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वाराणसी में पर्यटन विभाग और थाना तक को नहीं पता शहर में कितने पंजीकृत गाइड, पर्यटकों को कहीं से नहीं मिलती जानकारी

वाराणसी शहर में कितने गाइड इसका पता न तो पर्यटन विभाग को है और न ही पर्यटकों की सुरक्षा के लिए सृजित पर्यटन थाने को। दोनों ही महकमे के इस सवाल का जवाब देने के बजाय सिर खुजाते मिले।

By sarvesh mishraEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Tue, 27 Sep 2022 11:25 AM (IST)
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वाराणसी में आने वाले पर्यटकों के लिए बेहतर गाइड का इंतजाम नहीं है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : धर्म-संस्कृति की नगरी काशी में पर्यटन तेजी से विस्तार पा रहा है। काशी विश्वनाथ धाम का नव्य भव्य स्वरूप सामने आने के बाद इसे और भी रफ्तार मिली है। इसके बाद भी धरा देने के लिए कवायद जारी है, लेकिन उनका मार्गदर्शन करने वाली मजबूत कड़ी भगवान भरोसे है। शहर में कितने गाइड, इसका पता न तो पर्यटन विभाग को है और न ही पर्यटकों की सुरक्षा के लिए सृजित पर्यटन थाने को। दोनों ही महकमे के इस सवाल का जवाब देने के बजाय सिर खुजाते मिले।

फ्रांस की महिला के साथ बदसलूकी की घटना के बाद उठे सवाल के बाद दोनों ही विभाग कटघरे में है। इस बात का भी उनके पास कोई जवाब नहीं है कि आखिर पंजीकृत गाइडों की सूची प्रमुख स्थलों पर चस्पा क्यों नहीं है। देश-विदेश से आने वाले टूरिस्ट इसे किस वेबसाइट पर या कहां देख सकते हैं।

खुद को गाइड बताकर पर्यटकों को झांसा देते रहते हैं

वास्तव में पर्यटन विभाग को प्रमुख स्थानों पर गाइडों की सूची चस्पा करनी चाहिए, लेकिन वह एक भी जगह ऐसा नहीं कर सका है। यह हाल तब है, जबकि यहां तेजी के साथ पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। कोई सूची चस्पा न होने के कारण लोग यह तय नहीं कर पाते कि जिन गाइडों की वह सेवा ले रहे हैं वह वास्तव में रजिस्टर्ड हैं भी या नहीं। ऐसे में तमाम वह लोग खुद को गाइड बताकर पर्यटकों को झांसा देते रहते हैं, उत्पीड़न करते रहते हैं। महकमा यह कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि हमारे टूरिस्ट इन्फार्मेंशन काउंटर पर सूचना देनी चाहिए।

दो-चार भाषाओं के दस-बीस शब्द बोलने आ गए और हो गए गाइड

पर्यटन नगरी काशी में पर्यटकों की संख्या भले ही अधिक हो गई हो, लेकिन आज भी ज्यादातर सैलानी आज भी अवैध गाइडों को भरोसे हैं। पर्यटन विभाग या किसी अन्य का कोई नियंत्रण न होने से दो-चार भाषाओं के 10-20 शब्द बोलने वाले गाइड की तरह उन्हें घुमा रहे हैं। गाहे-गबाहे घटनाओं को भी अंजाम दे जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही फ्रांस की महिला के साथ हुआ जिसमें गाइड की साफ पहचान तक नहीं हो सकी।

निश्चित ही सूची चस्पा होनी चाहिए थी

निश्चित ही सूची चस्पा होनी चाहिए थी। यदि यह नहीं है तो जल्द ही प्रमुख स्थानों पर इसे चस्पा कराया जाएगा।

-प्रीती श्रीवास्तव, मंडलीय उपनिदेशक पर्यटन।

गाइड लाइसेंस के लिए देनी पड़ती है परीक्षा

जागरण संवाददाता, वाराणसी : मंडलीय उपनिदेशक पर्यटन प्रीती श्रीवास्तव ने बताया कि गाइड लाइसेंस के लिए भारत सरकार और प्रदेश सरकार की तरफ से समय-समय पर परीक्षा कराई जाती है। इसमें सफल होने पर इन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। बिना लाइसेंस घूमने वाले गाइडों पर पर्यटन विभाग के बजाय पुलिस को एक्शन लेने का अधिकार है। इस तरह के मामलों में रजिस्टर्ड गाइड का रजिस्ट्रेशन समाप्त किया जाता है।

विदेश से कोई भी आए महिला या पुरुष इसकी हमें तब तक कोई जानकारी नहीं होती जब तक कि वह टूरिस्ट इन्फार्मेशन काउंटर पर संपर्क न करे। होटलों में रुकने वाले विदेशियों की जानकारी एलआयू के सूची के माध्यम से मिलती है, लेकिन इसमें पखवाड़े भर से अधिक समय लग जाते हैं। इस मामले को शर्मसार करने वाली घटना बताते हुए उन्होंने सभी को लाइसेंस देखकर ही गाइडों की सेवा लेने को कहा। सलाह दी कि पर्यटकों को कैंट, सारनाथ आदि स्थानों पर स्थापित हमारे पुलिस काउंटर से भी संपर्क में रहना चाहिए।

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