झारखंड विधानसभा में पारित सरना कोड अस्वीकार करने की प्रधानमंत्री से मांग, स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने लिखा पत्र
अखिल भारतीय संत समिति ने जनसंख्या गणना के संबंध में झारखंड विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव सरना कोड को अस्वीकार करने की मांग की है। इस संबंध में राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।
By saurabh chakravartiEdited By: Updated: Sat, 28 Nov 2020 07:30 AM (IST)
वाराणसी, जेएनएन। अखिल भारतीय संत समिति ने जनसंख्या गणना के संबंध में झारखंड विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव सरना कोड को अस्वीकार करने की मांग की है। इस संबंध में राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि विगत दिनों झारखंड विधानसभा की ओर से जनसंख्या गणना में सरना कोड को धर्म के रूप में मान्यता देने का पारित प्रस्ताव भारत, भारतीयता और सनातन हिंदू धर्म के प्रति चर्च का बड़ा षडयंत्र है। यही नहीं झारखंड के मुख्यमंत्री द्वारा शपथ ग्रहण के पश्चात आर्च बिशप से मिलन सिर्फ अनौपचारिक आशीर्वाद मिलन ही नहीं, बल्कि धर्मांतरण को गति देने के लिए भोले आदिवासियों को उनके मूलधर्म से काटकर ईसाई बनाने का षडयंत्रकारी कदम था।
स्वामी जीतेंद्रानंद ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि देश के जिन भागों से हिंदू कम हुए, वहीं अलगाववाद, आतंकवाद, शहरी नक्सली गतिविधियां बढ़ीं हैं। यह राष्ट्र की एकता-अखंडता के लिए घातक है। झारखंड विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव आदिवासियों को उनके मूल धर्म, सनातन हिंदू धर्म से भटकाने का प्रयास है। साफा-होड़ा मेला के बहाने लहसुन-प्याज तक न खाने वाले एवं माघी पूर्णिमा के दिन गंगा किनारे तीन दिन तक समस्त धर्मगुरु एक लघु कुंभ लगाते हैं जो झारखंड के साहबगंज जिले के गंगा तट पर राजमहल नामक स्थान पर लगता है। गंगा महासभा ने कई बार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, वर्तमान केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ इन धर्मगुरुओं का सम्मान किया है। ये धर्मगुरु सनातन धर्म से अलग अपनी पहचान नहीं चाहते, लेकिन चर्च व नक्सलियों के सामूहिक षड्यंत्र से प्रस्ताव पारित किया गया जो हिंदू धर्म के साथ ही राष्ट्रीय एकता व अखंडता के लिए हानिकारक है। समाज को संप्रदायगत रूप से अलग-अलग दिखाने का षडयंत्र हिंदू समाज को तोडऩे की साजिश का हिस्सा है। झारखंड राज्य सरकार इसाई मिशनरियों व शहरी नक्सलियों के इशारे पर यह षडयंत्र कर रही है। उन्होंने निवेदन किया है कि जनसंख्या गणना में सरना धर्म के नाम से अलग किसी धर्म को मान्यता न दी जाए और न ही अलग किसी कोड से आदिवासी -वनवासी बंधुओं को धार्मिक पृथक्य दिया जाए। कारण यह कि धर्म-संप्रदाय को मान्यता देने का काम सरकार का नहीं, धर्माचार्यों का है। स्वामी जीतेंद्रानंद ने सनातन हिंदू धर्माचार्यों के मंतव्य को समझते हुए धर्म एवं राष्ट्रहित में किसी अलग संप्रदाय कोड को मान्यता न देने का आग्रह किया है।
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