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सारनाथ बौद्ध मंदिर में थाईलैंड की राजदूत ने की कोरोना मुक्ति के लिए पूजा, मन्दिर परिसर में किया पौधरोपण

थाईलैंड की राजदूत पट्टारत होंगटोंग ने 19 सदस्यीय दल के साथ थाई बौद्ध मंदिर में सुबह 9.30 बजे भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप जला कर थाई मन्त्रोच्चारण के साथ कोरोना मुक्ति के लिए पूजा की। यह पूजा थाई मन्दिर के प्रभारी भिक्षु मंगलिको ने कराया।

By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Sun, 07 Nov 2021 03:18 PM (IST)
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भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप जला कर थाई मन्त्रोच्चारण के साथ कोरोना मुक्ति के लिए पूजा की।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। भारत में थाईलैंड की राजदूत ने सारनाथ स्थित थाई बौद्ध मंदिर में रविवार को भगवान बुद्ध के समक्ष दीप जला कर कोरोना मुक्ति के लिए थाई परम्परानुसार पूजा की। इस मौके पर बौद्ध भिक्षुओं को चीवर दान किया। एक दिन पूर्व थाईलैंड की राजदूत ने धमेख बौद्ध स्‍तूप की परिक्रमा कर पूजन अर्चन किया था। पूजा अर्चना के बाद उन्‍होंने परंपराओं के अनुसार ही रीति रिवाजों का निर्वहन करते हुए भारत और थाईलैंड की साझा सांस्‍कृतिक विरासत के बारे में अपने उद्गार भी व्‍यक्‍त किए थे। 

थाईलैंड की राजदूत पट्टारत होंगटोंग ने 19 सदस्यीय दल के साथ थाई बौद्ध मंदिर में सुबह 9.30 बजे भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप जला कर थाई मन्त्रोच्चारण के साथ कोरोना मुक्ति के लिए पूजा की। यह पूजा थाई मन्दिर के प्रभारी भिक्षु मंगलिको ने कराया। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी और अन्‍य थाई सदस्‍य मौजूद रहे। परंपराओं के अनुरूप ही मंत्रोच्‍चार के बीच बौद्ध धर्म के मान्‍यताओं के अनुरूप अपनी आस्‍था व्‍यक्‍त की। वहीं उनके साथ आए अन्‍य सदस्‍यों ने भी परंपराओं के अनुसार पूजन अर्चन किया।

 

पूजन अर्चन की इस परंपरा के दौरान राजदूत पट्टारत होंगटोंग ने बताया कि बुद्ध की प्रथम उपदेश स्‍थली और उनकी तपोभूमि सारनाथ में पहली बार आकर काफी अच्छा लगा। भगवान बुद्ध की नगरी काफी शांत प्रिय स्थल है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता विश्व में काफी समृद्ध शाली है। बुद्ध के उपदेश भारत से ही पूरे विश्व में फैला है।

इसके पूर्व राजदूत ने हाथों में चीवर लेकर बौद्ध मंदिर की परिक्रमा कर बौद्ध भिक्षुओं को चीवर दान किया। इस मौके पर मन्दिर के प्रभारी भिक्षु मंगलिको ने भगवान बुद्ध की चलायमान मुद्रा में प्रतिमा राजदूत को भेंट की।

ततपश्चात राजदूत में मन्दिर परिसर में पौध रोपण किया। इस दौरान भिक्षु गुरु धम्मो, भिक्षु धर्मशील, भिक्षु आनन्द , भिक्षु कतना फन, डॉ. धर्म रश्मि, सहित अन्य बौद्ध भिक्षु शामिल थे।