Varanasi Weather Today दिसंबर के अंतिम सप्ताह चौथे दिन ठंड ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। पश्चिमोत्तर से आई बर्फीली हवा ने दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से छह डिग्री नीचे 19.5 डिग्री सेल्सियस पर ला दिया तो गलन के आभास से लोग सिहर उठे। न्यूनतम तापमान लगभग स्थिर 10.5 पर बना रहा। कोहरे के चलते वातावरण की आर्द्रता बढ़कर 97 प्रतिशत हो गई।
जागरण संवाददाता, वाराणसी।
Varanasi Weather Today: दिसंबर के अंतिम सप्ताह चौथे दिन ठंड ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। रात से छाया घना कोहरा भोर से सुबह तक और भी घनीभूत हुआ तो पूरा दिन धुंध की चादर में लिपटे बीत गया। थोड़ी देर के लिए सूर्य की किरणों ने आंख खोली मगर निस्तेज रहीं।
पश्चिमोत्तर से आई बर्फीली हवा ने दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से छह डिग्री नीचे 19.5 डिग्री सेल्सियस पर ला दिया तो गलन के आभास से लोग सिहर उठे। न्यूनतम तापमान लगभग स्थिर 10.5 पर बना रहा। कोहरे के चलते वातावरण की आर्द्रता बढ़कर 97 प्रतिशत हो गई।
पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी के चलते उधर से चली बर्फीली हवा गुरुवार को काशी तक आ पहुंची।
जहाजों की उड़ानें रद
उधर प्रयागराज की ओर से बढ़ते चले आ रहे कोहरे की धुंध ने मंगलवार की देर रात से ही अपनी चादर ताननी शुरू कर दी थी। घने कोहरे में लिपटी हुई बुधवार की सुबह दृश्यता 200 मीटर रह गई। फिर तो लाइट जलाकर चलने को विवश वाहनों की रफ्तार धीमी हो गई, ट्रेनें घंटों विलंबित हुईं और हवाई जहाज एयरपोर्ट पर उतरने की बजाय हवा में ही चक्कर काटते रह गए, विवश होकर कई जहाजों की उड़ान रद करनी पड़ी।
जनवरी में और बढ़ सकती है गलन
हवा की गति बढ़ी तो और तेज हो सकती गलन
वरिष्ठ मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय बताते हैं कि वातावरण का औसत तापमान लगभग 15 डिग्री सेल्सियस तक आ चुका है, जो शरीर के सामान्य तापमान से 22 डिग्री कम है। ऐसे में गलन का आभास होना स्वाभाविक है। पहाड़ों की ओर से आ रही हवा की गति बढ़ी तो गलन में और वृद्धि हो सकती है। कोहरे की वजह से सूर्य के प्रकाश की अवधि और तीव्रता कम होने से आने वाले दिनों में तापमान और गिर सकता है।
पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से जनवरी में बढ़ेगी ठंड
बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि अभी एक और पश्चिमी विक्षोभ इधर पहुंचने वाला है। वह एक जनवरी की रात में वाराणसी तक पहुंच सकता है। इससे दो जनवरी से तापमान और गिरेगा तथा ठंड बढ़ जाएगी। वह यह भी कहते हैं कि पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव इधर आंशिक रूप से ही आ सकता है। यह संभव है कि उसका अधिकांश हिस्सा हमारे पश्चिम से निकल जाए।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।