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काशी में साढ़े तीन सौ साल पुरानी परंपरा बदली! शोभायात्रा रोकने लिए पुलिस ने भेजा पत्र, कांग्रेस ने उठाए सवाल

सावन के अंतिम सोमवार को इस बार श्रीकाशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के झूला शृंगार में महंत परिवार की भूमिका समाप्त हो जाएगी। महंत आवास से इस बार शोभायात्रा मंदिर में नहीं आएगी। मंदिर प्रशासन ने स्वयं अपनी पंचबदन प्रतिमा व झूलों से शृंगारोत्सव का निर्णय लिया है। इसके चलते महंत आवास के बाहर पुलिस फोर्स तैनात की गई है ताकि शोभायात्रा निकाली जा सके।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Mon, 19 Aug 2024 04:56 PM (IST)
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बाबा विश्वनाथ की पंचबदन चल प्रतिमा का झूला श्रृंगार (फाइल फोटो) l जागरण
जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास से बाबा की पंचबदन चल प्रतिमा बाहर न निकली जा सके, इसके लिए प्रशासन ने सुबह से ही पुलिस फोर्स तैनात कर दी। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर श्रावण पूर्णिमा की तिथि पर जहां भक्तों की भीड़ हुआ करती थी, वह पुलिस फोर्स देखकर दर्शन के लिए आए भक्तों ने खुद को असहज महसूस किया।

महंत आवास पर बाबा के इस स्वरूप का दर्शन करने आने वाले भक्तों को भी पुलिस ने महंत आवास तक जाने नहीं दिया। पुलिस ने भक्तों को यह कह कर लौटा दिया है कि यहां पर कोई आयोजन नहीं हो रहा है। सारे आयोजन विश्वनाथ मंदिर में ही किए जा रहे हैं।

 

350 वर्षों से चली आ रही परंपरा

परंपरानुसार महंत परिवार 350 वर्षों से मंदिर में चल प्रतिमा के माध्यम से विशेष पर्वों पर उत्सवों, सावनी शृंगार व शोभायात्राओं का आयोजन करता आया है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के पुनर्निर्माण के समय मंदिर क्षेत्र से अन्यत्र जाते समय यह चल प्रतिमा महंत परिवार अपने साथ ले गया। 

बाद में पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी व उनके भाई लोकपति तिवारी ने उस प्रतिमा के अपने-अपने पास होने का अलग-अलग दावा किया। पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के जीवनकाल में दो-तीन वर्षों तक उनके आवास पर रखी प्रतिमा की शोभायात्रा मंदिर तक लाई जाती रही।

प्रभारी निरीक्षक ने भेजा पत्र

प्रभारी निरीक्षक प्रमोद कुमार पांडेय ने डॉ. कुलपति तिवारी के पुत्र वाचस्पति तिवारी और उनके चाचा लोकपति तिवारी को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि शांति व्यवस्था और दर्शनार्थियों की की सुविधा को देखते हुए शोभायात्रा न निकालें ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे।

मुकदमे के चलते शोभायात्रा पर रोक

मंदिर प्रशासन का कहना है डॉ. कुलपति के निधन के बाद उनके पुत्र वाचस्पति तिवारी व भाई लोकपति तिवारी एक बार फिर मूल प्रतिमा अपने कब्जे में होने व परंपरा के असली दावेदार होने का दावा किया है। 

इससे संबंधित मुकदमा भी न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में मंदिर प्रशासन ने निर्णय लिया है कि कोई शोभायात्रा बाहर से व मंदिर प्रबंधन से इतर प्रतिमा से नहीं आएगी। मंदिर न्यास के पास स्वयं की मूर्ति, पालकी आदि की समस्त व्यवस्था व संसाधन हैं, जिनसे प्रचलित परंपरा का पूर्ण निर्वहन मंदिर प्रांगण के भीतर ही किया जाएगा। 

ट्रस्ट अध्यक्ष व विद्वतजन की उपस्थिति में पूजनोपरांत शोभायात्रा मंदिर प्रांगण के अंदर गर्भगृह तक निकाली जाएगी। शोभायात्रा के नाम पर किसी बाहरी पक्ष द्वारा अपनी मूर्ति से कोई समानांतर व्यवस्था का प्रयास मंदिर न्यास द्वारा निर्धारित व्यवस्था के विरुद्ध होगा। मंदिर न्यास का बाहरी मूर्तियों या किसी के घर व परिवार द्वारा की जा रही उनकी पूजा से कोई सरोकार नहीं है।

चाचा का मुकदमा मंदिर से है परंपरा से नहीं: वाचस्पति 

पूर्व महंत स्व. डॉ. कुलपति तिवारी के पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने बताया कि परंपरा निर्वहन की उनकी तैयारी पूरी है। उनके चाचा लोकपति मिश्र हर बार आपत्ति पत्र देते रहे हैं, लेकिन परंपरा उनके पूर्वजों से होती हुई पिता द्वारा निभाई जाती रही है। 

वाचस्पति ने कहा, चाचा का मुकदमा परंपरा से नहीं, मंदिर प्रशासन से है। वह आरोप लगाते रहे हैं कि मंदिर प्रशासन डॉ. कुलपति से मिलकर उनके पक्ष में परंपरा का निर्वहन कराता है। 

जिला प्रशासन की कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए वाचस्पति तिवारी ने कहा कि जिस मुकदमे को आधार बनाकर जिला प्रशासन ने यह कार्रवाई की है, वह मुकदमा कई वर्ष पुराना है। यदि ऐसा ही था तो पहले ही परंपरा क्यों नहीं रोक दी गई। 

आधिपत्य जमाना चाहता है मंदिर प्रबंधन

वाचस्पति ने कहा कि वास्तविकता यह है कि काशी विश्वनाथ मंदिर प्रबंधन, काशी की जनता से जुड़ी सभी परंपराओं पर अपना आधिपत्य जमाना चाहता है और इसी आधिपत्य को बनाए जाने की दिशा में यह कदम उठाया गया है।

वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इस प्रशासनिक कार्रवाई पर पीएम मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने एक्स पर ट्वीट में लिखा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काशी से सांसद होने के बावजूद भी काशी की धार्मिक सनातनी परम्पराओं को ध्वस्त किया जा रहा है’।

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