सबसे पुराने बीएचयू के इस नर्सिंग कालेज में आजतक प्रिंसिपल नहीं, प्रभारी के सहारे काम काज
पूर्वांचल के एम्म कहे जाने वाले चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू के नर्सिंग कालेज को आजतक स्थाई प्रिंसिपल नहीं मिल पाया है। यह कालेज सिर्फ प्रभारी प्रिंसिपल के भरोसे ही चला है। वह भी कालेज की बजाय दूसरे विभाग के रहे हैं।
By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Tue, 29 Jun 2021 11:18 AM (IST)
जागरण संवाददाता, वाराणसी। पूर्वांचल के एम्म कहे जाने वाले चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के नर्सिंग कालेज को आजतक स्थाई प्रिंसिपल नहीं मिल पाया है। यह कालेज सिर्फ प्रभारी प्रिंसिपल के भरोसे ही चला है। वह भी कालेज की बजाय दूसरे विभाग के रहे हैं। अभी भी आइएमएस जनरल सर्जरी की प्रोफसर नर्सिंग कालेज की प्रभारी प्रिंसिपल हैं।
संस्थान का यह कालेज प्रो. केएन उडप्पा के कार्यकाल के समय 1964 में खुला था। इसका उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डा. सुशीला नायर ने किया था। उस समय यह कालेज नहीं बल्कि इसका नाम स्कूल आफ नर्सिंग था। 90 के दशक में यह नर्सिंग कालेज बना। बावजूद इसके अभी तक इसमें पीजी की पढ़ाई नहीं शुरू हो पाई। बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई होती भी है तो इसमें सीटें, शिक्षक के पद को लेकर हमेशा राजनीति होती रही है।करीब पांच साल पहले यहां की सीटें 60 से बढ़ाकर 100 की गईं, लेकिन मानक पूरी नहीं करने पर फिर से 60 हो गई हैं। हालांकि कुछ शिक्षकों की नियुक्ति हुई तो दो साल से यहां की सीटें अब बढ़कर 75 हो गई हैं। यानी अब 75 सीटों पर दाखिला हो रहा है। हालांकि अभी भी स्थायी प्रिंसिपल नहीं मिल पाना इस इस कालेज की उपेक्षा बताता है। कोई भी निदेशक आता है लेकिन इस ओर उनका ध्यान नहीं जाता है। यही कारण है कि इस कालेज में मूलभूत ढांचा भी नाकाफी ही है। शिक्षकों की नियुक्ति पर भी यह कालेज अक्सर विवादों में रहा है। अनदेखी यह उपेक्षा को लेकर यहां विद्यार्थियों को ही आगे आना पड़ता है।
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