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Varanasi: देश- दुनिया में छाएगा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का प्रसाद, जो एक बार चखेगा, बार-बार सिर माथे लगाएगा

नव्यता के एक साल पूरे होने पर मंदिर प्रशासन तैयारियों में जुटा है। मेवा के लड्डुओं के साथ ही पेड़ा पर भी विचार किया जा रहा है। तिरुपति पटना महावीर मंदिर समेत देवालयों के साथ बात चल रही है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Tue, 20 Dec 2022 03:11 PM (IST)
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ब्रांड बनेगा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का प्रसाद। (फाइल)
वाराणसी, प्रमोद यादव। देवाधिदेव महादेव श्रीकाशी विश्वनाथ के धाम को नव्य-भव्यता स्वरूप देने के बाद अब बाबा का प्रसाद भी देश-दुनिया में छाएगा। इसे जो एक बार चखेगा, बार-बार सिर माथे लगाएगा। कारण यह कि धाम की अनुपम छटा के प्रति देश-दुनिया के श्रद्धालुओं-सैलानियों के बढ़े आकर्षण के बाद अब बाबा का प्रसाद भी ब्रांड बन कर इस श्रेणी में आएगा। इसके लिए प्रसाद को सनातन धर्म की आस्था से जुड़े शीर्ष देवालय की पहचान से जोड़ा जाएगा। इसमें मेवा के लड्डू-पेड़ा समेत तमाम मिष्ठानों को आजमाया जा रहा है। प्रयास है कि प्रसाद बाजार के साथ ही अन्य देवालयों से अलग और खास हो। इसमें सिर्फ मिठास ही नहीं, अहसास भी हो।

शास्त्रीय विधान का ध्यान

इसके लिए बाबा को अर्पित किए जाने वाले भोग-प्रसाद के चयन में विशिष्टता के साथ धर्म शास्त्रीय विधान का भी ख्याल रखा जाएगा। इसके लिए धर्म शास्त्रियों से विचार-विमर्श करने के साथ धर्म शास्त्रों में से भी उद्धरण लिए जाएंगे। इस पर मंथन कर प्रसाद में लड्डू, पेड़ा या क्या कुछ हो सकता है के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। हालांकि वास्तव में मंदिर में श्रद्धालु देश-दुनिया से आते हैं, ऐसे में उनकी वापसी में एक सप्ताह तक का समय लग जाता है। प्रसाद डाक से भी भेजे और मंगाए जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए टिकाऊपन पर भी ध्यान है।

अभी बेच रहे लड्डू-पेड़ा

श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में अभी दो स्थानीय वेंडरों के जरिए लाल पेड़ा और लड्डू प्रसाद के तौर पर बेचा जा रहा है। महिला स्वयं सहायता समूहों से भी मेवा का लड्डू बनवा कर बिक्री की जा रही है। हालांकि ज्यादातर श्रद्धालु परिसर के बाहर की दुकानों से ही पेड़ा आदि मिष्ठान खरीद कर बाबा को अर्पित करने के लिए ले जाते हैं। इनकी गुणवत्ता को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। इसे देखते हुए मंदिर प्रशासन ने कुछ अलग-अनूठा करने का प्रयास शुरू किया है।

देश के ख्यात मंदिरों में परीक्षण

समस्त बिंदुओं को केंद्र में रखते हुए मंदिर प्रशासन की ओर से तिरुपति बालाजी, शिरडी साईं मंदिर समेत देश के ख्यात देवालयों में प्रसादों का परीक्षण किया जा चुका है। हाल ही में पटना स्थित महावीर मंदिर के ट्रस्टी आचार्य किशोर कुणाल से भी इस संबंध में वार्ता की जा चुकी है। वहां प्रसाद रूप में नैवेद्यम दिया जाता है जिसे तिरुपति और आंध्र प्रदेश के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया जाता है। इसमें बेसन, चीनी, काजू-किशमिश, हरी इलायची, कश्मीरी केसर व अन्य फ्लेवर मिला कर घी में पकाया जाता है।

शिव के प्रसाद में शक्ति की भागीदारी

प्रसाद इस मायने में भी खास होगा कि यह शिव के लिए शक्ति द्वारा तैयार किया जाएगा। अभी प्रयोग के तौर पर महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा लड्डू बनवाए जरूर जा रहे हैं, लेकिन चयन पूरा होने के बाद यह कार्य पूरी तरह शक्ति को समर्पित किया जाएगा। इस तरह अन्नपूर्णेश्वरी की नगरी से संदेश भी दिया जाएगा।

मिलेगा रोजगार, बढ़ेगी आय

श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य भव्य स्वरूप सामने आने के बाद एक साल में 1.35 करोड़ श्रद्धालु-सैलानी आ चुके हैं। इस दृष्टि से प्रतिमाह का आंकड़ा औसतन दस लाख तक जाता है। चढ़ावा व दान भी कई गुना बढ़ते हुए सौ करोड़ के पार जा चुकी है। मंदिर की ओर से प्रसाद की बिक्री से भक्तों को गुणवत्तायुक्त, शुद्ध प्रसाद तो मिलेगा ही हजारों महिलाओं को रोजगार और आय भी बढ़ेगी।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर व विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. सुनील कुमार वर्मा ने कहा कि‘श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य भव्य परिसर देश-दुनिया के आकर्षण का केंद्र है। अतः प्रसाद भी खास होना चाहिए। इसके लिए कुछ अलग प्रसाद के लिए प्रयास किया जा रहा है। कई देवालयों में परीक्षण किया जा चुका है। जल्द ही बाबा का प्रसाद बनने लगेगा और यह मंदिर की पहचान से जुड़ेगा।’

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