जुगाड़ से कुर्सी बचाना आसान नहीं, पंद्रह दिनों में हटेंगे रेलवे में संवेदनशील पदों पर वर्षों से जमे कर्मचारी
रेलवे में जुगाड़ से कुर्सी बचाना अब आसान नहीं होगा। संवेदनशील पदों पर सालों से कुंडली जमाए कर्मचारी हटाए जाएंगे।
वाराणसी, जेएनएन। रेलवे में जुगाड़ से लंबे समय तक अपनी कुर्सी को बचाना अब आसान नहीं होगा। संवेदनशील पदों पर सालों से कुंडली जमाए कर्मचारी अब हटाए जाएंगे। आंतरिक सर्वे में जुगाड़ू कर्मचारियों की बड़ी तादाद सामने आने के बाद से ही सीआरबी की नींद उड़ी हुई है। उन्होंने संवेदनशील पदों पर सालों से जमे कर्मचारियों को लगभग 15 दिनों में हटाकर रिपोर्ट मांगी है।
संवेदनशील पदों के मायने
संवेदनशील पदों का आशय सार्वजनिक व्यवहार (पब्लिक डीलिंग) से है। रेलवे में वाणिज्य, परिचालन इत्यादि विभाग सीधे जनता से समन्वय रखने वाले होते हैं। दोनों ही विभागों में करीब दर्जन अलग-अलग खंड होते हैं। मसलन, पार्सल, इंक्वायरी, आरक्षण काउंटर, बुकिंग काउंटर, उपस्टेशन अधीक्षक, स्टेशन अधीक्षक, सीआइटी इत्यादि हैं। इनमें प्रमुख की कुर्सी एक बार हासिल होने के बाद कोई छोडऩा नहीं चाहता है।
साहबों के साये में कमजोर पड़ते नियम
रेलवे में प्रत्येक पदों की शुचिता बनाए रखने को तबादले को नियम बने हैं। लेकिन साहब की कृपा बरसी तो सारे नियम फाइलों में कैद होकर रह जाते हैं। आंतरिक सर्वे में संवेदनशील पदों के लिए कराए में सर्वे की रिपोर्ट की सच्चाई में कहीं न कहीं साहब के कृपा की भूमिका महत्वपूर्ण है।
बोले अधिकारी : सीआरबी का आदेश मिला है। स्क्रूटनिंग कराई जा रही है। संवेदनशील पदों पर निर्धारित अवधि से ज्यादा वक्त बिता चुके कर्मी हटाए जाएंगे। - रवि चतुर्वेदी, अपर मंडल रेल प्रबंधक।