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UP Lok Sabha Chunav Result 2024: 12 में नौ सीटें जीत सपा बनी पूर्वांचल की सबसे बड़ी पार्टी, बस दो पर खिला कमल

UP Lok Sabha Chunav Result 2024 लोकसभा चुनाव में वाराणसी आजमगढ़ और मीरजापुर मंडल के दस जिलों की 12 लोकसभा सीटों में नौ पर सपा की साइकिल दौड़ी तो सिर्फ दो सीटों वाराणसी में खुद पीएम नरेन्द्र मोदी व भदोही में डा. विनोद कुमार बिंद को जीत मिली तो मीरजापुर से अपना दल एस की अनुप्रिया पटेल जीत की तिकड़ी लगाने में कामयाब हुईं हैं।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 05 Jun 2024 02:55 PM (IST)
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आजमगढ़ में सपा के केंद्रीय चुनाव कार्यालय पर जीत के बाद जश्न मनाते कार्यकर्ता। जागरण

 संग्राम सिंह, जागरण वाराणसी। एक छोर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी तो दूसरे छोर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद गोरखपुर। इस बार लोकसभा चुनाव में वाराणसी, आजमगढ़ और मीरजापुर मंडल के दस जिलों की 12 लोकसभा सीटों में नौ पर सपा की साइकिल दौड़ी तो सिर्फ दो सीटों वाराणसी में खुद पीएम नरेन्द्र मोदी व भदोही में डा. विनोद कुमार बिंद को जीत मिली तो मीरजापुर से अपना दल एस की अनुप्रिया पटेल जीत की तिकड़ी लगाने में कामयाब हुईं हैं।

हालांकि, भाजपा के लिए पूर्वांचल कभी आसान सियासी रणक्षेत्र नहीं रहा है। मोदी-योगी की जोड़ी ने 2014 के आम चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनावों में खूब कमाल दिखाया। लेकिन 2019 के लोकसभा और अब 2022 के विधानसभा चुनाव आते-आते जादू फीका दिखने लगा।

2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा वाराणसी, आजमगढ़ और मीरजापुर मंडल के 10 जिलों की 12 लोकसभा सीटों में सिर्फ दो पर जीती थी, लेकिन इसके बाद ‘मोदी लहर’ ने पूर्वांचल की तस्वीर बदल दी। 2014 के आम चुनाव में 10 सीटों पर भगवा परचम लहराया लेकिन 2019 के चुनाव में उसे पांच सीटें ही मिलीं।

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2022 में आजमगढ़ में हुए उपचुनाव में जरूर भाजपा जीती, लेकिन 2024 में भाजपा सिर्फ दो ही सीट वाराणसी, भदोही ही जीत सकी। वहीं, एनडीए गठबंधन का साथी अपना दल एस मीरजापुर सीट पर सिमट गई है। सपा नौ सीटें जीतकर पूर्वांचल की सिरमौर पार्टी बनकर उभरी है।

इस बार पूरे चुनाव में सपा महंगाई, बेरोजगारी व अग्निवीर मुद्दे को धार देती रही और इसका फायदा भी उसे मिला। इस बार भाजपा के हाथ से बलिया, चंदौली व मछलीशहर सीट फिसल गई है। चंदौली से केंद्रीय मंत्री महेंन्द्र नाथ पांडेय सपा के बीरेंद्र सिंह से हार गए। बलिया में भाजपा के नीरज शेखर सपा के सनातन पांडेय से मात खा गए।

मछलीशहर में भाजपा के बीपी सरोज प्रिया सरोज से हार गए। समाजवादी पार्टी ने कई अन्य सीटों पर भी कब्जा जमाया है। आजमगढ़ में धर्मेंद्र यादव ने भाजपा के सिटिंग सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ को हराया। जौनपुर में बाबू सिंह कुशवाहा ने भाजपा के कृपाशंकर सिंह, गाजीपुर में अफजाल अंसारी ने भाजपा के पारसनाथ राय, घोसी में राजीव राय ने सुभासपा के अरविंद राजभर, लालगंज में दारोगा प्रसाद सरोज ने भाजपा की नीलम सोनकर और राबर्ट्सगंज में छोटे लाल ने अपना दल एस की रिंकी कोल को हराया।

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चुनावी समर में उतरे थे 142 प्रत्याशी, 12 महिलाएं भी शामिल

लोकसभा चुनाव के छठे और सातवें चरण में पूर्वांचल की 12 सीटों पर 142 प्रत्याशी मैदान में थे। सबसे ज्यादा 28 प्रत्याशी घोसी जबकि सबसे कम सात-सात उम्मीदवार वाराणसी और लालगंज में थे। सर्वाधिक तीन महिला प्रत्याशी घोसी और लालगंज से चुनाव लड़ीं। कुल 12 महिला उम्मीदवारों की मौजूदगी दिखी। भदोही में 10, राबर्ट्सगंज 12, मीरजापुर 10, बलिया 13, घोसी 28, गाजीपुर 10, आजमगढ़ नौ, लालगंज सात, जौनपुर 14, मछलीशहर 12 और चंदौली में 10 प्रत्याशी मैदान में थे।

भाजपा की रणनीतिक कौशल और तैयारियों की हुई परीक्षा

2019 में बलिया, मछलीशहर और चंदौली में भाजपा को मामूली अंतर से जीत मिली थी। इन तीनों सीटों पर इस बार आरंभिक रुझान ही भाजपा के लिए निराशाजनक थे। इस बार चुनाव में भाजपा के रणनीतिक कौशल और तैयारियों की परीक्षा भी हुई। भाजपा ने बूथ प्रबंधन, पन्ना प्रमुख, युवा, महिला, किसान, अधिवक्ताओं व प्रबुद्धों के सम्मेलन किए।

योजनाओं के लाभार्थियों तक पहुंचने का प्रयास हुआ। बूथवार संपर्क अभियान चला। हर वर्ग के मतदाताओं को साधने की कवायद चली। सांसदों के टिकट काटने से लेकर 2019 में हारी सीटों व कम मार्जिन से जीती सीटों के लिए रणनीति बनाई। पूरा चुनाव मोदी-योगी के चेहरे पर लड़ा गया।

हालांकि कई मंत्रियों व सांसदों की छवि जनता के बीच ठीक नहीं होने का नुकसान उठाना पड़ा। पीएम मोदी के नाम पर चुनाव जीतने वाले कई सांसद जनता से कटे रहे। कार्यकर्ता भी सुस्त रहे और परिणाम सामने है।

दूसरे दलों से लाकर भाजपा ने बढ़ाया मान, निराशाजनक परिणाम

इस चुनाव में भाजपा ने कई नेताओं को दूसरे दलों से लाकर चुनाव लड़ाया लेकिन परिणाम निराशजनक रहा। घोसी उपचुनाव हार चुके दारा सिंह चौहान और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को चुनाव से ठीक पहले मंत्री बनाया गया। दारा और ओमप्रकाश की पूर्वांचल की सीटों पर अपनी जाति में खास पकड़ है। हालांकि परिणाम पर दोनों नेताओं का असर नहीं दिखा।