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सबसे बड़े लड़ैया... 'तुलसी अखाड़ा' जहां सदियों तक महिला पहलवानों ने नहीं रखा कदम, आज नाग पंचमी पर गूंजता है 'दे घुमाके'

काशी के पहलवानों की कभी देश दुनिया में धूम रहती थी इसके पीछे सदियों की पहलवानी और अखाड़ा की परंपरा रही है। मान्‍यताओं के अनुसार काशी में नाग पंचमी पर अखाड़ों में दांव पेच को साधा जाता है। अब काशी की लड़कियां भी इसमें काफी आगे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Tue, 02 Aug 2022 12:46 PM (IST)
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काशी के तुलसी अखाड़ा में लड़कियों ने नाग पंचमी पर जोर आजमाइश की।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। गोस्‍वामी तुलसीदास द्वारा सदियों पहले काशी में स्‍थापित अखाड़ा जहां सदियोंकुछ वर्ष पहले तक कल्‍पना भी नहीं की जा सकती थी कि महिला पहलवान अखाड़े में घूम भी सकती हैं वहां आज आधी दुनिया धूम मचा रही है। नाग पंचमी के मौके पर गोस्‍वामी तुलसीदास के इस अखाड़े में दांव भी चला और पेच से विरोधियों को नामी पहलवानों ने धूल भी चटाई। दांव के साथ पेचों ने एक दूसरे को चित करने के लिए खूब जोर आजमाइश की और जीत हासिल करने के बाद तारीफ और तालियों का पुरस्‍कार भी सहेजा बटोरा। 

कभी काशी में ही झांंसी की रानी लक्ष्‍मीबाई ने युद्ध में अपने लक्ष्‍यों को साधने की प्रेरणा प्राप्‍त की और अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। मगर 450 साल तक लगातार वर्ष 2016 तक तुलसी अखाड़े में कोई महिला पहलवान प्रवेश नहीं की। मगर 2017 में महंत की ओर से कुश्‍ती प्रशिक्षकों के साथ मंथन करने के बाद अखाड़े में महिलाओं के प्रवेश की रूपरेखा तैयार की तो यह काशी ही नहीं देश के लिए भी महत्‍वपूर्ण मौका था। मगर बीते दशक में पहलवानी में आया यह बदलाव आज भी अनोखी रौनक बिखेर रहा है और देश के लिए राष्‍ट्रीय और राज्‍य स्‍तरीय खिलाड़‍ियों के लिए एक मंच दे रहा है। काशी का यह मंच देश भर में अपनी पहचान रखता है और नाग पंचमी पर अखाड़े की धूलि लेने पहलवानों का दल आना अपनी श्रद्धा समझता है।

नाग पंचमी के मौके पर यहां पर पहलवानी की परंपर रही है, ऐसे में पहलवानों के बीच जोर आजमाइश के बीच आपस में गुत्‍थमगुत्‍था होकर एक दूसरे को धूल चटाने के लिए पहलवान अखाड़े में एक दूसरे की ताकत का आंकलन करके सामने वाले को धूल चटाने का प्रयास करते हैं।   

तुलसी अखाड़ा में ऐसा नहीं है कि पुरुष और महिला पहलवान ही आपस में जोर आजमाइश करते नजर आते हों। यहां पर छोटे बच्‍चे भी पहलवानी के लिए उपकरणों के साथ पहलवानी करने के लिए पहुंचते हैं। हाथ में डंबल और वजन के साथ ही दंड बैठक करने के लिए अपनी दक्षता को साबित करते हैं। इसके लिए उनकी सक्रियता का आलम यह है कि बच्‍चे भी सुबह अखाड़े में पहुंच जाते हैं।  

दंड बैठक के साथ ही मुग्‍दर भांजते पहलवानों की सक्रियता का आलम सुबह से ही अखाड़े में नजर आता है। सुबह से ही पसीना बहाते और मुग्‍दर भांजते पहलवान यहां आपको सहज नजर आएंगे। यहां युवा पहलवानों की एक पूरी पौध मैट ही नहीं धूल भरे अखाड़े में अपनी प्रतिभा और दांव पेंच दिखानें के लिए सक्रिय नजर आते हैं। 

 

युवा पहलवानों की आपस में गुत्‍थम गुत्‍था होते दांव पेचों में बीच अखाड़े में जोर आजमाइश के लिए रोज यहां आते हैंं। अखाड़े की परंपरा के क्रम में पहले अखाड़े में आने से पूर्व गोस्‍वामी तुलसीदास को नमन करते हैं और हनुमान जी का आशीर्वाद लेकर अखाडे को नमन करने के बाद यहां की धूलि को खुदपर पोत लेते हैं। इसके बाद ताल देकर विरोधी को ललकारते हैं।  

नाग पंचमी के मौके पर इस बार भी अखाड़े में परंपराओं का निर्वहन किया गया और महिला पहलवानों ने एक दूसरे को अखाड़े में चित करने के लिए दांव और पेच को आजमाया तो 'दे घुमाके' के स्‍वरों ने अखाड़े की बदल रही परंपरा के स्‍वरों को मुकाम देना स्‍वीकार किया। इस बीच नई कोंपलों ने भी अखाडे़ में अपनी प्रतिभा को साधा और हुंकार भरी। 

नाग पंचमी की अखाड़ा परंपरा का पालन करते हुए खिलाड़‍ियों ने एक दूसरे को चित करते के लिए दांव पेच ही नहीं समर्थकों के ओजपूर्व उत्‍साहवर्धन से भी ताल ठोंका और एक दूसरे को चित करने की चेतावनी देते हुए अखाड़े की अनोखी परंपरा का निर्वहन किया। पहलवानी की काशी की अनोखी रवायत को अगली पीढ़ी के लिए भी वरिष्‍ठों ने सजाया और उनका करतल ध्‍वनि से स्‍वागत किया। 

अखाड़े की लड़कियां नाम कर रहीं रोशन : अखाड़े के महंत प्रोफेसर विश्वम्भरनाथ मिश्र ने कहा कि आज महिलाएं पुरुष से कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। जब वह हर क्षेत्र में आगे जा रही है तो पहलवानी में क्यों कम रहें। यही सोच कर पांच वर्ष पूर्व स्वामीनाथ अखाड़े में लड़कियों को कुश्ती दंगल का अभ्यास कराना शुरू किया गया और आज स्वामीनाथ अखाड़े से निकली लड़कियां राज्य स्तरीय, राष्ट्र स्तरीय एवं अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर कुश्ती दंगल प्रतियोगिता में शामिल हो रही हैं और अच्छा प्रदर्शन भी कर रही है। इस अवसर पर कल्लू पहलवान, श्यामलाल, रामसुंदर, पप्पू यादव, सुरेश मोहन, मेवा पहलवान, सुरेश यादव, मुकेश पहलवान, विश्वनाथ यादव आदि उपस्थित थे। प्रतियोगिता का मुख्य आकर्षण चार वर्षीय रेयांश यादव भी थे जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे।