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Varanasi News: महामना की विरासत पर खतरा, बंद होगा बीएचयू का डेरी फार्म, प्रिंटिंग प्रेस और एयरोड्रम

बीएचयू में डेरी फार्म की स्थापना वर्ष 1918 में हुई थी। इस समय 65 भैंस और 55 गाय से प्रतिदिन 550 लीटर दूध का उत्पादन होता है। 55-60 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध की आपूर्ति बीएचयू के अधिकारियों और कर्मचारियों को होती है। वर्ष 2009 तक डेरी की स्थिति बेहद खराब थी। 2012 में 1200 लीटर दूध का प्रोडक्शन होता था लेकिन उसके बाद हालत खराब हो गई।

By Sangram Singh Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 28 Jun 2024 01:05 PM (IST)
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तीन सदस्‍यों की कमेटी ने BHU की डेरी फार्म, प्रिंटिंग प्रेस और एयरोड्रम को बंद करने की सिफारिश की है।
संग्राम सिंह, जागरण, वाराणसी। महामना मदन मोहन मालवीय की विरासत पर खतरा मंडरा रहा है। कारण कि बीएचयू की प्रशासनिक सुधार समिति ने विश्वविद्यालय प्रशासन को करीब 76 पेज की गोपनीय रिपोर्ट प्रस्तुत कर हलचल मचा दी है।

दो पूर्व आइएएस अधिकारियों समेत तीन सदस्यीय कमेटी ने विवि की स्थापना के समय स्थापित की गई डेरी फार्म, प्रिंटिंग प्रेस और एयरोड्रम को बंद करने की सिफारिश की है। कमेटी का कहना है कि विरासत इकाइयों को बंद करना ही ठीक रहेगा, क्योंकि यह किसी सार्थक उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती हैं।

विश्वविद्यालय की मुख्य गतिविधियों में इनका कोई योगदान नहीं है। इन इकाइयों से मुक्त किए गए संसाधनों और कर्मचारियों का विश्वविद्यालय के अन्य क्षेत्रों में बेहतर उपयोग किया जा सकता है। इकाइयों को बंद करने से अनावश्यक खर्चों को कम करने और संचालन को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी, जिससे विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति में सुधार आएगा। ऐसी और इकाइयों की पहचान कर उन्हें बंद किया जाना चाहिए।

रिपोर्ट देने वाली कमेटी के अध्यक्ष केंद्र सरकार के पूर्व सचिव पवन कुमार अग्रवाल रहे, इनके साथ पूर्व उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक पराग प्रकाश और शिक्षा मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव आरडी सहाय को सदस्य रहे। 

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डेरी फार्म रिसर्च में बड़ी भूमिका निभाते हैं, इस समय यहां 50 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा बीएचयू का प्रिंटिंग प्रेस को वर्ष 1936 में स्थापित किया गया था। यहां पर विवि से जुड़ी प्रत्येक स्टेशनरी, 30 किताबें, डिग्री फार्मेट, पत्रिका, अवकाश प्रार्थना पत्र के अलावा सर सुंदरलाल अस्पताल, ट्रामा सेंटर और आयुर्वेद अस्पताल की 40 लाख ओपीडी स्लीप और 42 लाख जांच फार्म, लेटर समेत कई स्टेशनरी प्रकाशित किए जाते हैं।

एक दशक पहले प्रेस में करीब 175 कर्मचारियों की तैनाती हुई थी, लेकिन अब गिनती के कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है। दो सेक्शन अफसर, दो चौकीदार, एक तकनीकी स्टाफ के अलावा 11 संविदा कर्मचारी व्यवस्था देख रहे हैं। छह आउटसोर्सिंग कर्मचारी भी हैं, जो चार आफसेट, एक टू कलर, सीटीपी, कूलिंग, प्रोसेसिंग, सिलाई और पंचिंग समेत दर्जन भर मशीनों से छपाई कार्य करते हैं।

एयरोड्रम का संचालन सेवेन यूपी एनसीसी बीएचयू की तरफ से किया जाता है। यहां के हेलीपैड पर प्रशिक्षण कार्य होते हैं, इसके अलावा वीवीआइपी कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के हेलीकाप्टर यहीं पर उतरते हैं। बीएचयू का यह हिस्सा भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है।

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कुलपति की सहायता के लिए सृजित होंगे तीन नए पद

कमेटी ने कहा है कि विश्वविद्यालय के सभी संकायों और संस्थानों में शैक्षणिक संचालन के विभिन्न पहलुओं की देखरेख और सुधार में कुलपति की सहायता के लिए तीन नए वैधानिक अधिकारी पद सृजित किए जाने चाहिए। डीन अकादमिक मामले, डीन अनुसंधान और विकास और डीन प्रौद्योगिकी और डिजिटल लर्निंग जैसे पदों को खुले चयन के माध्यम से भरा जाना चाहिए। शासन संरचना में शामिल करने के लिए इन्हें विश्वविद्यालय की विधियों में संशोधन किया जाए।

इसके अलावा विवि की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार के लिए केंद्रीय कार्यालय में प्रशासनिक कर्मचारियों को कम किया जाए। प्राथमिकता के आधार पर समूह डी कर्मचारियों का पुनर्वितरण होना चाहिए।

पांच विभागों के लिए बननी चाहिए विशेष इकाई

प्रोटोकाल, गेस्ट हाउस, जनसंपर्क, बाहरी संचार, इंजीनियरिंग और अन्य अपरंपरागत क्षेत्रों जैसे विशिष्ट कार्यों के लिए विशेष इकाइयों की स्थापना और सुदृढ़ीकरण करना होगा। इन इकाइयों को शिक्षण संकाय या प्रशासनिक कर्मचारियों के अलावा अन्य विशेषज्ञों द्वारा संचालित करने की आवश्यकता है।

विश्वविद्यालय को उन्हें काम पर रखने के तरीके खोजने चाहिए और उनके पेशेवर विकास के लिए अवसर प्रदान करने चाहिए। प्रोटोकाल सेल और पीआर सेल को विशेष रूप से मजबूत किया जाना चाहिए। संपदा अनुभाग और विवि कार्य विभाग को अपने तालमेल का लाभ उठाना चाहिए।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. अरुण कुमार सिंह ने कहा कि प्रशासनिक सुधार समिति को जो ठीक लगा, उसे उन्होंने लिख दिया लेकिन सिफारिशों का अनुपालन करने के लिए विश्वविद्यालय अपने तरीके से मंथन करेगा। रिपोर्ट अपनी जगह पर है उसमें कई चीजें रहती हैं। विश्वविद्यालय का प्रकरण में कोई स्टैंड नहीं है। विवि को समझने के लिए कमेटी बनाई गई थी।

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