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काशी में गंगा का उफान: बाढ़ के कारण विश्‍वनाथ धाम के तीन गेट बंद, अन्‍य द्वारों से ही मिलेगा प्रवेश

सावन के चतुर्थ सोमवार को देवाधिदेव काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए लाखों की संख्या मेें श्रद्धालु व कांवरिए काशी पहुंचने लगे हैं। शनिवार से ही काशी की सड़कों से लेकर गलियाें तक में श्रद्धालुओं के आवागमन के चलते जाम की स्थिति बनी रही। बाबा दरबार की ओर जाने वाले सभी मार्गों पर दो किलाेमीटर तक जाम का प्रभाव दोपहर बाद से बनने लगा था।

By Shailesh Asthana Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 11 Aug 2024 11:42 AM (IST)
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गंगा का जलस्तर बढ़ने के बाद मणिकर्णिका घाट मार्ग का संपर्क टूटा । जागरण

जागरण संवाददाता, वाराणसी। इस बार भक्तों के लिए बाबा दरबार तक पहुंचना अन्य श्रावणी सोमवारों की अपेक्षा सुगम नहीं रहेगा। सावन के चतुर्थ सोमवारों को बाबा के दरबार तक पहुंचने के तीन मार्ग बंद रहेंगे। श्रद्धालु इस बार गंगा द्वार व सिल्को द्वार फोर-ए तथा सरस्वती द्वार से बाबा के गर्भगृह तक नहीं पहुंच सकेंगे, कारण कि तीनों द्वारों को आपद परिस्थितियों के चलते बंद कर दिया गया है।

गंगा द्वार बाढ़ के चलते अन्य घाटों से संपर्क टूटने तथा नावों का संचालन बंद होने के कारण बंद कर दिया गया है तो सरस्वती द्वार व फोर-बी द्वार सिल्को गली में जर्जर मकानों के ध्वस्त होने के बाद वहां पड़े मलबे के ढेर के कारण बंद पड़ा है। इसलिए इस बार मैदागिन-गोदौलिया मार्ग पर शेष बचे तीन द्वारों पर ही श्रद्धालुओं की सारी भीड़ का दबाव होगा।

इसके चलते भक्तों को कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ सकता है। चतुर्थ सोमवार को बाबा विश्वनाथ का रुद्राक्ष श्रृंगार किया जाएगा। रुद्राक्ष दानों से सजे बाबा के अद्भुत स्वरूप के दर्शन को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

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मंदिर के उपजिलाधिकारी शंभूनाथ ने बताया कि भीड़ के दबाव को देखते हुए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने सोमवार को सभी प्रकार के सुविधा पास व कार्ड निरस्त कर दिए हैं। गंगा घाटों के डूबने के चलते वहां श्रद्धालुओं की पहुंच को नियंत्रित कर दिया गया है।

कतारों में लगकर ही पहुंचें, अन्यथा नहीं मिलेगा प्रवेश

मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि उन्हें जहां से भी कतार शुरू होती दिखे, वहीं से वे कतार में लग जाएं और क्रमबद्ध रूप से धाम के प्रवेश द्वार तक पहुंचें। कतारबद्ध होकर प्रवेश द्वार तक न पहुंचने वालों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा और उन्हें फिर से कतार में सबसे पीछे लगना पड़ेगा।

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इस बार द्वारों की संख्या सीमित होने के कारण अपेक्षाकृत समय अधिक लग सकता है अत: अपने स्वास्थ्य एवं सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए श्रावण सोमवार को दर्शन का कार्यक्रम बनाएं। सोमवार को किसी भी तरह का प्रोटाेकाल दिया जाना संभव नहीं होगा।

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