहुत से असाध्य रोगों का इलाज इस पद्धति में है।

दुनिया की पुरानी और प्रमाणिक चिकित्सा पद्धति

सोवा रिग्पा मूलतः तिब्बत में ही विकसित हुआ है, जो दुनिया की पुरानी और प्रमाणिक चिकित्सा पद्धति है। सातवीं से आठवीं शताब्दी के समय में तिब्बत के राजाओं द्वारा इस पद्धति को विस्तार देने के लिए इंटरनेशनल कांफ्रेंस कराया गया था। जिसमे पर्सिया, चाइना, तिब्बत समेत कई देशों के चिकित्सक विद्वान शामिल हुए थे।

तिब्बती चिकित्सा पद्धति चीन के कई प्रांतों में, मंगोलिया, रूस, नेपाल, भारत, समेत कई देशों तक ये चिकित्सा पद्धति फैली हुई है। इसकी करीब आठ हजार से दस हजार कृतियां प्रकाशित हुई हैं। साथ ही तीन से चार हजार ग्रंथ हैं।

- हिमांशु पांडेय, कुलसचिव केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान सारनाथ

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